स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टर की सोच, मरीज मरे तो मरे हमारी नौकरी चलती रहे

लखनऊ। राजधानी के स्वास्थ्य केंद्रों पर मरीजों की जिन्दगी से किस तरह खिलवाड़ हो रहा है इसकी पोल पट़टी आज यानी सोमवार शाम से रात तक अलग-अलग केंद्रों में मुख्य चिकित्सा अधिकारी और उनकी टीम के दौरे में खुली। आधी रात के बाद तक सक्रिय मुख्य चिकित्सा अधिकारी औचक निरीक्षण में मिली खामियों का जायजा ले रहे थे, सीएमओ ने इसे घोर लापरवाही मानते हुए सख्त कार्रवाई किये जाने के संकेत दिये हैं।
चिकित्सक की घोर लापरवाही का आलम यह है कि केंद्रों पर आने वाले मरीजों की शुरुआती आवश्यक जांच तक नहीं की जा रही हैं, हां इतना जरूर है चिकित्सक अपनी गर्दन बचाने के लिए कागजी खानापूर्ति करते हुए मनमाने तरीके से जांच की रिपोर्ट लिख दे रहें हैं, इसका यही नहीं किसी भी तरह से कानूनी शिकंजे में न फंसे इसका इंतजाम भी इन चिकित्सकों ने कर रखा है, जिसके तहत ये मरीज के हस्ताक्ष्ार सादे कागज पर करा लेते हैं।

आज शाम करीब साढ़े पांच बजे उजरियांव स्थित नगरीय स्वास्थ्य केंद्र पर अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राजेन्दर राव ने दौरा किया जहां सभी उपस्थित मिले तथा वहां 10 मरीज भी भर्ती मिले लेकिन नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खरगापुर में डॉ नीरज अनुपस्थित थे। इसके बाद जब सीएमओ मेजर डॉ जीएस बाजपेयी ने मोहनलाल गंज स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दौरा किया नगराम स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का दौरा किया तो वहां भी कोई चिकित्सा अधिकारी नहीं मिला कई जगहों पर स्टाफ सोता मिला। यही नहीं एक नवजात को एक महिला चम्मच से पानी पिलाती पायी गयी, जबकि चम्मच तो दूर पानी दिया ही नहीं जाता है, इसके लिए बाकायदा डॉक्टर या नर्स परिजनों को बुला कर समझाती हैं कि सिर्फ मां का ही दूध काफी है, लेकिन यहां ऐसा कुछ भी समझाने की जरूरत नहीं समझी गयी।
सीएमओ डॉ बाजपेयी ने बताया कि चिकित्सा में घोर लापरवाही पायी गयी है। मरीजों के बेड हेड टिकट पर ब्लड प्रेशर और पल्स रेट की जांच एक ही पायी गयी यानी एक ही रिपोर्ट सभी मरीजों की बीएचटी पर लिखी पायी गयी। उन्होंने बताया गया कि इसी प्रकार मरीजों के सादे कागज पर हस्ताक्षर कराये गये हैं। उन्होंने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए कठोर कार्रवाई किये जाने की बात कही है।

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