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एटीएलएस का जीवन बचाने में ही नहीं, देश की खुशहाली में भी अहम योगदान

-कस्‍तूरबा मेडिकल कॉलेज मणिपाल में खुला एटीएलएस का 22वां केंद्र
-एटीएलएस के नेशनल प्रेसीडेंट ने की केजीएमयू के योगदान की भरपूर सराहना
 
सेहत टाइम्‍स
 
नेशनल डेस्‍क। एडवांस ट्रॉमा लाइफ सपोर्ट (एटीएलएस) के नेशनल प्रेसीडेंट प्रो एमसी मिश्रा ने कहा है कि मनुष्‍य की जीवन रक्षा के साथ ही देश के विकास में भी एटीएलएस का महत्‍वपूर्ण योगदान है क्‍योंकि चोट खाये व्‍यक्ति को अगर समय रहते उचित उपचार मिल जाये तो मौत और चोट को दिव्‍यांगता की स्थिति तक पहुंचने से रोकने में भारी सहायता मिलती है। आज समय की आवश्‍यकता है कि चिकित्‍सा के क्षेत्र में डॉक्‍टरी की पढ़ाई, नर्सिंग शिक्षा के कोर्स में एटीएलएस को शामिल किया जाये। 
 
डॉ मिश्रा ने यह बात आज कर्नाटक के प्रतिष्ठित कस्‍तूरबा मेडिकल कॉलेज मणिपाल में देश के 22वें एटीएलएस केंद्र की शुरुआत के मौके पर कही। उन्‍होंने कहा कि मणिपाल के इस कॉलेज में 2020 में ही इस कोर्स की शुरुआत होनी थी लेकिन कोरोना की विषम परिस्थिति के चलते न हो सका था, इसे अब किया जा रहा है। उन्‍होंने एटीएलएस के महत्‍व को बताते हुए कहा कि इसकी महत्‍ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जैसे अमेरिका में भारत से ज्‍यादा सड़क दुर्घटनाएं होती हैं लेकिन मौत भारत के अनुपात में बेहद कम होती हैं। उन्‍होंने कहा भारत में जहां प्रति पांच दुर्घटनाओं में एक की मौत होती है वहीं अमेरिका में प्रति 64 दुर्घटनाओं में एक की मौत होती है। 
 
उन्‍होंने कहा कि कम आयु में मौत होने की स्थिति में जहां उस व्‍यक्ति के जीवित रहने से जो परिवार और देश को उससे योगदान प्राप्‍त होता वह शून्‍य हो जाता है वहीं दुर्घटना में किसी को ऐसी चोट लग जाती है जिससे वह दिव्‍यांग हो जाता है या फि‍र एक लम्‍बे समय के लिए अपना कार्य करने में असमर्थ होता है तो ऐसे में जहां उसके उपचार पर खर्च होता है, वहीं उसके द्वारा स्‍वस्‍थ रहने पर किये जाने वाले कार्यों का ह्रास होता है जो कि कहीं न कहीं देश के विकास की गति को रोकता है। 
 
डॉ मिश्रा ने कहा कि पिछले आठ वर्षों से देश भर में एटीएलएस प्रशिक्षण को इस मुकाम तक पहुंचाने में केजीएमयू का अत्‍यन्‍त महत्‍वपूर्ण योगदान है। उन्‍होंने कहा कि यहां आये कोर्स डाइरेक्‍टर प्रो विनोद जैन और कोर्स फैकल्‍टी प्रो समीर मिश्र सहित एटीएलएस कोर्स में लगी हुइ पूरी टीम के योगदान की मैं सराहना करता हूं, जो अपने अन्‍य कार्यक्रमों के साथ एटीएलएस को बढ़ाने में लगे हुए हैं। केजीएमयू के कुलपति का एटीएलएस कोर्स कराने वाली टीम को सहयोग भी अत्‍यन्‍त सराहनीय है। उन्‍होंने कहा कि डॉ विनोद जैन ने जिस तरह से कोरोना काल में संक्रमण को लेकर पूरे प्रोटोकाल के साथ केजीएमयू में इसके सात कोर्स का संचालन किया, वह वाकई काबिले तारीफ है। 
 
कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज मणिपाल में प्रारंभ हुए प्रशिक्षण केंद्र के मौके पर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के कोर्स डायरेक्टर प्रो विनोद जैन ने गंभीर ट्रॉमा होने पर गहरे आघात से ग्रस्त मरीज को शुरुआत में ही जान बचाने के लिए किस तरह का उपचार दिया जाए, इसके बारे में प्रदर्शित करते हुए जानकारी दी। केजीएमयू के ही कोर्स फैकल्‍टी प्रो समीर मिश्र ने छाती में चोट लगने पर उसे किस तरह से सावधानी बरतते हुए उपचार दिया जाये इसके बारे में जानकारी दी। 
 
ज्ञात हो गहरे आघात की स्थिति में चोट लगने के बाद का सुनहरा आधा घंटा उपचार के दृष्टिकोण से बहुत महत्‍वपूर्ण होता है, इसे गोल्‍डेन आवर भी कहा जाता है। एटीएलएस प्रशिक्षण कोर्स दो प्रकार का होता है, एक कोर्स जो कैंडिडेट को कराया जाता है तथा दूसरा वह कोर्स जो दूसरों को इस कोर्स को सिखाने के लिए इसके प्र‍शिक्षक को कराया जाता है। 
 
ज्ञात हो डॉ जैन को एटीएलएस कोर्स कराये जाने में महारत हासिल है, यहां तक कि कोविड काल में जब हर जगह पढ़ाई ऑनलाइन हो रही थी, लेकिन चूंकि पुतलों पर प्रदर्शन करके सिखाये जाने वाले इस एटीएलएस कोर्स को ऑनलाइन कराया जाना सम्‍भव ही नहीं है, तो ऐसे में उस समय भी एटीएलएस के सात कोर्स संक्रमण से पूरी तरह एहतियात बरतते हुए केजीएमयू में आयोजित कराये गये थे। इसका पूरा प्रोटोकॉल डॉ विनोद जैन और उनकी टीम ने तैयार किया था।    

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