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जनसंख्या रोकने के लिए डिक्टेटर बनना पड़े तो बनें

एक या दो बच्चे वालों को दें विशेष सुविधायें

लखनऊ। इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन आईएमए का मानना है कि बढ़ती जनसंख्या एक बड़ी समस्या है इस पर नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, अगर नियंत्रण के लिए डिक्टेटरशिप करनी पड़े तो करें। इसके अलावा सरकार को चाहिये कि एक या दो बच्चे वालों को विशेष तरह से सुविधा प्रदान कर लोगों को परिवार नियोजन के लिए प्रोत्साहित करे।

आईएमए ने विश्व जनसंख्या दिवस पर आयोजित की संगोष्ठी

विश्व जनसंख्या दिवस पर आईएमए भवन में एक संगोष्ठïी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में जनसंख्या से जुड़े मुद्दे पर चिकित्सकों ने अपने विचार रखे। तथ्यों एवं आंकड़ों के माध्यम से तथा विषय पर संगोष्ठी के माध्यम से जनसंख्या दिवस के संदेश को सरकार तथा समाज तक पहुंचाने का प्रयास किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में आये हुए लोगों का स्वागत करते हुए आईएमए लखनऊ के अध्यक्ष डॉ पीके गुप्ता ने कहा भारत में जनसंख्या की स्थिति भयावह होती जा रही है। प्रति मिनट 25 बच्चे पैदा हो रहे हैं, ये आंकड़ा संस्थागत डिलीवरी यानी अस्पताल में पैदा होने वाले बच्चों का है जबकि घर पर होने वाले बच्चों की संख्या का आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।

जनसंख्या की भयावहता का अंदाजा नहीं

उन्होंने कहा कि आबादी बढ़ती जा रही है इसकी भयावहता का लोगों को अंदाज नहीं है, किसी भी तरह से लोगों को परिवार नियोजन के लिए समझाना पड़ेगा। उन्होंने तो यहां तक कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए अगर डिक्टेटरशिप करनी पड़े तो करनी चाहिये। उन्होंने कहा राजनीतिक दलों को वोट बैंक की चिंता रहती है इसलिए कोई इस पर बात भी नहीं करता है। डॉ गुप्ता ने सरकार से शीध्र जनसंख्या नीति लाने की मांग की।

11 जुलाई 1990 से मनाया जा रहा है विश्व जनसंख्या दिवस

उन्होंने कहा कि विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का विचार यूनाइटेड नेशन को तब आया जब 11 जुलाई सन् 1987 के दिन विश्व की आबादी 5 अरब से ज्यादा हो गई तब से विश्व राष्ट्र संघ ने लोगों एवं सरकारों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए 11 जुलाई 1990 से विधिवत रूप से विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का निश्चय किया तब से हर वर्ष अलग-अलग थीम के साथ विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है जिसका उद्देश्य लोगों को यह बताना है कि किस प्रकार जनसंख्या का दबाव हमारे पर्यावरण तथा विकास को प्रभावित कर रहा है तथा हम किस प्रकार जनसंख्या को कम करने का प्रयास करें। इसे परिवार नियोजन के संकल्प लेने के दिन के रूप में याद किया जाता है।

1 अरब 30 करोड़ के आस-पास हो गये हैं हम

आज के समय में विश्व की आबादी 7 अरब 36 करोड़ के आस-पास है तथा भारत जैसे विकासशील देश में यह आंकड़ा चैकाने वाला है। यहाँ आज की आबादी 1 अरब 30 करोड़ के आस-पास है जिसका सबसे बड़ा कारण हमारे समझ से राजनैतिक इच्छाशक्ति का अभाव तथा सरकार एवं समाज की उदासीनता। आई0एम0ए0 प्रतिवर्ष अपने सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए इस विषय पर समाज तथा सरकार का ध्यान आकृष्ट करने के लिए यूनाइटेड नेशन के थीम पर आधारित कार्यक्रम करती है। इसकी यूनाइटेड नेशन के परिवार नियोजन महिला सशक्तिकरण तथा विकासशील देश की थीम को चुना है।

जनसंख्या विस्फोट का सबसे ज्यादा दबाव चिकित्सकों पर

जनसंख्या विस्फोट का दुष्परिणाम सबसे अधिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पर देखने को मिलता है साथ ही जनसंख्या का दबाव हमारे सीमित संसाधनों पर पड़ता है। सडक़ पर रोड ट्रैफिक, एक्सीडेन्ट, अस्पतालों एवं जांच केन्द्रों पर भीड़, विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं का जच्चा-बच्चा केन्द्रों पर दबाव। यह सब अन्तत: चिकित्सकों पर काम के दबाव को बढ़ाती है जिससे गुणवत्तापरक इलाज में कमी आने की आशंका बनी रहती है।

अमेरिका, इंडोनेशिया, ब्राजील, पाकिस्तान, बांग्लादेश की कुल आबादी से ज्यादा है भारत की आबादी

इस समय भारत की आबादी अमेरिका, इन्डोनेशिया, ब्राजील, पाकिस्तान तथा बांग्लादेश की कुल जनसंख्या से ज्यादा है लेकिन भारत के पास विश्व का मात्र 2.4 प्रतिशत क्षेत्र है। यदि जनसंख्या की रफ्तार पर रोक नहीं लगी तो भारत 2030 तक दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जायेगा। भारत में एक मिनट में 25 बच्चे पैदा होते हैं लेकिन यह आंकड़ा अस्पताल में जन्म लेने वालों का है जबकि आंकड़ा कहीं इससे ज्यादा है जहाँ घरों में बच्चे जन्म लेते हैं।
पूरे विश्व में लगभग 225 मिलियन (22.5 करोड़) महिलाएं अनचाहे गर्भ की चपेट में हैं जिसका प्रमुख कारण है सुरक्षित एवं प्रभावी परिवार नियोजन के साधन उपलब्ध न होना जोकि सरकार एवं समाज की जिम्मेदारी है। ये महिलाएं परिवार नियोजन के साधन अपनाना चाहती हैं लेकिन ये उन्हें सहज उपलब्ध नहीं है। यूनाइटेड नेशन का कहना है कि सुरक्षित एवं स्वैच्छिक परिवार नियोजन के साधन अपनाना उनका मानवाधिकार है और यही महिलाओं में असमानता एवं गरीबी दूर करने का हथियार है।

गर्भपात कराना समस्या का स्थायी समाधान नहीं

इस अवसर पर ओब्स्ट एवं गाइनी विभाग ऐरा मेडिकल कॉलेज की डॉ.हेमप्रभा गुप्ता ने कहा कि एक या दो बच्चे वालों को सुविधाएं ज्यादा दी जानी चाहिये, परिवार नियोजन के लिए महिलाओं के साथ ही पुरुषों को भी समझाया जाये। उन्होंने कहा कि गर्भपात कराना समस्या का समाधान नहीं हैं इससे कमजोरी आती है। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में टेेलीविजन के जरिये इस सम्बन्ध में जानकारी देते रहना चाहिये। वरिष्ठ प्रोफेसर, क्वीन मैरी हॉस्पिटल, केजीएमयू डॉ उर्मिला सिंह ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के प्रभावी उपाय किये जाने जरूरी हैं। बढ़ती जनसंख्या से तरह-तरह की बीमारियां बढ़ रही हैं। जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रभावी कदम उठाना पड़ेगा। सरकारी और निजी दोनों अस्पतालों में इसके लिए जागरूकता अभियान चलाते रहना चाहिये। आईएमए की उपाध्यक्ष डॉ रुखसाना खान ने कहा कि कि सरकार अब समझ गयी है कि बिना निजी क्षेत्र की भागीदारी के स्वास्थ्य सेवाओं को दे पाना मुश्किल है। इसीलिए वह योजनाएं ला रही है। जनसंख्या नियंत्रण में भी इसी तरह के सम्मिलत प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। संगोष्ठी में स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. वारिजा सेठ ने हाई रिस्क गर्भावस्था में परिवार नियोजन के साधन पर अपना व्याख्यान दिया जबकि डॉ स्मिता सिंह ने परिवार नियोजन में क्षेत्र में सरकारी एवं निजी क्षेत्र की भागीदारी पर व्याख्यान दिया ।

वर्ल्ड पॉपुलेशन डे अब वर्ल्ड पॉल्यूशन डे

प्रेस संगोष्ठी में डॉ जेडी रावत ने आये हुए अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि वर्ल्ड पॉपुलेशन डे अब वर्ल्ड पॉल्यूशन डे होता जा रहा है। बढ़ती जनसंख्या से स्त्री और पुरुष का लिंगानुपात बढ़ रहा है। उन्होंने भी कम बच्चे वाले लोगों को विशेष सुविधा दिये जाने की मांग की साथ ही महिलाओं के साथ ही पुरुषों को भी जागरूक करने की बात कही। कार्यक्रम में लायन्स क्लब का भी सहयोग रहा। लायंस क्लब की ओर से केजीएमयू के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ रमाकांत शंखधर उपस्थित रहे। इस अवसर पर डॉ आरबी सिंह, डॉ सजय निरंजन, डॉ प्रांजल अग्रवाल, डॉ. अमिताभ रावत, डॉ. अलीम सिद्दीकी, डॉ. सुमित सेठ तथा अन्य चिकित्सक मौजूद थे।

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