-संस्थान में समारोहपूर्वक मनाया गया इंटरनेशनल इमरजेंसी मेडिसिन डे
सेहत टाइम्स
लखनऊ। प्रति वर्ष 27 मई को इंटरनेशनल इमरजेंसी मेडिसिन डे मनाया जाता है। इसका उद्देश्य चिकित्सकों और आम लोगों को इमरजेंसी मेडिसिन के प्रति जागरूक करना है। इस साल का थीम है “आपकी सुरक्षा, हमारी प्राथमिकता” (Your Safety, Our Priority).
इस अवसर पर एसजीपीजीआई के इमरजेंसी मेडिसिन विभाग ने समाज के हाशिये पर जीवन यापन करने वाले सफाई कर्मियों के लिए रक्त चाप परीक्षण एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया।
विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. ओ पी संजीव ने बताया कि जागरूकता की कमी के कारण समाज का हाशिए पर पड़ा वर्ग उच्च रक्तचाप जैसी रोकी जा सकने योग्य बीमारियों से ग्रसित होते हुए अनभिज्ञ रहता है और कभी अचानक ही हार्ट अटैक या फालिज/लकवा का शिकार बन जाता है। इस दिशा मे उन्हें जागरूक करने के लिए हाउसकीपिंग स्टाफ को हाइपरटेंशन से बचाव के बारे में बताया गया । उच्च रक्तचाप को रोकने के लिए स्वस्थ भोजन की आदत, पर्याप्त घंटे की नींद, नियमित व्यायाम और आहार में कम नमक का सेवन जैसी जीवन शैली में संशोधन की आवश्यकताओं पर जोर दिया।
डॉ संजीव ने बताया कि इमरजेंसी मेडिसिन, चिकित्सा विज्ञान की एक विशिष्ट विधा है। इमरजेंसी में पहुंचे रोगियों का इलाज इस विभाग के स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स द्वारा किया जाता है। इस विभाग को संक्षेप में EM या ED भी कहतें है। इस विभाग के विशेषज्ञ को इमरजेंसी फिजीशियन भी कहा जाता है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने 2009 में इस विषय को एक अलग विशेषता के रूप में मान्यता दी। यह विशेषता हमारे देश में विकास के चरण में है।
उन्होंने बताया कि इन दिनों देश और राज्य के कई मेडिकल कॉलेज इस पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कोर्स को चला रहे है, जहां नए डॉक्टरों को इस विशिष्ट विधा की ट्रेनिंग दी जाती है। इमरजेंसी मेडिसिन स्पेशिएलिटी अतिशीघ्र इलाज के लायक बीमारियों जैसे हार्ट अटैक, फालिज/लकवा , जहरीला पदार्थ ग्रहण, ट्रॉमा का तुरंत इलाज शुरू करता है और आगे जरुरत के हिसाब से अन्य विशेषज्ञ विभागों की सलाह भी ली जाती है।
डॉ संजीव ने कहा कि आपात स्थिति में चिकित्सकों और मरीज के परिजनों दोनों से ही त्वरित, परन्तु धैर्य रखते हुए कार्य की अपेक्षा की जाती है, जिससे रोगी को शीघ्र उचित इलाज मिल सके।