Wednesday , October 11 2023

कर्मचारियों के खिलाफ बदले की भावना से कार्य न करे सरकार

-इप्‍सेफ ने किया आग्रह, रवैया बंद न हुआ तो चुनाव में सरकार के खिलाफ वोट देंगे कर्मचारियों के परिजन

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। इण्डियन पब्लिक सर्विस इम्प्लाईज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्र ने भाजपा सरकारों से आग्रह किया है कि यदि पुरानी पेंशन बहाली, आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन, नियमित करने, संगठनों के पदाधिकारियों के अनियमित बदले की भावना से स्थानान्तरण/दण्डित करने की कार्यवाही बन्द नहीं करेगी तो भावी चुनावों में देश के करोड़ों कर्मचारी परिवार का वोट नहीं मिलेगा। सरकार चाहे तो सर्वे कराकर जानकारी कर सकती है।

उन्‍होंने कहा कि देश का कर्मचारी परिवार भी भीषण महंगाई से त्रस्त है। सरकार के उत्पीड़नात्मक कर्मचारियों से उसका परिवार दुःखी है। उत्तर प्रदेश सहित कई राज्य सरकारें कर्मचारी संगठनों के निर्वाचित पदाधिकारियों को दूर-दूर तक स्थानान्तरण करती जा रही हैं।

उत्तर प्रदेश में प्रधान प्रमुख वन संरक्षक ने फॉरेस्ट रेंजरों का स्थानान्तरण आदेश जारी किये। जिससे वन मंत्री नाराज होकर उनके कार्यालय के कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष/महामंत्री को मुख्यालय से बहुत दूर स्थानान्तरण करके सम्बद्ध कर दिया। आश्चर्य की बात है कि स्थानान्तरण बाबू नहीं करता है। अगर गलत स्थानान्तरण हुए थे तो प्रधान प्रमुख वन संरक्षक से स्पष्ट्रीकरण मांगा जाना उचित था। दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग में कई संगठनों के जनपदीय अध्यक्ष/मंत्री के स्थानान्तरण कर दिये गये, स्थानान्तरण में धारा-12 जोड़कर संगठनों के अध्यक्ष/महामंत्री का स्थानान्तरण किया गया है और अब भी जारी है, जबकि ऐसा कभी नहीं हुआ था।

कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया था कि कर्मचारी संगठनों को प्रतिद्वंदी मानकर स्थानान्तरण न करें। संघों के पदाधिकरियों के स्थानान्तरण को तत्काल निरस्त करें, परन्तु अभी तक कार्यवाही नहीं की गई। खेद का विषय है कि बड़े अधिकारी ऐसी उत्पीड़न्तमक कार्यवाही कर रहे है। मांगों पर बैठक का निर्णय भी नहीं कर रहे है। ऐसी परिस्स्थिति में कर्मचारी संगठनों को आन्दोलन एवं चुनावों में विरोध करने का अप्रिय निर्णय लेना पड़ेगा।

इप्सेफ ने प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री से पुनः आग्रह किया है कि कर्मचारी संगठनों एवं कर्मचारियों को आन्दोलन एवं विरोध करने को बाध्य न करें, इससे क्षति शासक दल को ही होगी।

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