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एसजीपीजीआई में ‘चाटुकारों’ की पुनर्नियुक्ति के प्रयासों पर कड़ा विरोध जताया कर्मचारियों ने

-राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा, नियुक्तियों में हो नियमावली का पालन

सेहत टाइम्स

लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई में सेवानिवृत्त कर्मचारियों और अधिकारियों की पुनर्नियुक्ति का कड़ा विरोध जताते हुए कर्मचारी संगठनों ने कहा है कि खाली पड़े पदों को नए अभ्यर्थियों से भरा जाना चाहिए। संगठनों ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री के साथ ही संस्थान के अध्यक्ष मुख्य सचिव को इस सम्बन्ध में अपने विरोध से अवगत करा दिया है।

कर्मचारी नेताओं के अनुसार एसजीपीजीआई संस्थान द्वारा पिछले दिनों कुछ अधिकारियों को रिटायरमेंट के बाद पुनर्नियुक्ति प्रदान कर दी गयी थी और अब पुनः सेवानिवृत्त अधिकारियों कों पुर्ननियोजन किये जाने के प्रयास का कर्मचारी नेताओं के संज्ञान में आने पर एक स्वर में कड़ा विरोध करते हुए संस्थान के अध्यक्ष एवं मुख्य सचिव, राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री, उ0प्र0 को पत्र लिखकर कहा है कि संस्थान के किसी भी कर्मचारी/अधिकारी को पुर्ननियोजन न किया जाये।

संस्थान से सेवानिवृत होने वाले कुछ चाटुकार अधिकारियों की संस्थान प्रशासन द्वारा पुनर्नियुक्ति किए जाने का प्रयास किया जा रहा है। पत्र में लिखा है कि इस पुनर्नियुक्ति के विरोध में निदेशक से मिलकर उनको अवगत कराया जाता रहा है। पत्र के अनुसार निदेशक द्वारा आश्वासन दिया गया है कि सेवानिवृत्त किसी भी कर्मचारी /अधिकारी को संस्थान में पुनर्नियोजित नहीं किया जाएगा लेकिन इसके बावजूद तीन चार लोगों को पुनर्नियोजित कर दिया गया है।

पत्र में लिखा गया है इसी तरह का एक बार फिर प्रयास किया जा रहा है, बड़े अधिकारीगण / विभागाध्यक्ष द्वारा अपने चहेतों और चाटुकार अधिकारियों की पुनर्नियुक्ति करने के प्रयास किये जा रहे हैं, अगर ऐसे ही चलता रहा तो गलत परंपरा शुरू हो जाएगी साथ ही नए लोगों को रोजगार के अवसर भी प्रदान नहीं हो पाएंगे। पत्र में यह भी लिखा गया है कि ऐसे अधिकारियों और कर्मचारी की पुनर्नियुक्ति का प्रयास किया जा रहा है जिनकी काम को लेकर पहले भी संतुष्टि रही है और संस्थान को सदैव परेशानियां उठानी पड़ी हैं। ऐसे लोगों के पुनर्नियोजन का हम सभी कर्मचारी कड़ा विरोध करते हैं।

पत्र में मांग की गई है कि सभी विभागों में रिक्त पदों को अभिलंब भरे जाने के आदेश मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए हैं ऐसी स्थिति में संस्थान की प्रथम विनियमावली अधिसूचना दिनांक 29 जुलाई 2011 का पालन करते हुए अधिकारियों /कर्मचारियों की पुनर्नियुक्ति की जाए। आपको बता दें इस अधिसूचना के अनुसार पुनर्नियुक्ति सिर्फ तभी की जा सकती है जब संबंधित व्यक्ति संस्थान के किसी वैज्ञानिक या तकनीकी कार्य में लगे होने तथा उसके हटाए जाने से उस कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका हो।

बताते चलें कि पिछले दिनों संस्थान के कर्मचारी नेताओं ने संस्थान निदेशक को पत्र लिखकर संस्थान में पुनर्नियुक्ति का विरोध किया था। मेडिटेक एसोसिएशन के अध्यक्ष डी0के0 सिंह और महामंत्री सरोज वर्मा ने कहा कि पुनर्नियोजन से संस्थान में गलत परम्परा शुरू हो जायेगी।

कर्मचारी महासंघ के पूर्व महामंत्री धर्मेश कुमार ने कहा कि संस्थान के समस्त संवर्गों में खाली पड़े रिक्त पदों को तुरन्त भरा जाये जिससे बेरोजगार नवयुवकों को रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकें। नर्सिंग कैडर की अध्यक्ष लता सचान और महामंत्री विवेक कुमार ने बताया कि संस्थान में पुनर्नियुक्ति का हर स्तर पर विरोध किया जायेगा। विरोध करने वाले कर्मचारी नेताओं में वीर सिंह बीरू, अमर सिंह, मदन मुरारी सिंह, केपी सिंह आदि ने पुनर्नियुक्ति का विरोध किया है।

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