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एसजीपीजीआई में पीपीपी मॉडल पर मशीनें लगाने पर विरोध जताया कर्मचारियों ने

-संजय गांधी पीजीआई कर्मचारी महासंघ ने निदेशक को लिखा पत्र

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई कर्मचारी महासंघ ने संस्थान में पीपीपी मॉडल पर मशीनों को लगाने तथा उनके संचालन में लगने वाले स्‍टाफ के लिए अनुबंधित फर्म द्वारा आउटसोर्सिंग कर्मचारी उपलब्‍ध कराये जाने पर अपना विरोध जताया है। महासंघ के पदाधिकारियों का कहना है कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स दिल्ली में कोई भी मशीन पीपीपी मॉडल पर नहीं है, सभी मशीनें संस्थान की निजी हैं।

आपत्ति जताते हुए कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष जितेंद्र कुमार यादव तथा महामंत्री धर्मेश कुमार ने निदेशक को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि कर्मचारी महासंघ के संज्ञान में आया है कि संस्थान के रेडियोलॉजी विभाग समेत कई विभागों में पीपीपी मॉडल पर मशीनों को लगाने का प्रस्‍ताव आगामी शासी निकाय की बैठक में प्रस्तुत किया जा रहा है और यह भी संज्ञान में आया है कि मशीन के साथ उसके लिए जरूरी स्टाफ भी अनुबंधित फर्म द्वारा प्रदान किया जाएगा। पत्र में कहा गया है कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली में कोई भी मशीन पीपीपी मॉडल नहीं लगी है सभी मशीनें एम्स की हैं।

धर्मेश कुमार ने भेजे गए पत्र की जानकारी देते हुए बताया है कि इससे पहले संस्थान की स्टेट लैब को पीपीपी मॉडल पर दिया जा चुका है वर्तमान में करीब 1300 नियमित कर्मचारियों के पद रिक्त हैं और संस्थान उन पर भर्ती नहीं कर रहा है जबकि आउटसोर्सिंग स्टाफ की भर्ती धड़ल्ले से की जा रही है जो कि यह प्रदर्शित करता है कि संस्थान को धीरे-धीरे निजीकरण की ओर धकेला जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा करना संस्थान के उद्देश्यों की पूर्ति, शोध कार्यों, संस्थान की छवि तथा उसके निरंतर विकास के प्रतिकूल होगा। उन्‍होंने कहा कि संजय गांधी पीजीआई जैसे सुपर स्पेशलिटी संस्थान में पीपीपी मॉडल लागू करना संस्थान के हित में नहीं होगा।

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