Friday , October 20 2023

केजीएमयू के डीन पैरामेडिकल के रूप में डॉ विनोद जैन का कार्यकाल पूरा

-नये डीन के रूप में मनोचिकित्‍सा विभाग के डॉ अनिल निश्‍चल को सौंपी गयी है जिम्‍मेदारी

-डीन पद पर एक माह परिवीक्षा अवधि में कार्य करेंगे डॉ अनिल निश्‍चल

 डॉ विनोद जैन

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में पृथक पैरामेडिकल संकाय की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले सर्जरी विभाग के प्रोफेसर  डॉ विनोद जैन का डीन पैरामेडिकल पद पर कार्यकाल पूरा हो गया है, अब डीन पैरामेडिकल की जिम्मेदारी मनोचिकित्‍सा विभाग के प्रोफेसर डॉ अनिल निश्चल को सौंपी गई है। डॉ निश्चल पहले 1 माह परिवीक्षा अवधि में काम करेंगे।

ज्ञात हो केजीएमयू में पैरामेडिकल की शुरुआत तत्कालीन कुलपति प्रो रवि कांत के कार्यकाल में वर्ष 2015 में हुई थी तथा प्रो विनोद जैन को कार्यकारी डीन के रूप में तैनात किया गया था। इसके पश्चात पैरामेडिकल संकाय के स्वतंत्र रूप से स्थापित होने पर 5 मार्च 2019 को प्रो विनोद जैन को इसका विधिवत डीन बनाया गया था। डीन का कार्यकाल 3 वर्ष का होता है। ऐसे में प्रो जैन का कार्यकाल बीती 4 मार्च को समाप्त हो गया है।

प्रो जैन ने इस बारे में 28 फरवरी को कुलपति को संबोधित अपने पत्र में जिक्र करते हुए 4 मार्च को डीन के रूप में अपने कार्यकाल के समाप्त होने की सूचना देते हुए पद छोड़ने की अनुमति मांगी थी। इसी तारतम्य में नए डीन के रूप में डॉ अनिल निश्चल की तैनाती की गई है हालांकि उन्हें 1 महीने की परिवीक्षा अवधि पर काम करने को कहा गया है।

14 पैरामेडिकल कोर्स हो रहे संचालित

बताया जाता है कि प्रो विनोद जैन ने अपनी मेहनत के बल पर पैरामेडिकल विभाग की एक मजबूत नींव खड़ी कर दी है। वर्तमान में यहां विभिन्न प्रकार के 14 पैरामेडिकल कोर्स संचालित हो रहे हैं जिनमें प्रतिवर्ष 593 विद्यार्थी एडमिशन लेते हैं यानी एक समय में लगभग 900 से 1000 विद्यार्थी पैरामेडिकल की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जिनकी फीस विश्वविद्यालय की आय का एक बड़ा स्रोत है।

यहां के विद्यार्थी बताते हैं कि यहां का पैरामेडिकल संकाय दूसरों से बेहतर है, इसके पीछे की वजह विद्यार्थी बताते हैं कि यहां का पैरामेडिकल स्ट्रक्चर, जो प्रोफेसर जैन ने तैयार किया है, उसका गुणवत्तापूर्ण होना है। विद्यार्थियों कहना है कि शायद ही कोई संस्थान होगा, जहां जो प्रोफेसर मेडिकल के स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं वही प्रोफेसर पैरामेडिकल के स्टूडेंट्स को भी शिक्षा देते हैं, यह हमारे लिए एक सम्‍मान की बात है। विद्यार्थियों का कहना है कि हमेशा से पैरामेडिकल को दोयम दर्जे का समझा जाता है लेकिन प्रो जैन ने पैरा‍मेडिकल फील्‍ड की अहमियत को बताते हुए हमारे अंदर जो आत्मविश्वास की भावना पैदा की है वह हमें अपने प्रोफेशन के साथ हमेशा सिर उठाकर देखने की ताकत देता है।

विद्यार्थियों का यह भी कहना है कि प्रो जैन ने पैरामेडिकल की शिक्षा के साथ जो दूसरी गतिविधियां जैसे गायन, नृत्य, नाटक जैसी सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ ही योगा, खेलकूद आदि में समय-समय पर भाग लेने के लिए जो प्रेरणा दी है, वह अंदर से एक अलग तरह का उल्‍लास पैदा करती है और पैरामेडिकल का कोर्स बोझ नहीं लगता।

दोहरी उपयोगिता साबित कर रहा है पैरामेडिकल

आपको बता दें पैरामेडिकल संकाय विश्वविद्यालय के लिए दो रूप से उपयोगी साबित हो रहा है, जहां विद्यार्थियों की शिक्षा के चलते उनसे फीस के रूप में आमदनी हो रही है, वहीं मरीजों की सेवा में भी पैरामेडिकल स्‍टूडेंट एक बड़े सहायक के रूप में कार्य करते हैं जिससे कहीं न कहीं मानव संसाधन की पूर्ति भी होती है।

नए-नए रास्ते और नई नई गतिविधियां का शौक रखने वाले प्रोफेसर विनोद जैन ने आपातकालीन स्थिति में मरीज को कैसे बचाया जाए इसके लिए केजीएमयू में एटीएलएस की ट्रेनिंग का प्रोग्राम शुरू करके स्किल डेवलपमेंट विभाग की स्‍थापना में भी अपना योगदान दिया है। इसके अतिरिक्‍त हाल ही में प्रो जैन की एक और परिकल्‍पना ने मूर्त रूप लिया है वह है ‘केजीएमयू गूंज’ नाम से विश्वविद्यालय का अपना कम्युनिटी रेडियो स्टेशन। इस रेडियो स्‍टेशन में रेडियो जॉकी के रूप में कार्य करने के लिए प्रशिक्षण की सुविधा भी पैरामेडिकल विद्यार्थियों को नि:शुल्‍क दिये जाने का प्रावधान किया गया है। प्रो जैन कुछ महीनों बाद सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.