चिकित्सा क्षेत्र में हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने के लिए मॉरीशस में 18 से 20 अगस्त को आयोजित किया जा रहा है सम्मेलन
लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डा0 सूर्यकान्त को उनके द्वारा चिकित्सा क्षेत्र में हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने के लिए मॉरीशस में 18 से 20 अगस्त को होने वाने त्रिदिवसीय विश्व हिन्दी सम्मेलन में भारत के सरकारी प्रतिनिधि के रूप में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। केजीएमयू के इतिहास में डा0 सूर्यकान्त पहले चिकित्सक हैं जिन्हें किसी भी विश्व हिन्दी सम्मेलन में भाग लेने हेतु सरकारी प्रतिनिधि के रूप में अमंत्रित किया गया है। इस सम्मेलन में दुनिया भर के तकरीबन सभी देशों के हिन्दी शोध छात्र साहित्यकारक और अकादमिक व्यक्ति भागीदारी करेंगे। ज्ञात रहे कि भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा यह वृहद आयोजन अन्तराष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिये किया जाता है।

ज्ञात रहे कि डा0 सूर्यकान्त को इससे पूर्व भी हिन्दी भाषा के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए कई सम्मान व पुरस्कार मिल चुके है। वे विगत तीन दशकों से हिन्दी भाषा के प्रचार – प्रसार में लगे हुए है। उन्होने अपने एम. डी. पाठ्यक्रम की थीसिस केजीएमसी के इतिहास में सर्वप्रथम हिन्दी भाषा में वर्ष1991 में जमा की थी। जो लम्बे समय तक चले संघर्ष के बाद उ0प्र0 विधान सभा द्वारा एक एतिहासिक प्रस्ताव के बाद ही स्वीकृत हो पायी थी। 12 जनवरी 1992 को चिकित्सा क्षेत्र में हिन्दी भाषा में पहली बार शोध पत्र प्रस्तुत करने का श्रेय भी डा0 सूर्यकान्त को जाता है। वे स्वाइन फ्लू स्लीप एप्निया एलर्जी और टी0बी0 जैसे महत्वपूर्ण चिकित्सा विषयों पर हिन्दी भाषा की पांच पुस्तकों का लेखन कर चुके हैं। चिकित्सा क्षेत्र में हिन्दी के प्रसार के लिए उन्हें हिन्दी संस्थान उ0 प्र0 द्वारा विश्व विद्यालय में हिन्दी प्रचार प्रसारइ हेतु पुरूस्कृत किया जा चुका है।
इसके अतिरिक्त अखिल भारतीय हिन्दी सेवी संस्थान इलाहाबाद द्वारा राष्ट्रभाषा गौरव व विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि से भी सम्मानित किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में उनके एक हजार से अधिक चिकित्सा विषयक लेख और साक्षात्कार हिन्दी में प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त हिन्दी भाषा को चिकित्सा क्षेत्र में स्थापित करने के लिए डा0 सूर्यकान्त को अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय, इटावा हिन्दी निधि विज्ञान प्रभा आदि के द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है। डा0 सूर्यकान्त उ0प्र0 हिन्दी संस्थान के पुस्तक समीक्षक उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार की हिन्दी भाषा समिति के सदस्य भी रह चुके हैं। उन्होनें केजीएमयू में हिन्दी भाषा में रोगियों एवं परिजनों के लिए एक चिकित्सा ज्ञान वाटिका की भी स्थापना की है।
डा0 सूर्यकान्त ने कहा कि सम्मेलन में उनका प्रयास रहेगा कि चिकित्सा के क्षेत्र में हिन्दी के अनुप्रयोग,खास तौर पर रोगों से बचाव, पहचान एवं प्रश्नावलियों के निर्माण में हिन्दी के प्रयोग को सरकारी स्तर पर बढ़ावा मिले। इससे न सिर्फ हिन्दीभाषा में गुणात्मक रूप में सुधार होगा बल्कि आम जनता भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होगी।
