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चिकित्‍सक समय न गंवायें, सीओपीडी की पहचान के लिए स्‍पाइरोमीट्री जांच करायें

-जल्‍दी डायग्‍नोसिस होने से गंभीर होने से बचाया जा सकता है सीओपीडी को

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। क्रॉनिक ऑब्‍स्‍ट्रक्टिव पल्‍मोनरी डिजीज यानी सीओपीडी फेफड़ों में होने वाली ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे बढ़ती है, इसलिए शुरुआती लक्षण नजरअंदाज होते रहते हैं लेकिन यदि शुरुआत में ही लक्षणों के आधार पर यदि इसकी सटीक पहचान के लिए होने वाले स्‍पाइरोमीट्री टेस्‍ट को शुरुआत में ही कराकर इस बीमारी की डायग्‍नोसिस कर ली जाये तो इसे गंभीर होने से बचाया जा सकता है। भारत में होने वाली कुल मौतों में 9.5 प्रतिशत मौतें सीओपीडी के कारण ही होती हैं, यह मौत का दूसरा बड़ा कारण है।

यह जानकारी आज यहां गोमती नगर स्थित एक होटल में विश्‍व सीओपीडी दिवस पर आयोजित पत्रकार वार्ता में रेस्पिरेटरी क्रिटिकल केयर स्‍पेशियलिस्‍ट डॉ बीपी सिंह ने दी। उन्‍होंने बताया कि लोगों को सांस लेने में दिक्‍कत होती है और फेफड़ों में हवा का प्रवाह सीमित हो जाता है। उन्‍होंने कहा कि सांस लेने के मार्ग को अवरुद्ध करने वाली इस बीमारी के शुरुआती लक्षण अक्‍सर नजरंदाज हो जाते हैं, और जब ये लक्षण बढ़ जाते हैं तब तक बीमारी गंभीर हो जाती है। उन्‍होंने कहा कि काफी संख्‍या में चिकित्‍सकों द्वारा क्‍लीनिकल परीक्षण और मरीज के इतिहास पर भरोसा किया जाता है, लेकिन इससे शुरुआती संकेतों को समझने की चूक होने की संभावना ज्‍यादा रहती है। उन्‍होंने कहा कि चिकित्‍सकों को चाहिये कि शुरुआत में ही मरीज का स्‍पाइरोमीट्री टेस्‍ट कराकर सीओपीडी होना कन्फर्म कर लिया जाये।

उन्‍होंने कहा कि सीओपीडी के इलाज में इनहेलर की महत्‍वपूर्ण भूमिका है, लेकिन बहुत से लोग यह सोचते हैं कि इनहेलर बीमारी की एडवांस स्‍टेज में लिया जाता है, जबकि ऐसा नहीं है।

बीपी, डायबिटीज, थायरायड की तरह ही है सीओपीडी

सिप्‍ला द्वारा आयोजित इस पत्रकार वार्ता में शामिल एक अन्‍य विशेषज्ञ डॉ एके सिंह ने कहा कि उन्‍होंने कहा कि जिस प्रकार से ब्‍लड प्रेशर के लिए मशीन से जांच, डायबिटीज के लिए शु्गर की जांच कराकर रोग के बारे में सटीक जानकारी ली जाती है उसी प्रकार लंग फंक्‍शन टेस्‍ट जिसमें विशेषकर स्‍पाइरोमीटर से जांच कराने से सीओपीडी की डायग्‍नोसिस में होने वाले विलम्‍ब से बचा जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि शुरुआती दौर में बीमारी पकड़ में आने से इसे गंभीर बनने से रोका जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि जिस प्रकार ब्‍लड प्रेशर, डायबिटीज, थायरायड की दवा हमेशा चलती है उसी प्रकार सीओपीडी का भी प्रबंधन हमेशा करना होता है।

उन्‍होंने कहा कि जिन क्षेत्रों और आबादी में सांस की बीमारियां होने की ज्यादा संभावना हो, और जहां लोग लगातार सांस की समस्याओं का अनुभव कर रहे हों, उन्हें स्पाइरोमीट्री टेस्ट से काफी मदद मिल सकती है। उन्‍होंने कहा कि सांस की बीमारियों के लक्षण किसी के भी नियंत्रण में नहीं होते, लेकिन सतर्क व जागरूक बने रहकर समय पर इसकी पहचान कर इलाज किया जाना जरूरी है।

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