
लखनऊ। संक्रामक रोगों में से एक रोग चेचक है, इस रोग में शरीर पर छाले की तरह दाने बनते हैं और उनमें खुजली होती है, हालांकि इस रोग में पहले की अपेक्षा काफी कमी आयी है। ज्यादातर लोगों के लिए चेचक एक हल्की बीमारी है। चेचक के टीके चेचक और उसकी संभावित जटिलताओं को रोकने के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। इस बारे में आयुर्वेद में अच्छे इलाज के बारे में वरिष्ठï आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ देवेश कुमार श्रीवास्तव कहते हैं कि आयुर्वेदिक नुस्खों से खसरा चेचक के बचाव व उपचार बहुत आसानी से किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि घबराएं नही यह संक्रामक रोग है लेकिन सभी के थोड़े से प्रयास से रोग से बचाव हो सकता है। डॉ देवेश के अनुसार जहां तक इससे बचाव की बात है तो इसके लिए घर का हर व्यक्ति प्रात: 5-5 नीम की पत्ती व तुलसी के 8 पत्तियों का नियमित सेवन करे। उन्होंने बताया कि तुलसी, अदरक कालीमिर्च, लौंग, इलाइची, दालचीनी, जावित्री कूटपीस कर काढ़ा बनायें तथा छान कर नीबू का रस डाल कर पीयें।
डॉ देवेश बताते हैं कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से इस रोग का आक्रमण होता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रात: भ्रमण योग प्राणायाम वा मौसमी साग सब्जियों फलों का सेवन करते रहें।
उन्होंने बताया कि पंचकर्म चिकित्सा से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है वर्ष में एक बार आयुर्वेद चिकित्सक की देखरेख में पंचकर्म अवश्य करायें साथ ही अपने संस्कार व आचरण अच्छा रखें, स्वस्थ रहेंगे। डॉ. देवेश ने कहा कि अगर व्यक्ति चेचक का शिकार हो गया है तो रोगी का बिस्तर साफ-सुथरा होना चाहिये,नीम पत्तियां बिस्तर पर बिछा दें। उन्होंने कहा कि नीम की पत्तियों से रोगी को हवा करें।
रोगी को दवा के रूप में खाने के लिए ये चीजें दी जा सकती हैं
2 लौंग को पानी में घिस कर चटायें। एक चम्मच तुलसी के पतन का रस दिन में तीन बार दें। उन्होंने कहा कि करेले के पत्तों का रस 2 ग्राम हल्दी चूर्ण दें। उन्होंने कहा कि इसके अलावा तुलसी रस व शहद चटायें, मुनक्का भून कर खिलाएं , कच्चा धनिया 100 ग्राम, जीरा 50 ग्राम 12 घंटे पानी में भिगोयें इसके बाद इन्हें मथ कर पानी में मिलाकर बोतल में भर कर रख लें प्यास लगने पर यही पानी पिलाये जलन शांत हो जाएगी।
डॉ देवेश ने बताया कि नीम की कोपल पीस कर गोलियां बनाकर रख लें सभी लोग खाएं। उन्होंने बताया कि बुखार कम करने के लिए तुलसी की पत्ती बीज सहित और अजवाइन पीसकर कर रोगी को पिलायें।
दानों पर लगाने के लिए
*नीम की छाल का पानी घिस कर दानों पर लगाएं
*हल्दी पानी में घोल कर लगाएं
*संतरा का छिलका पीस कर दानों पर लगाएं
*नीम के पानी से स्नान कराएं
*दानें सूख जाएं तो क्या करें
*कपूर नारियल का तेल मिला कर लगाएं
*आंवला रस को रुई से दानों पर लगाएं
*नीम के तेल में मदार के पत्तों का रस मिला कर दानों पर लगाएं
