लखनऊ। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ जीएस बाजपेई का कहना है कि डेंगू से ग्रस्त व्यक्ति का इलाज करते समय मरीज को एस्प्रिन, ब्रूफेन, स्ट्रॉयड दवा तथा अधिक मात्रा में फ्लूड न चढ़ायें क्योंकि ऐसा करने से डेंगू के मरीज को शॉक सिंड्रोम में जाने का डर रहता है जिससे रोगी की मौत हो सकती है। डॉ बाजपेई ने कहा कि डेंगू से ग्रस्त व्यक्ति को पैरासीटामॉल की गोली देनी चाहिये।
उन्होंने कहा कि ऐसा देखा गया है कि झोलाछाप डॉक्टर या अनभिज्ञ चिकित्सक एस्प्रिन, ब्रूफेन, स्ट्रॉयड दवायें देते हैं जिससे हेमरेजिंग यानी ब्लड वेसेल्स फट जाती है और इसके बाद फ्लूड पर फ्लूड चढ़ाते जाते हैं जिससे रोगी शॉक सिंड्रोम की ओर बढऩे लगता है जिससे मौत हो जाती है।
लोगों की सोच बदलने की जरूरत
सेहत टाइम्स ने जब सीएमओ से पूछा कि अभियान चलने के बावजूद लोग जागरूक नहीं हो रहे हैं जबकि हर रोज नामीगिरामी जगहों पर डेंगू के लार्वा मिल रहे हैं। इस पर डॉ बाजपेई ने कहा कि हम सब आदतों और व्यवहार में एक से हैं इसलिए इस सोच को बदलने की जरूरत है। उन्होंने स्वीकार किया कि जब अभियान में रोज ही डेंगू के लार्वा पाये जा रहे हैं और इस बारे में समाचारों से लोगों को पता भी चल रहा है ऐसी स्थिति में लोगों को सोचना चाहिये कि मच्छरजनित स्थितियों को स्वत: ही समाप्त करें। उन्होंने कहा कि लोगों को चाहिये कि वे सिर्फ अपने-अपने घर ही अगर साफ कर लेंगे तो स्थिति सुधर जायेगी।
नगर निगम को भी एक्टिव रहना होगा
उन्होंने कहा कि नगर निगम से भी कहा जायेगा कि वे जलभराव की स्थिति को समाप्त कराये साथ ही कूड़ा निस्तारण भी करे क्योंकि कूड़ा निस्तारण न होने से पानी जमा होने लगता है। सीएमओ ने कहा कि नगर निगम से यह भी कहा जायेगा कि वे नाले-नालियों की सफाई कराये साथ ही तुरंत ही सिल्ट को भी ठिकाने लगा दें क्योंकि अगर पड़ी रह गयी तो वापस नालियों-नालों में चली जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि बाकी सफाई के साथ ही फॉगिंग कराये जाने की भी आवश्यकता है इसके लिए 25 गाडिय़ों का इंतजाम भी किया जा रहा है।

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