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क्‍लीनिकल स्‍टडी : हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी को होम्‍योपैथिक दवाओं से हराना संभव

-जीसीसीएचआर में हुई दोनों रोगों पर स्‍टडी, प्रतिष्ठित जर्नल में हुई है प्रकाशित

-विश्‍व हेपेटाइटिस दिवस के मौके पर डॉ गिरीश गुप्‍ता से खास मुलाकात


सेहत टाइम्‍स
लखनऊ।
रक्‍त के जरिये लिवर को संक्रमित करने वाले हेपेटाइटिस बी व हेपेटाइटि‍स सी ऐसे रोग हैं जिनमें जान का जोखिम है, इनसे बचने के लिए रक्‍त को संक्रमण से बचाने के लिए अनेक प्रकार की सतर्कता बरतनी आवश्‍यक है। इलाज की बात करें तो होम्‍योपैथी में इसका इलाज संभव है, इन दोनों ही प्रकार के हेपेटाइटिस के रोगियों के इलाज के लिए यहां अलीगंज स्थित गौरांग क्‍लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्‍योपैथिक रिसर्च (जीसीसीएचआर) पर स्‍टडी की जा चुकी है। यह स्‍टडी प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित भी हो चुकी है।

विश्‍व हेपेटाइटिस दिवस (28 जुलाई) के मौके पर इस पर स्‍टडी करने वाले जीसीसीएचआर के चीफ कन्‍सल्‍टेंट डॉ गिरीश गुप्‍ता ने विशेष वार्ता में बताया कि हेपेटाइटिस मुख्‍य रूप से चार प्रकार का होता है, हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी और हेपेटाइटिस ई। खानपान के जरिये होने वाला हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई ज्‍यादा खतरनाक नहीं होता है लेकिन मुख्‍य रूप से रक्‍त में संक्रमण से होने वाला हेपेटा‍इटिस बी और हेपेटाइटिस सी गंभीर संक्रमण होता है, और अगर ध्‍यान न दिया जाये तो यह जानलेवा हो सकता है।

डॉ गिरीश ने बताया कि हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी का संक्रमण इससे ग्रस्‍त व्‍यक्ति के खून या शरीर से निकलने वाले अन्‍य तरल पदार्थों के माध्‍यम से होता है। ऐसे में आवश्‍यक है कि लोग कुछ बातों का ध्‍यान रखें जैसे एक ही सीरिंज से दूसरे व्‍यक्ति को इंजेक्‍शन न लगाया जाये, एक ही ब्‍लेड से दो लोगों की दाढ़ी न बने, सैलून में भी अगर आप बाल कटा रहे हैं या दाढ़ी बनवा रहे हैं तो वहां भी ध्‍यान रखें कि उस्‍तरे में नया ब्‍लेड लगा है अथवा नहीं। इसी प्रकार हेपेटाइटिस से संक्रमित व्‍यक्ति के साथ असुरक्षित शारीरिक सम्‍बन्‍ध बनाने से भी यह होता है।


इसी प्रकार खून चढ़ाने से पूर्व रक्‍त में संक्रमण की जांच बहुत आवश्‍यक है, हालांकि प्रतिष्ठित और प्रमाणित केंद्रों पर इसका ध्‍यान रखा ही जाता है, लेकिन अगर आम व्‍यक्ति के नजरिये से बात करें तो वे किसी अप्रशिक्षित व्‍यक्ति से न तो रक्‍त चढ़वायें और न ही इंजेक्‍शन लगवायें।

हेपेटाइटिस के होम्‍योपैथिक इलाज को लेकर हुई स्‍टडी के बारे में डॉ गुप्‍ता ने बताया कि जीसीसीएचआर पर हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी पर केस स्‍टडी हो चुकी हैं। हेपेटाइटिस बी पर हुई स्‍टडी के बारे में जानकारी देते हुए डॉ गुप्‍ता ने कहा कि हेपेटाइटिस बी के 18 पुष्‍ट केसेज की स्‍टडी की गयी थी, इन सभी को होम्‍योपैथिक दवाएं दी गयीं, साथ ही रेगुलरली इनके वायरल लोड की जांच करायी गयी। इनमें 14 लोगों का वायरल लोड कम हो गया यहां तक कि नौ लोगों में वायरल लोड इसकी डायग्‍नोसिस के समय हुई जांच से भी कम हो गया, जबकि चार रोगियों को दवाओं से लाभ नहीं हुआ। यह स्‍टडी ‘एडवांसमेंट्स इन होम्‍योपैथिक रिसर्च’ जर्नल के वॉल्‍यूम 7 संख्‍या 02 मई 2022 से जुलाई 2022 के अंक में ‘एन एवीडेंस बेस्‍ड क्‍लीनिकल स्‍टडी ऑन होम्‍योपैथिक ट्रीटमेंट ऑफ हेपेटाइटिस बी पेशेंट्स’ शीर्षक से छपी है।

डॉ गिरीश ने बताया कि इसी प्रकार से हेपेटाइटिस सी के 13 केसेज की स्‍टडी की गयी थी इनमें 9 केसेज में वायरस लोड का स्‍तर निगेटिव या कम हो गया जबकि चार केसेज में कोई लाभ नहीं हुआ। इस स्‍टडी का प्रकाशन ‘एडवांसमेंट्स इन होम्‍योपैथिक रिसर्च’ जर्नल के वॉल्‍यूम 2 संख्‍या 2(39) मई 2017 से जुलाई 2017 के अंक में ‘रोल ऑफ होम्‍योपैथिक मेडिसिन्‍स इन द पे‍शेन्‍ट्स ऑफ क्रॉनिक हेपेटाइटिस सी’ शीर्षक से हो चुका है।

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