क्योंकि इलाज लक्षणों के आधार पर नहीं, बीमारी के आधार पर होना चाहिये
पाइल्स, फिशर, फिस्चुला एवं अन्य एनोरेक्टल बीमारियों के नये-नये उपचार को लेकर सीएमई 4 अगस्त को
लखनऊ। इंटरनेट पर देखकर लक्षणों के हिसाब से इलाज करना और झोलाछाप यानी अयोग्य सर्जन से इलाज कराना एक समान है। सही इलाज एक योग्य चिकित्सक ही कर सकता है क्योंकि वह पहले डायग्नोस करता है कि आखिर बीमारी क्या है, और झोलाछाप डॉक्टर लक्षणों के हिसाब से इलाज करता है। ऐसे में अगर बीमारी साधारण हुई तो ठीक हो जाती है, लेकिन अगर जटिल है तो झोलाछाप डॉक्टरों की दवा से केस और खराब हो जाता है, ऐसे मरीज केजीएमयू में बहुत आते हैं, इसलिए मेरी यह सलाह है कि हमेशा योग्य चिकित्सक को ही दिखायें भले ही वह किसी भी विधा का हो।
यह बाज आज यहां केजीएमयू के सर्जरी विभाग में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में डॉ अरशद अहमद ने दी। पत्रकार वार्ता का आयोजन आगामी 4 अगस्त को अटल बिहारी कन्वेंशन सेंटर में होने वाली एक दिवसीय सीएमई ‘प्रॉक्टोलॉजी अपडेट’ के बारे में जानकारी देने के लिए किया गया था। इस कॉन्फ्रेंस में भारत के जाने-माने एनोरेक्टल सर्जन्स अपना व्याख्यान देंगे। सीएमई का उद्देश्य पाइल्स, फिशर, फिस्चुला एवं अन्य एनोरेक्टल बीमारियों के इलाज आधुनिक तकनीकियों की जानकारी प्रदान करना है। सीएमई का आयोजन केजीएमयू के सर्जरी विभाग एवं एसोसिएशन ऑफ कोलन एंड रेक्टल सर्जन्स ऑफ इंडिया द्वारा किया जा रहा है।
डॉ अरशद ने कहा कि पाइल्स के ही इलाज की बात करें तो दरअसल होता यह है कि झोलाछाप चिकित्सक मरीज को लक्षणों के आधार पर दवा दे देते हैं ऐसे में अगर पाइल्स की साधारण बीमारी हुई तो ठीक हो जाती है लेकिन अगर बीमारी में कोई कॉम्प्लीकेशन है तो उस स्थिति में केस बिगड़ जाता है, जबकि इसके विपरीत एक योग्य चिकित्सक बीमारी को पहले अपनी योग्यता, जांच आदि के आधार पर डायग्नोस करते हैं फिर बीमारी के आधार पर इलाज करते हैं। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि मैं किसी विधा के खिलाफ नहीं हूं, बल्कि मेरा मानना है कि जिस बीमारी का इलाज जिस विधा में ज्यादा अच्छा हो, उसमें ही इलाज कराना चाहिये, चाहे वह होम्योपैथी हो, आयुर्वेदिक हो, यूनानी हो। उन्होंने बताया कि इस सीएमई में कुछ आयुर्वेद विशेषज्ञों जो क्षार सूत्र से एनोरेक्टल सर्जरी करते हैं, को भी आमंत्रित किया गया है।
उन्होंने बताया कि इस सीएमई में मुंबई से डॉ परवेज शेख, डॉ कुशल मित्तल, डॉ निरंजन अग्रवाल, सिंगापुर से डॉ सुरेंद्र मंटू, बंगलुरू से डॉ परमेश्वर, जालंधर से डॉ कमल गुप्ता, बीएचयू वाराणसी से डॉ एके खन्ना एवं डॉ मनोरंजन साहू, संजय गांधी पीजीआई से प्रो अशोक कुमार, प्रो यूसी घोषाल, प्रो रमाकांत और प्रो0 संदीप कुमार लखनऊ से तथा केजीएमयू से प्रो अभिजीत चंद्रा, प्रो बृजेश मिश्रा, प्रो अभिनव अरुण सोनकर, प्रो एचएस पाहवा, प्रो अवनीश कुमार, प्रो अरशद अहमद गुदा द्वार की बीमारियों एवं इलाज की नवीनतम तकनीकों के बारे में प्रकाश डालेंगे।
उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में समस्त भारत से लगभग 400 से ज्यादा सर्जन्स प्रतिभाग करेंगे और इस सम्मेलन में व्याख्यान के साथ-साथ Operative Videos & Panel Discussion का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें सीएमई में प्रतिभाग करने वाले सर्जन्स को अधिक लाभ प्राप्त होगा। इस सीएमई के वेबकास्ट का आयोजन भी किया जाएगा जिससे देश-विदेश में इस सीएमई का सीधा प्रसारण देखा जा सकेगा। उन्होंने बताया कि किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय का सर्जरी विभाग एनोरेक्टल बीमारियों के उपचार में अग्रणी है। यहां पर पाइल्स, फिशर, फिस्चुला एवं अन्य एनोरेक्टल बीमारियों के उपचार की आधुनिकतम सुविधाएं उपलब्ध हैं।
इस सम्मेलन के आयोजन अध्यक्ष प्रो0 एए सोनकर, आयोजन सचिव, प्रो अरशद अहमद तथा आयोजन सह-सचिव डॉ पंकज कुमार एवं डॉ संदीप कुमार वर्मा हैं।