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भाजपा सांसद वरुण गांधी ने पुरानी पेंशन को सही ठहराया : इप्‍सेफ

-इप्‍सेफ की बैठक में 11 जून को हो सकती है आंदोलन की घोषणा

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। इंडियन पब्लिक सर्विस इम्पलाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी पी मिश्र ने कहा है कि देश में राशन, पेट्रोल, डीजल, गैस, कपड़ा आदि की कीमतों में कमरतोड़ मंगाई बढ़ने से देशभर के कर्मचारियों का परिवार काफी आर्थिक संकट में पड़ गया है। अधिकांश राज्य सरकारें 3% बढ़ी महंगाई भत्ते का भुगतान भी नहीं कर रही हैं। फ़्रीज़ महंगाई भत्ते एवं कुछ राज्यों में वेतन व अन्य भत्ते का भुगतान भी नहीं कर रही है, कर्मचारी आखिर में जिए तो कैसे। एक तरफ मेहनतकश भुखमरी के कगार पर हैं, दूसरी तरफ बड़े-बड़े पूंजीपति का आमदनी रोज बढ़ती जा रही है। एक तरफ गरीबी दूसरी तरफ उद्योगपति ऐसा लगता है कि देश बंट गया है। गरीब मेहनतकश के लिए आजादी कहां है।

राष्ट्रीय महासचिव प्रेमचंद ने कहा है कि लोकतंत्र में गरीब गरीब होता जा रहा और अमीर अमीर होता जा रहा, यह कहां का न्याय है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो देश का करोड़ों मेहनतकश सड़क पर उतर कर बाहर आ जाएगा। जैसा कि श्रीलंका में हो रहा है। देश के गोदामों में गेहूं का अभाव है, यह और खतरे की घड़ी है। सरकार को आवश्यक वस्तु के दाम गिराने का प्रयास करना चाहिए।

प्रेम चंद्र ने बताया कि‍ 18 मई को वरुण गांधी सांसद भाजपा से इप्सेफ के प्रतिनिधिमंडल ने भेंट कर पुरानी पेंशन बहाली सहित अन्य मांगों का ज्ञापन दि‍या। जिस पर उन्होंने कहा कि‍ पुरानी पेंशन बहाली कर्मचारियों के लिए जरूरी है, वे इस मुद्दे को प्रधानमंत्री के सामने मज़बूती से रखेंगे।

इप्सेफ के राष्ट्रीय सचिव अतुल मिश्रा ने खेद व्यक्त किया है कि कर्मचारी के ऊपर काम करने की शक्ति सरकार कर रही है परंतु उत्तर प्रदेश सरकार फ्रीज डी ए, नगर प्रतिकर भत्ता, वेतन समिति की रिपोर्ट, विभिन्न संवर्गों का पुनर्गठन, सेवा नियमावलि‍यां पर निर्णय न करके नाराजगी मोल ले रही है। स्थानीय निकायों, प्राधिकरण, राजकीय निगमों के कर्मचारियों की हालत और खराब है। उन्हें महंगाई भत्ता भी नहीं दे रही है।

इप्सेफ के पदाधिकारियों ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि समस्याओं पर बातचीत करके तत्काल समाधान निकालें, जिससे कि आपसी सद्भाव बना रहे। इप्सेफ ने यह भी कहा है कि 11 जून को इप्सेफ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में आंदोलन करने की घोषणा भी हो सकती है क्योंकि कर्मचारी अत्यधिक संकट में है।

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