गायत्री महायज्ञ में डॉ चिन्मय पण्ड्या ने किया राष्ट्र निर्माण का आह्वान

लखनऊ। पतन, गिरना तो अति सरल है इसके लिए किसी पुरुषार्थ की आवश्यकता नहीं है और यह कार्य कोई भी कर सकता है, लेकिन उठना, समाज को प्रकाश देना, राष्ट्र के निर्माण के लिए पुरुषार्थ व आत्मबल होना अनिवार्य है, अध्यात्म इसी का नाम है। यह उद्गार देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या ने यहां लखनऊ आज से शुरू हुए दो दिवसीय 51 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ के अवसर पर व्यक्त किये।
गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में यहां आशियाना कथा पार्क में आयोजित इस समारोह में आज सांयकाल सत्र में डॉ चिन्मय पण्ड्या ने उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि इस धरती में समय-समय पर हर युग में महापुरूषों ने समाज को प्रेरणा प्रकाश दिया। इसी क्रम में युग ऋषि पं0 श्रीराम शर्मा ने भी 21वीं सदी उज्ज्वल भविष्य की संकल्पना की है इसके लिए प्रत्येक नर-नारी एवं युवाओं को पुरुषार्थ कर राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाना चाहिये।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि गायत्री परिवार द्वारा व्यक्ति निर्माण, परिवार निर्माण, समाज निर्माण, राष्ट्र निर्माण में बहुमूल्य भूमिका निभायी गयी है राष्ट्र गायत्री परिवार से बहुत उम्मीद करता है। मैं सभी गायत्री परिवार के उपस्थित भाई-बहनों को साधुवाद देना चाहता हूँ। आपका जीवन श्रेष्ठ कार्य के लिए श्रेष्ठ पथ पर है, इसी को जीवन सार्थक कहते हैं।
इससे पूर्व प्रातः के सत्र में हजारों की संख्या में नर-नारियों ने महायज्ञ में श्रद्धा की आहूति देकर लोक कल्याण की प्रार्थना की। मुख्य मीडिया प्रभारी उमानंद शर्मा ने बताया कि कल प्रातःकाल प्रथम सत्र के सभी कार्य के बाद पूर्णाहूति के साथ समापन होगा। इस अवसर पर डॉ चिन्मय पण्ड्या भी रहेंगे।

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