Friday , October 13 2023

‘हॉस्पिटल मेडिसिन’ पद्धति के अनुसार इलाज करने के हैं अनेक लाभ

अमेरिकन कॉलेज ऑफ फि‍जीशियंस-इंडिया चेप्‍टर कांग्रेस 2018 का आगाज

लखनऊ। ‘हॉस्पिटल मेडिसिन’ दरअसल मेडिसिन की ही एक शाखा है। इसमें फोकस इस बात पर होता है कि अस्‍पताल में भर्ती मरीज को कम से कम दिनों तक भर्ती रखकर ज्‍यादा से ज्‍यादा आराम दिया जाये। इसके बारे में यहां शुक्रवार को शुरू हुए तीन दिवसीय अमेरिकन कॉलेज ऑफ फि‍जीशियंस-इंडिया चेप्‍टर कांग्रेस 2018 के पहले दिन कई महत्‍वपूर्ण जानकारियां दी गयीं। इसका आयोजन 31 अक्‍टूबर से 2 सितम्‍बर तक रमाडा प्‍लाजा होटल में किया जा रहा है।

 

हॉस्पिटल मेडिसिन के बारे में अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, कोचीन की डॉ0 विद्या मेनन द्वारा बताया गया कि भारत जैसे देश में हॉस्पिटल मेडिसिन की बहुत ज्यादा जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि यहां की 60 प्रतिशत आबादी अपनी जेब से बीमारियों पर खर्च करती है। डॉ विद्या ने बताया कि हॉस्पिटल मेडिसिन बेसिकली भर्ती मरीजों पऱ् फोकस होता है। इसमे इंटरनल फिजिशियन की टीम द्वारा विभिन्न स्पेशलिस्ट चिकित्सकों के साथ मिलकर पेशेंट केयर की जाती है। इससे मरीज जल्दी ठीक होकर घर जाता है और स्पेशलिस्ट चिकित्सकों का समय बचता है जिससे वे ज्यादा से ज्यादा मरीजों को देख पाता है। उन्‍होंने बताया कि इससे मरीजों को संतुष्टि भी मिलती है कि उसके पास एक चिकित्सक हमेशा रहता है, जो उसके ठीक होने में अत्‍यंत कारगर होती है।

 

उन्‍होंने बताया कि भारत के बहुत सारे बड़े कॉरपोरेट अस्पतालों में गिरावट दर्ज हो रही है क्योंकि इन अस्‍पतालों में मरीजो को पेशेंट केयर देना काफी महंगा है। इस वजह से 80 प्रतिशत मरीज इसे वहन करने में सक्षम नहीं है। जबकि हॉस्पिटल मेडिसिन पर पूरा फोकस मरीजों पर होता है, इससे उसकी संतुष्टि बढ़ जाती है और वो जल्दी ठीक होकर घर चला जाता है। जिससे उसे कम पैसे भी खर्च करने पड़ते है। उन्‍होंने आंकड़ों में जानकारी देते हुए बताया कि मरीज की जल्दी रिकवरी होती है। 92 % मरीज संतुष्‍ट होता है। 14 से 17% खर्चा कम आता हैँ, यही नहीं अन्य दूसरे संक्रमण होने का भी खतरा कम होता है

 

हॉस्पिटल मेडिसिन पर डॉ निशांत कनोडिया ने जानकारी देते हुए बताया कि Hospital medicine एक medicine की ही शाखा है। इसमे भर्ती मरीज होस्पिटलिस्ट मेडिसिन फिजीशियन का यह भी रोल होता है कि जब कोई मरीज सर्जरी के लिये जाता है तो उस समय होने वाले मेडिकेशन के संदर्भ में सर्जन से उसे बात करनी चाहिए जिससे किसी दवा का क्‍या प्रभाव पड़ता है जिससे उस मरीज पर कोई विपरीत प्रभाव ना पड़े। मरीज को अम्बुलटेरी सपोर्ट कितना देना है उसे पता होना चाहिए।

 

उन्‍होंने बताया कि हॉस्पिटल मेडिसिन की शुरुआत US में 1963 में हुई थी। वर्तमान में अमेरिका की तीन संस्थाओं द्वारा इसकी डिग्री दी जाती है। इनमें अमेरिकन कॉलेज ऑफ फिजीशियन, सोसाइटी जनरल इंटरनल मेडिसिन तथा सोसाइटी ऑफ हॉस्पिटल मेडिसिन शामिल हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.