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कुपोषित व्यक्ति को 10 गुना ज्यादा होता है टीबी होने का खतरा

-लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में श्वसन चिकित्सा विभाग और आहार विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम आयोजित

सेहत टाइम्स

लखनऊ। डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ के श्वसन चिकित्सा विभाग और आहार विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आज “पोषण है ज़रूरी : टीबी रोगियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत करना” (Nutrition Matters: Strengthening Immunity in TB Patients) विषय पर एक दिवसीय सतत चिकित्सा शिक्षा (CME) कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संस्थान के निदेशक, प्रो0 (डॉ.) सी0 एम0 सिंह ने क्षय रोग तथा कुपोषण के दुष्चक्र के परिणामों के बारे में लोगों को अवगत कराया तथा उन्होंने बताया कि पूर्व में संस्थान में पोषण पोटली भी वितरित की है। उन्होंने टीबी जैसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने के लिए आयोजक टीम को बधाई दी और विषय की महत्ता पर ज़ोर दिया।

सम्मानित अतिथि के रूप में, हिंद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, अटारिया के प्रिंसिपल और डीन, प्रोफ़ेसर एन.एस. वर्मा ने बताया कि देश में कुपोषण Hidden Hunger के रूप में ज्यादा व्याप्त है। केजीएमयू के श्वसन चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष, प्रोफ़ेसर (डॉ.) सूर्यकांत ने बताया कि कुपोषित व्यक्ति में क्षय रोग होने की संभावना दस गुना बढ जाती है। उन्होंने सभी को निक्षय रोग मित्र तथा अधिक से अधिक वृक्ष लगाने के लिए प्रेरित किया । मंच पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में डीन प्रोफ़ेसर प्रद्युम्न सिंह, कार्यकारी रजिस्ट्रार प्रोफ़ेसर सुब्रत चंद्रा, और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विक्रम सिंह शामिल रहे।

इस सीएमई का मुख्य उद्देश्य चिकित्सा पेशेवरों, आहार विशेषज्ञों और छात्रों के बीच क्षय रोगियों के पोषण प्रबंधन के बारे में जागरूकता बढ़ाना था । क्षय रोग के इलाज में दवाओं के साथ-साथ उचित पोषण की अनिवार्यता को उजागर किया गया, क्योंकि कुपोषण क्षय रोग के जोखिम और गंभीरता को बढ़ाता है।

इस सफल आयोजन के अध्यक्ष डॉ. आरएमएलआईएमएस के श्वसन चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर अजय कुमार वर्मा थे। आयोजन सचिव और संस्थान की वरिष्ठ आहार विशेषज्ञ डॉ. पूनम तिवारी ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सीएमई में संस्थान और अन्य चिकित्सा संस्थानों के कई आहार विशेषज्ञों, छात्रों और कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिससे यह सत्र ज्ञानवर्धक बन सका।

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