लखनऊ। भारतीय वैज्ञानिक और थायरोकेयर टेक्नोलॉजीस लिमिटेड के संस्थापक, अध्यक्ष तथा प्रबन्ध निदेशक डॉ ए वेलुमणि ने आज 21 मई को भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान आईआईटीआर में एक प्रेरक भाषण दिया। उन्होंने वैज्ञानिकों व छात्रों का आह्वान किया कि वे अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलें, उन्होंने उन्हें जोखिम लेने का महत्व समझाया।
डॉ. वेलुमणि ने कहा कि सबसे ज्यादा भाग्यशाली वह है जो गरीब है तथा जिसके पास संसाधनों का अभाव है क्योंकि उसके पास खोने को कुछ भी नहीं है और पाने के लिए पूरी स्वतंत्रता है। उन्होंने थायरोकेयर की सफलता की कहानी सुनायी कि किस तरह उन्होंने एक ही ग्लैंड पर ध्यान केंद्रित कर इसकी स्थापना की। उन्होंने वैज्ञानिक और शोधकर्ताओं का आह्वान किया कि वे एक सामाजिक समस्या उठायें और उसे हल करने का प्रयास करें। उन्होंने नौकरी न चाहने वालों को उद्यमी बनने के लिए प्रोत्साहित किया।
डॉ वेलुमणि ने वैज्ञानिकों से कहा कि वे अपनी समस्याओं को सुलझाने और समाज के लिए उसका समाधान खोजने के लिए उद्योगों के साथ जुड़ें। उन्होंने सीएसआईआर-आईआईटीआर के साथ सहयोग की पेशकश की। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक प्रो. आलोक धवन ने डॉ. वेलुमणि को उनके आने और प्रेरक भाषण के लिए धन्यवाद दिया।
इससे पूर्व डॉ वेलुमणि ने आईआईटीआर के सेन्टर फॉर इनोवेशन एंड ट्रांसलेशनल रिसर्च सीआईटीआर का दौरा किया, जहां डॉ आलोक धवन ने उन्हें संस्थान द्वारा किये जा रहे कार्यों के बारे में बताया। डॉ. वेलुमणि ने अनुसंधान दिशा में आगे बढऩे और उद्योगों के साथ काम करने के लिए आईआईटीआर की सराहना की।
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