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कोरोना काल के बंधनों से खीझ चुके लाड़लों के चेहरों पर लौटाइये मुस्‍कान

-राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने शुरू की है संवेदना टेली काउंसिलिंग

-टोल फ्री टेली काउंसिलिंग नम्‍बर पर फोन घुमाइये, समाधान पाइये

डॉ. विशेष गुप्ता

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। कोविड-19 के चलते पिछले सात महीने से घर-परिवार की सीमाओं में बंधे बच्चों की तमाम तरह की परेशानियों को देखते हुए उनकी काउंसिलिंग की व्यवस्था की गयी है। घर-परिवार या रिश्तेदार में किसी के कोरोना पाजिटिव होने के दौरान बदली स्थितियों या किसी करीबी के साथ कोरोना से होनी वाली अनहोनी का असर बच्चों पर भी पड़ना स्वाभाविक है। इन स्थितियों के चलते डर, चिंता या तनाव में रह रहे 18 साल से कम उम्र के बच्चों की मनोवैज्ञानिक मदद के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने “संवेदना टेली काउंसिलिंग” की शुरुआत की है। इस टोल फ्री टेली काउंसिलिंग का नम्बर 18001212830 है। सोमवार से शनिवार तक सुबह 10 बजे से दोपहर एक बजे तक और दोपहर तीन बजे से रात आठ बजे तक इस नम्बर को डायल कर समस्या का समाधान पाया जा सकता है ।

​उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता का कहना है कि जो बच्चे खुद कोरोना की चपेट में आये हैं या उनके घर-परिवार में कोई कोरोना उपचाराधीन रहा है तो उससे उपजी परिस्थितियों का उनके मन-मस्तिष्क पर असर पड़ना स्वाभाविक है । यह स्थिति लम्बे समय तक बनी रही तो बच्चा मानसिक रूप से अस्वस्थ हो सकता है। इसीलिए यह टेली काउंसिलिंग की सुविधा शुरू की गयी है, जहाँ पर प्रशिक्षित काउंसलर द्वारा उनकी समस्याओं को सुना जाता है और उसका समाधान बताकर उनको उस स्थिति से उबारने की हरसंभव कोशिश की जाती है । 

​डॉ. गुप्ता का कहना है कि बच्चों की एक ढर्रे पर चल रही जिन्दगी में अगर किसी तरह की रुकावट या दिक्कत आती है तो वह जल्दी परेशान हो उठते हैं। ऐसे में जरूरी है कि उनकी समस्या का जितना जल्दी संभव हो सके समाधान निकालकर सही स्थिति में वापस लाना चाहिए । यह कार्य एक प्रशिक्षित काउंसलर या घर-परिवार का वह सदस्य भलीभांति कर सकता है जिससे बच्चे का सबसे ज्यादा लगाव हो ।

बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए क्या करें

– बच्चों की दिक्कतों को ध्यान से सुनें और उनके सवालों का उचित जवाब दें, उनके साथ समय बिताएं

– बच्चों के किसी करीबी मित्र या प्रिय जन से फोन या वीडियो काल से जोड़कर रखें 

– उनको यह समझाने की कोशिश करें कि अगर हम पूरी सतर्कता बरतते हैं तो सुरक्षित रह सकते हैं

– देश-दुनिया में घटित होने वाली घटनाओं की सही-सही जानकारी से उनको अवगत कराएं

– इनडोर (घर के अन्दर) गतिविधियों में उनको व्यस्त रखें और किसी एक हॉबी के लिए प्रोत्साहित करें

– उनको रोजाना कुछ ऐसा कार्य सौंप सकते हैं, जिससे वह कुछ नया सीख सकें