-डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में ओआरएस जागरूकता सप्ताह में आयोजित हुआ कार्यक्रम
सेहत टाइम्स
लखनऊ। डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की निदेशक प्रो0 सोनिया नित्यानंद ने लोगों को संदेश दिया कि ओआरएस और जिंक में डायरिया में बच्चों की जान बचाने की जादुई शक्ति है। इससे हमारे देश में बच्चों की मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। ज्ञात हो भारत में 5 साल से कम उम्र के एक लाख से ज्यादा बच्चों की मौत डायरिया से हो जाती है।
प्रो नित्यानंद ने यह बात आज 27 जुलाई को संस्थान में बाल रोग विभाग द्वारा भारतीय बाल रोग अकादमी के सहयोग से आयोजित ओ0आर0एस0 जागरूकता सप्ताह (25 से 31जुलाई) का शुभारम्भ के मौके पर अपने सम्बोधन में कही। इस वर्ष की थीम है ‘ओ0आर0एस0 और जिंक डायरिया में जोड़ी नम्बर 1 है’
इस अवसर पर जनमानस में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से संस्थान के 2020 बैच एम0बी0बी0एस0 के छात्रों द्वारा नुक्कड़-नाटक प्रस्तुत किया गया जिसमें लोगों को डायरिया के खतरे के लक्षण, डायरिया का प्रबन्धन कैसे करें और बच्चे को अस्पताल कब ले जाना है के बारे में बताया गया।
डा0 पीयूष उपाध्याय, पीडियाट्रिक हेपेटेलॉजिस्ट और गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट ने अपने सम्बोधन में जानकारी दी कि भारत में 5 साल से कम उम्र के 1 लाख से ज्यादा बच्चों की डायरिया से मौत हो जाती है। उन्होंने कहा कि कुपोषण और निमोनिया के बाद 5 साल से कम उम्र के बच्चों में डायरिया मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण है। उन्होंने बताया कि ओ0आर0एस0 और जिंक का समय पर उपयोग, एक सरल और सस्ता उपाय है, जो सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में उपलब्ध है, उन्होंने कहा कि यह दस्त से होने वाली 90 प्रतिशत से अधिक मौतों को कम कर सकता है। यदि दस्त से पीड़ित कोई बच्चा सुस्त हो जाता है, पानी पीना बन्द कर देता है, खाना बन्द कर देता है, पेशाब करना बन्द कर देता है मल से खून आता है, उल्टी होती रहती है, तो उसे तुरन्त प्रबन्धन के लिए निकटतम चिकित्सा सुविधा में ले जाना चाहिए।
बाल रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डा0 दीप्ति अग्रवाल ने बताया कि ओ0आर0एस0 बच्चों के लिए जीवन रक्षक हैऔर डायरिया के इलाज के लिए जिंक और ओ0आर0एस0 का संयोजन जरूरी है और इसे जल्द से जल्द शुरू किया जाना चाहिए। दस्त के खतरे के संकेतों को ध्यान से देखना चाहिए।
डा0 अशोक कुमार गुप्ता, सहायक आचार्य, बाल रोग विभाग ने घर पर ओ0आर0एस0 तैयार करने का तरीका दिखाया। डा0 शितान्शु श्रीवास्तव, सह-आचार्य, बाल रोग विभाग ने कुपोषित बच्चों में डायरिया के खतरों के बारे में बताया। डा0 स्मृति अग्रवाल, विभागाध्यक्ष स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग ने गर्भवती महिलाओं में दस्तके प्रबन्धन के बारे में बताया। चिकित्सा अधीक्षक डा0 श्रीकेश सिंह ने दस्त में ओ0आर0एस0 के महत्व पर प्रकाश डाल लोगों को जागरूक किया।