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केजीएमयू सहित अन्‍य बड़े संस्‍थानों से सीएचसी-पीएचसी में शिविर लगाने का आह्वान

-राज्‍यपाल ने केजीएमयू के दीक्षांत समारोह की अध्‍यक्षता करते हुए 44 मेधावियों को बांटे मेडल व पुरस्‍कार

-चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्‍ना व राज्‍यमंत्री संदीप सिंह शामिल हुए विशिष्‍ट अतिथि के रूप में

-कुलपति ले.ज. डॉ बिपिन पुरी ने बताया केजीएमयू का इतिहास और गिनायीं उपलब्धियां

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश की राज्‍यपाल व कुलाधिपति आनंदी पटेल ने केजीएमयू सहित लख्‍नऊ के चार चिकित्‍सा संस्‍थानों से कहा है कि महिलाओं को होने वाले स्‍तन कैंसर व सर्वाइकल कैंसर से बचाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम तेज करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में शिविर लगायें क्‍योंकि विशेषकर गांव की महिलाओं में इसके प्रति जागरूकता में काफी कमी है।

राज्‍यपाल आज 21 दिसम्‍बर को यहां अटल बिहारी साइंटिफि‍क कन्‍वेंशन सेंटर में आयोजित केजीएमयू के 16वें दीक्षांत समारोह की अध्‍यक्षता करते हुए उसको सम्‍बोधित कर रही थीं। उन्‍होंने कहा कि गांव की महिलाएं अपने परिवार, पशुओं आदि की देखभाल में इतनी व्‍यस्‍त रहती हैं कि अपनी हेल्‍थ के बारे में नहीं सोच पातीं। ऐसे में शिविर लगाकर उन्‍हें कैंसर से बचाने की कोशिश की जा सकती है। उन्‍होंने कहा कि अगर और भी बीमारियां हैं तो उनके बारे में भी शिविर लगाने से पता चल जायेगा।

उन्‍होंने कहा कि लखनऊ में केजीएमयू, एसजीपीजीआई, अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्‍सा विश्‍वविद्यालय और डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्‍थान पीएचसी सीएचसी जाकर कैम्‍प लगायें कैंसर वाली महिलाओं को देखें।  उन्‍होंने कहा कि डॉक्‍टर व अन्‍य जिम्‍मेदार मिलकर काम नहीं करेंगे तो परिणाम नहीं मिलेगा। गुटबाजी, जातीयता नहीं होनी चाहिये, पढ़े-लिखे में यह सब होगा तो अनपढ़ में तो होगा ही। शिक्षा का अर्थ है समभाव होना।

छह नहीं कम से कम 60 टीबी ग्रस्‍त बच्‍चे गोद ले केजीएमयू

उन्‍होंने इस मौके पर केजीएमयू द्वारा टीबी ग्रस्‍त 6 बच्‍चों को गोद लेने की सराहना करते हुए कहा कि छह नहीं कम से कम 60 बच्‍चे गोद लें। उन्‍होंने आह्वान किया कि जितने भी टीचर्स है, अवॉर्ड पाने वाले मेधावी हैं, उन्‍हें भी टीबी के बच्‍चों के बारे में सोचना चाहिये। उन्‍होंने कहा कि टीबी ग्रस्‍त बच्‍चों को गोद लेने के परिणाम अच्‍छे प्राप्‍त हुए है, अब तक  10000 से ज्‍यादा बच्‍चों को गोद लिया जा चुका है और उनमें से 6000 से ज्‍यादा टीबी मुक्‍त हो चुके हैं। उन्‍होंने सुझाव दिया कि केजीएमयू को चाहिये कि हर दीक्षांत समारोह पर एक संकल्‍प लें और उसे अगले दीक्षांत समारोह तक पूर्ण करें।

जन्‍म से दिव्‍यांग बच्‍चों के पैदा होने को रोकना चाहिये

उन्‍होंने दिव्‍यांग बच्‍चों के जन्‍म होने का कारण क्‍या है यदि यह ढूंढ़ लेते हैं तो ऐसे बच्‍चों को बचा सकते हैं। उन्‍होंने संस्‍थागत डिलीवरी पर जोर दिया। मातृ और शिशु मृत्‍यु दर बढ़ रही है इस पर काम करने की जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि जैसा कि आप सब जानते हैं कि अगर  प्रेगनेंसी ट्यूब में हैं तो मां को नहीं बचाया जा सकता है, प्रेगनेंसी ट्यूब में है या गर्भाशय में इस प्रॉब्‍लम के बारे में महिलाओं को बताकर उन्‍हें जागरूक करना होगा। जब शिविर लगायेंगे तो इस बारे में जागरूकता उन तक पहुंचा सकेंगे। महिलाएं संकोच करती हैं, ऐसे कैम्‍प से कई महिलाओें को बचा पायेंगे। उन्‍होंने कहा कि यह यहां यूपी के लिए बहुत जरूरी है क्‍योंकि मैं जिस प्रदेश (गुजरात) से आयी हूं वहां के मुकाबले यूपी में ज्‍यादा गरीबी और अशिक्षा है। उन्‍होंने इस मौके पर विद्यार्थियों से दहेज न लेने और देने की अपील करते हुए कहा कि विशेषकर लड़कियां इस तरह का प्रस्‍ताव हो तो साफ इनकार कर दें।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर चिकित्सा शिक्षा, वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री, सुरेश कुमार खन्ना तथा चिकित्सा शिक्षा, वित्त राज्यमंत्री संदीप सिंह उपस्थित रहे।

आम जनमानस के प्रति संवेदनशील है केजीएमयू : सुरेश खन्‍ना

चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने अपने सम्‍बोधन में कहा कि के0जी0एम0यू0 उत्तर प्रदेश का सबसे पुराना चिकित्सा संस्थान है। अपने स्थापना काल से ही इसने अनगिनत शिक्षाविद्, वैज्ञानिक, चिकित्सक, प्रशासनिक अधिकारी देकर अपनी क्षमता का परिचय देते हुए इस प्रदेश को गौरवान्वित किया है। निश्चित ही आज राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए चिकित्सा विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में जिस बौद्धिक सामर्थ्‍य एवं कौशल की आवश्‍यकता है, उसमें के0जी0एम0यू0 की बेहद अहम भूमिका है। वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की विषम परिस्थितियों में भी के0जी0एम0यू0 द्वारा न केवल कोरोना संक्रमित मरीजों का उपचार किया जा रहा है बल्कि गैर कोरोना संक्रमित मरीजों को भी अपने चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना संक्रमण से बचाते हुए उचित चिकित्सीय परामर्श  तथा उपचारित करना एवं यथा आवश्‍यक इनकी शल्य क्रियाओं का निष्पादन सुचारु रूप से किया जाता रहा है जो कि इस संस्थान की आम-जनमानस के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के प्रति संवेदना का द्योतक है।

समारोह की शुरुआत में कुलपति ने विगत एक वर्ष में चिकित्सा विश्वविद्यालय द्वारा प्राप्त की गई उपलब्धियों का उल्लेख किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रो0 अमिता पाण्डेय, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ तूलिका चन्द्रा तथा डॉ पुनीता मानिक ने किया।   

44 मेधावियों व दो संकाय सदस्‍यों को दिये गये मेडल व पुरस्‍कार

इस मौके पर 44 मेडिकोज और 2 संकाय सदस्यों को मेडल व अवॉर्ड दिये गये। मेडल पाने वालों में 50 प्रतिशत से अधिक संख्या छात्रों की रही। वहीं संकाय सदस्यों में अवॉर्ड प्राप्त करने वालों में डॉ आर0सी0 आहूजा को डॉ के0बी0 भाटिया गोल्ड मेडल और लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड फॉर एमिनेंट फैकल्टी मेंबर 2019 तथा डॉ आर के सरन को डॉ एस0के0 भाटिया गोल्ड मेडल और लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड फॉर एमिनेंट फैकल्टी मेंबर 2020 को कुलाधिपति ने सम्‍मानित किया। 

इस वर्ष प्रतिष्ठित हीवेट और चांसलर मेडल एम0बी0बी0एस के छात्र नितिन भारती को ओवर ऑल स्तर पर सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर दिया गया, उन्हें कुल 15 अवॉर्ड व दो बुक प्राइज दिए गए। इसके साथ ही एम0बी0बी0एस0 की छात्रा आकांक्षा त्यागी को 8 मेडल व दो बुक प्राइज, बीडीएस की छात्रा अंजली मल्ल को 7 गोल्ड मेडल, अंजली सिंघल को चार मेडल व दो बुक प्राइज तथा सोनल रत्नाकर, आयुषी शुक्ला, अभिलाषा कुमारी व गीतिका गुप्ता को दो-दो गोल्ड मेडल सहित कुल 44 मेधावियों को मेडल दिए गये।