-जीसीसीएचआर में हुई साक्ष्य आधारित क्लीनिकल स्टडी प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित
-विश्व आर्थराइटिस दिवस पर जीसीसीएचआर के चीफ कंसल्टेंट डॉ गिरीश गुप्ता से विशेष वार्ता
सेहत टाइम्स
लखनऊ। रिह्यूमेटिक आर्थराइटिस, रिह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस और गाउट यानी गठिया का उपचार होम्योपैथी में किया जाना संभव है। होम्योपैथिक दवाओं से इन तीनों आर्थराइटिस के उपचार पर गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च (जीसीसीएचआर) में बाकायदा क्लीनिकल स्टडीज की जा चुकी हैं। ये स्टडीज होम्योपैथी के प्रतिष्ठित जर्नल के अलग-अलग अंकों में छप चुकी हैं।
विश्व आर्थराइटिस दिवस (12 अक्टूबर) के मौके पर इस बारे में स्टडी करने वाले जीसीसीएचआर के चीफ कन्सल्टेंट डॉ गिरीश गुप्ता से ‘सेहत टाइम्स’ ने बात की। इस वार्ता में डॉ गुप्ता ने तीनों आर्थराइटिस के बारे में किये गये शोध कार्यों की जानकारी दी।
गाउट या गठिया
डॉ गिरीश ने बताया कि गाउट जिसे गठिया भी कहते हैं, यह एक मेटाबोलिक डिस्ऑर्डर है इसमें यूरिक एसिड बढ़ जाता है जो जोड़ों के पास इकट्ठा होकर सूजन पैदा करता है, जिससे तेज दर्द होता है। इसमें रक्त में यूरिक एसिड की जांच करायी जाती है। यूरिक एसिड की नॉर्मल रेंज 7mg% तक नॉर्मल होती है।
उन्होंने बताया कि गठिया के 200 मरीजों पर स्टडी की गई। इसके तहत उपचार से पूर्व और उपचार की समाप्ति पर सभी मरीजों के सिरम यूरिक एसिड लेवल को जांचा गया। इसके परिणामों में पाया गया कि 140 केसेस यानी 70% केसेज में यूरिक एसिड का लेवल नॉर्मल हो गया जबकि 36 मरीजों (18 प्रतिशत) में यह पहले से कम हुआ जबकि 24 मरीजों (12 प्रतिशत) मरीजों को दवा से लाभ नहीं हुआ। यह स्टडी एशियन जर्नल ऑफ़ होम्योपैथी के फरवरी 2011 से अप्रैल 2011 के अंक में प्रकाशित की गई है।
रिह्यूमेटिक आर्थराइटिस या रिह्यूमेटिक हार्ट डिजीज
रिह्यूमेटिक आर्थराइटिस या रिह्यूमेटिक हार्ट डिजीज टॉन्सिल में बीटा हेमोलिटिक स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया (Beta haemolytic streptococcus bacteria) इन्फेक्शन से होता है। इन्फेक्शन के कारण ऐसे टॉक्सिन निकलते हैं जो कुछ समय बाद जोड़ों और हार्ट के वॉल्व में सूजन पैदा कर देता है। इसकी जांच के लिए ब्लड में एएसओ टाइटर का लेवल देखने के लिए जांच करायी जाती है। एएसओ टाइटर की नॉर्मल रेंज 0-200 mg% है। इसके लिए की गयी क्लिनिकल स्टडी में एएसओ टाइटर की नॉर्मल रेंज से ज्यादा वाले 106 केसेस शामिल किये गये। होम्योपैथिक दवा से उपचार के बात एक बार फिर एएसओ टाइटर की जांच करायी गयी जिसके परिणाम यह रहे कि 106 केसेस में से 63 केसेज में एएसओ टाइटर नॉर्मल रेंज में आ गया और 20 मरीजों में इसके लेवल में थोड़ी कमी आयी जबकि 23 मरीजों में दवा से लाभ नहीं हुआ। यह स्टडी भी एशियन जर्नल ऑफ़ होम्योपैथी के 2010 से जुलाई 2010 के अंक में प्रकाशित हुई है।
रिह्यूमेटाइड आर्थराइटिस
रिह्यूमेटाइड आर्थराइटिस एक ऑटो इम्यून डिजीज है, इसमें इम्यून सिस्टम, जो कि रोगों से लड़ने के लिए एंटी बॉडीज बनाता है, अपने ही अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है, इससे शरीर में आरए फैक्टर की मात्रा बढ़ जाती है, आरए फैक्टर की नॉर्मल रेंज 24 IU तक है। इस रेंज से ऊपर होने पर जोड़ों में दर्द और सूजन पैदा हो जाती हैं, जिससे जोड़ों की परतें खराब होने लगती हैं। होम्योपैथिक दवा से उपचार की स्टडी में जांच के बाद रिह्यूमेटाइड आर्थराइटिस के कुल 250 केसेज को शामिल किया गया। उपचार समाप्त होने पर इन सभी मरीजों की आर ए फैक्टर की जांच कराई गई तो इनमें 250 केसेज में 98 मरीजों का आर ए फैक्टर नार्मल रेंज में आ गया जबकि 72 मरीजों में आर ए फैक्टर का लेवल पहले से कम हुआ। जबकि 80 मरीज ऐसे रहे जिन्हें लाभ नहीं हुआ। यह स्टडी भी एशियन जर्नल ऑफ़ होम्योपैथी के फरवरी 2014 से अप्रैल 2014 के अंक में छपी है।
उन्होंने बताया कि इन सभी मरीजों के लिए दवा का चुनाव होम्योपैथी के सिद्धांत के अनुसार किया गया। ज्ञात हो होम्योपैथिक में उपचार रोग का नहीं बल्कि रोगी का किया जाता है, इसीलिए रोगी के लक्षणो, उसकी प्रकृति के बारे में विस्तृत जानकारी लेते हुए बीमारी के मूल कारण तक पहुंच कर दवा का चुनाव कर इलाज किया जाता है।