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कम खाने से ही नहीं, ज्‍यादा खाने से भी होता है कुपोषण : ले.ज.डॉ बिपिन पुरी

-पोषण धारा एसोसिएशन के तत्‍वावधान में दो दिवसीय न्‍यूट्रीकॉन 2022  प्रारम्‍भ  

-देश-विदेश के डायटीशियंस भाग ले रहे, केजीएमयू के कलाम सेंटर में हो रहा आयोजन

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी केजीएमयू के कुलपति ले.ज. डॉ बिपिन पुरी ने कहा है कि कुपोषण कम खाने से ही नहीं, ज्‍यादा खाने से भी होता है।

कुलपति ने यह बात आज से केजीएमयू के कलाम सेंटर में शुरू हुई डायटीशियन की पोषण धारा एसोसिएशन द्वारा आयोजित दो दिवसीय   न्‍यूट्रीकॉन 2022 के उद्धाटन करते हुए अपने सम्‍बोधन में कही। उन्‍होंने कहा कि लोगों में यह मिथ है कि कुपोषण खाना न खाने से हो रहा है, लेकिन आपको बता दें कि ज्‍यादा खाने से भी कुपोषण हो रहा है क्‍योंकि हम मोटापे, डायबिटीज की तरफ बढ़ रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि  हमारी लाइफ स्‍टाइल खराब है, हमारे सोने का समय तय नहीं है क्‍योंकि हम स्‍क्रीन पर ज्‍यादा समय बिता रहे हैं। उन्‍होंने कहा‍ कि आजकल हम क्‍या खा रहे हैं, जंक फूड। ऐसे में आवश्‍यक यह है कि हम डायटीशियन से सलाह लेकर अपने लिए डायट चार्ट फि‍क्‍स कराकर उसी के अनुसार अपना खानपान रखें।

इस कार्यक्रम के आयोजन टीम में केजीएमयू की चीफ डायटीशियन सुनीता सक्‍सेना, एसजीपीजीआई की रमा त्रिपाठी, केजीएमयू की मृदुल विभा तथा चरक हॉस्पिटल की डॉ इंदुजा दीक्षित शामिल हैं। मृदुल विभा ने बताया कि पोषण धारा एसोसिएशन लखनऊ की डायटीशियन ने मिलकर बनायी है। इसी एसोसिएशन के तत्‍वावधान में हो रही इस कॉन्‍फ्रेंस में देश के साथ ही भारत के बाहर नेपाल की डायटीशियन भी भाग ले रही हैं। कॉन्‍फ्रेंस के आयो‍जन का मुख्‍य उद्देश्‍य कुपोषण दूर करना और लोगों में यह जागरूकता पैदा करना है कि क्‍या खायें और क्‍या न खायें, इस बारे में सर्वाधिक अच्‍छे तरीके से राय डायटीशियन से ही मिल सकती है। उन्‍होंने कहा‍ कि कॉन्‍फ्रेंस के माध्‍यम से यह भी जागरूक किया जा रहा है कि अपने यहां के लोकल फूड का सेवन करें क्‍योंकि इसकी उपलब्‍धता और गुणवत्‍ता अच्‍छी होती है। एक सवाल के जवाब में उन्‍होंने कहा कि डायटीशियन से बीमार होने के बाद ही नहीं स्‍वस्‍थ रहने के लिए भी सम्‍पर्क कर सकते हैं।   

शिशु के जन्‍म के बाद समय-समय पर तय करें उसकी खुराक : डॉ शितांशु श्रीवास्‍तव

डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्‍थान के मातृ एवं शिशु रेफरल चिकित्‍सालय की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ शितांशु श्रीवास्‍तव ने अपने प्रेजेन्‍टेशन में बताया कि बच्‍चों को कुपोषण से बचाने के लिए शुरू से ही जागरूक रहना जरूरी है। इसके लिए शिशु के जन्‍म के बाद, फि‍र एक-एक माह में, छह माह, एक साल में आकलन करवाना चाहिये। इसके आकलन में बच्‍चे की हाइट, वजन और उसका सिर का माप आदि देखकर डॉक्‍टर, न्‍यूट्रीशनिस्‍ट, डाइटीशियन के साथ मिलकर उसकी खुराक तय करनी चाहिये। उन्‍होंने बताया कि समय-समय पर जांच करवाने से पता चल जाता है कि बच्‍चा अगर कुपोषण की तरफ बढ़ रहा है तो उसका तुरंत ही पता चल जाता है और उसी के अनुसार उसकी डायट तय कर दी जाती है।

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