लेवल फोर के पद पर लेवल फाइव को तैनाती से आक्रोश
तीन दर्जन डॉक्टर कोर्ट जाने की तैयारी में
लखनऊ। गुरुवार को शासन द्वारा स्वास्थ्य विभाग के सीएमओ, सीएमएस और वरिष्ठ डॉक्टरों की स्थानान्तरण सूची जारी होते ही, स्थानान्तरण प्रक्रिया की सुचिता पर सवाल उठने लगे। पीएमएस एसोसिएशन एवं अन्य डॉक्टरों ने मानव संपदा सॉफ्टवेयर की अक्षमता और शासन की कार्य प्रणाली पर संदेश व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री की मंशा के विपरीत, नियमों को ताक पर रखकर शासन ने मनमर्जी से प्रशासनिक पदों पर लेवल फाइव के अधिकारियों को लेवल फोर के पद पर नियुक्त कर दिया है।
विश्वस्त सूत्रों की माने तो स्वास्थ्य विभाग में स्थानान्तरण सूची से प्रभावित पीएमएस के डॉक्टर, स्थानान्तरण सूची को चुनौती देने न्यायालय जा रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि स्थानान्तरण प्रक्रिया में सुचिता एवं नियमों को दरकिनार किया गया है। स्थानान्तरण में 10 वर्ष की बाध्यता को भी दरकिनार किया गया है। नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर, वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी ने प्रशासनिक पदो पर नियमत: नियुक्ति करने के निर्देश दिये थे, इसके बावजूद अस्पतालों में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का पद लेवल फोर के डॉक्टरों का होता है, मगर स्थानान्तरण द्वारा लेवल फाइव के डॉक्टरों को सीएमएस बना दिया है। इसके अलावा विभिन्न अस्पतालों मे सीएमएस के पद पर आसीन, डॉक्टर जो कि प्रोन्नति पाकर लेवल फाइव में पहुंंच गये थे, उन्हें उक्त अस्पताल से हटाकर दूसरे अस्पताल का सीएमएस बना दिया गया, जबकि सीएमएस के पद पर लेवल फोर के डॉक्टर प्रतिक्षारत थे। उन्होंने बताया कि बलरामपुर अस्पताल में लेवल छह का निदेशक पद है, इस पर लेवल छह के डॉ.ईयू सिद्दीकी को महानिदेशालय में स्थानान्तरण कर, लेवल फाइव के डॉक्टर को जिम्मेदारी सौप दी गई है। जबकि इनसे वरिष्ठ तीन डॉक्टरों को स्थानान्तरण कर दिया। इसी प्रकार सिविल अस्पताल में लेवल फाइव के डॉ. अशोक कुमार सिंह को, लेवल फोर के सीएमएस पद पर तैनात किया गया है। इसके अलावा महानगर (बीआरडी) सिविल अस्पताल में लेवल फाइव के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ.अनिल कुमार श्रीवास्तव को हटाकर, गोंडा जिला अस्पताल का सीएमएस बना दिया गया है जबकि पद लेवल फोर का है। इसके अलावा उक्त अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ की उपयोगिता के लिए संसाधन ही नही है। स्पष्ट है कि स्थानान्तरण सूची में मरीजों के इलाज का हित की अनदेखी हुई है जबकि संबन्ध और रसूख का बोलबाला रहा है। पीएमएस एसो. के पदाधिकारियों का कहना है कि लखनऊ में लेवल फोर के 400 डॉक्टर हैं, जिन्हेंं सीएमएस व सीएमओ पद का इंतजार था, मगर लेवल फाइव के डॉक्टरों की पोस्टिग से आहत डॉक्टर, न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को मजबूर हैं।
मानव संपदा सॉफ्टवेयर सुरक्षित नहीं
पीएमएस एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ.अशोक यादव का कहना है कि मानव संपदा सॉफ्टवेयर में कोई भी व्यक्ति किसी भी डॉक्टर की वरिष्ठता क्रम अंकित कर, सर्विस रिकार्ड खोल सकता है, इतना ही नही रिकॉर्ड में फेरबदल भी किया जा सकता है। अर्थात सॉफ्टवेयर में मौजूद जानकारी पर शतप्रतिशत विश्वास नही किया जा सकता है। एेसे में शासन ने, बिना हकीकत जाने, कागजों पर रिकॉर्ड देखकर स्थानान्तरण सूची तैयार कर दी, यही कारण है कि सूची अनियमित्ताओं से युक्त है।