-उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ ने लिखा मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री को पत्र

लखनऊ। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री व प्रवक्ता डॉ महेन्द्र नाथ राय ने यूपी बोर्ड के हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की परीक्षा एवं मूल्यांकन के पारिश्रमिक की दर को सीबीएसई के समतुल्य करने मांग की है।
डॉ राय ने इस सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं उप मुख्यमंत्री/माध्यमिक शिक्षा मंत्री को इस आशय का पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कोरोना महामारी में भी शिक्षक अपनी जान जोखिम में डालकर कर रहे हैं। जब उत्तर प्रदेश शिक्षा परिषद के पाठ्यक्रम से लेकर शिक्षण एवं परीक्षा तक सब सीबीएसई बोर्ड के अनुसार किया जा रहा है तब पारिश्रमिक की दरों में सीबीएसई बोर्ड से बहुत अधिक अंतर का होना कहां तक न्यायोचित है?
उन्होंने कहा कि सीबीएसई बोर्ड में हाईस्कूल की प्रति कॉपी मूल्यांकन परिश्रमिक ₹25 तथा इण्टर में ₹30 रुपये है जबकि यूपी बोर्ड में हाईस्कूल की प्रति कापी ₹11 और इंटर की प्रति कापी ₹13 रुपये है। इसके अलावा सीबीएसई मे मूल्यांकन केंद्र पर पहुंचने के लिए 250 रुपये आवागमन शुल्क मिलता है जबकि यूपी बोर्ड में केवल ₹27 रुपये मिलता है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को ₹100 प्रतिदिन एवं तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों को ₹200 प्रतिदिन सीबीएसई बोर्ड में मिलता है जबकि यूपी बोर्ड ₹14 और तृतीय श्रेणी को ₹30 प्रतिदिन देता है।
इसी प्रकार जलपान के लिए यूपी बोर्ड में ₹20 रुपये जबकि सीबीएसई ₹75 रुपये प्रति व्यक्ति देती है। इसी तरह परीक्षा में कक्ष निरीक्षक की ड्यूटी करने पर यूपी बोर्ड में ₹96 रुपये मिलता है जबकि सीबीएसई बोर्ड में कक्ष निरीक्षक को ₹200 रुपये ड्यूटी के साथ ₹150 आवागमन के लिए भी मिलता है। इस तरह उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की दरों में और सीबीएससी की दरों में बहुत अधिक का अंतर है।
डॉ राय ने कहा कि मेरा निवेदन है कि ऐसे समय में जब शिक्षक अपना कार्य ईमानदारी से कर रहा है, परीक्षा शुल्क में भारी बढ़ोतरी की जा चुकी है, प्रश्न पत्रों की संख्या में भी कमी आयी है तब पारिश्रमिक की दरों को सीबीएसई के समतुल्य नहीं बनाना अन्याय है। इस असमानता को दूर किया जाये। इसके साथ ही कोरोना महामारी के कारण प्रत्येक मूल्यांकन केंद्रों पर मास्क, सेनिटाइजर, साफ-सफाई, शुद्ध पेयजल तथा जलपान आदि की व्यवस्था के लिए भी प्रत्येक केन्द्र को अलग से कम से कम ₹50 हजार की मदद की जाय तथा प्रत्येक केन्द्र पर चिकित्सक की व्यवस्था भी की जाय। उन्होंने कहा है कि इसके लिए संगठन आभारी रहेगा।

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