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‘आपदा आने के बाद शुरू करते हैं हम तैयारियां, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है’

‘आपदा की तैयारी एवं प्रबंधन’ पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का केजीएमयू में आयोजन

लखनऊ. आपदा तो आपदा है, कभी भी आ सकती है इसलिए यह जरूरी है कि आपदा से निपटने के लिए हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए, लेकिन ज्यादातर देखा यह गया है कि जब आपदा आती है तब हम उससे निपटने की तैयारी करते हैं जिसमें बहुमूल्य समय नष्ट हो जाता है, नतीजा यह होता है कि तब तक जान-माल की काफी क्षति हो चुकी होती है.

 

यह महत्वपूर्ण बात आज किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कलाम सेंटर में आपदा की तैयारी एवं प्रबंधन पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में केजीएमयू के ट्रामा सर्जरी के प्रोफेसर समीर मिश्रा ने बोलते हुए कही. डॉ. समीर का कहना था कि हमें किसी भी आपदा से निपटने के लिए पहले से तैयार रहना होगा तब जाकर हम उस आपदा का प्रबंधन उचित ढंग से कर सकते हैं। ज्यादातर यह देखा गया है कि आपदा हो जाने के बाद हम उससे निपटने की तैयारी करते हैं जिसमे बहुत ही बहुमूल्य समय नष्ट हो जाता है तथा जान-माल को भी काफी क्षति पहुंच जाती है। राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन ट्रामा सर्जरी विभाग, केजीएमयू एवं रिसर्च प्रोफेशनल एसोसिएशन (एआरपी) के संयुक्त तत्वावधान मे किया गया।

 

कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट द्वारा किया गया। प्रो भट्ट ने कहा कि किसी भी आपदा का सामना केवल सरकारी तंत्र के बदौलत नही किया जा सकता। किन्तु सरकारी तंत्र के साथ ही साथ हम सब लोग मिलकर उस आपदा का सामना कर सकते है। इसके लिए हमे आगे आना पड़ेगा। मनुष्य जनित आपदाओं को सावधानी बरतकर रोका जा सकता है, उससे बचा जा सकता है। प्राकृतिक आपदाओं को रोका तो नही जा सकता किन्तु उससे होने वाली क्षति को कम करने के लिए उपाय किया जा सकता है।

 

ट्रामा सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 संदीप तिवारी ने कहा कि ‘‘विश्व मे लगातार हो रहा जलवायु परिवर्तन, हाइड्रो-मेट्रोलाजिकल खतरों के परिमाण और उसकी अवृत्ति को भी बढ़ाएगा। किसी भी प्रकार की आपदा से निपटने के लिए समाज और समाज के लोगो को भी प्रशिक्षित करना चाहिए जिससे समाज के लोग आपदा से निपटने में एवं राहत कार्यो में सहयोग प्रदान कर सके। हमें इस बात का भी ज्ञान होना चाहिए की किसी आपदा के घटित होने पर क्या करना है तथा क्या नहीं करना है। अस्पतालो के पैरामेडिकल एवं चिकित्सकीय स्टाफ को हमेशा तैयार रहना चाहिए की यदि किसी आपदा के घटित होने पर मरीज आते है तो उन्हे तुरंत उपचार मुहैया कराया जा सके। इसके लिए हॉस्पिटल स्टाफ को प्रशिक्षण देना चाहिए। प्रो0 तिवारी द्वारा अपने पिछले अनुभव जैसे नेपाल भूकंप आपदा, केदारनाथ, उत्तराखंड आपदा अदि अनुभवों को साझा करते हुए अपादाओं से निपटने हेतु आपदा की तैयारी करने और प्रबंधन के महत्व पर जोर दिया गया। किसी प्राकृतिक अपादा से निपटने के लिए पूर्व निर्धारित योजना अत्यंत आवश्यक है तथा आपादा की पूर्व सूचना उस आपदा से निपटने के लिए तैयारी करने में सहायक होता है।

 

कार्यक्रम में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. मनोरमा सिंह, विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रही। डॉ. सिंह द्वारा चिकित्सा विश्वविद्यालय एवं इग्नू के सहयोग से चिकित्सा विश्वविद्यालय में दो नये पाठ्यक्रमों के संचालन-सर्टिफिकेट इन डिजास्टर मैनेजमेंट एवं पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन डिजास्टर मैनेजमेंट के संचालन की बात कही गई जो इस सत्र से शुरू हो जाएगा तथा एससी/एसटी के विद्यार्थियों के लिए निःशुल्क होगा। डॉ. सिंह द्वारा चिकित्सा विश्वविद्यालय में भी इग्नू का एक सेंटर स्थापित करने की इच्छा जाहिर की गई।

 

इसके अलावा प्रो0 उदय मोहन, विभागाध्यक्ष कम्युनिटी मेडिसिन विभाग, केजीएमयू, डॉ. यदुवेन्द्र धीर एवं डॉ. आदर्श त्रिपाठी द्वारा आपदा की तैयारियों और प्रबंधन से संबंधित विभिन्न मुद्दो, क्षेत्रों और वर्तमान पहलुओं पर व्याख्यान दिया गया। उपरोक्त कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों के 120 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।

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