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कोविड काल में एनेस्‍थीसिया टेक्‍नोलॉजिस्‍ट्स की भूमिका रही सराहनीय : प्रो धीमन

-एसोसिएशन ऑफ एनेस्‍थीसिया एंड ऑपरेशन थियेटर टेक्‍नोलॉजिस्‍ट उत्तर प्रदेश ने आयोजित किया वेबिनार

-पीजीआई में बीएससी एनेस्‍थीसिया और ऑपरेशन थियेटर टेक्नोलॉजिस्ट के कोर्स मर्ज करने पर होगा विचार

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आर के धीमन ने कहा कि संस्थान के एनेस्‍थीसिया टेक्नोलॉजिस्ट्स ने इस महामारी में सराहनीय भूमिका निभायी है। उन्‍होंने कहा कि संस्‍थान मे चल रहे बीएससी एनेस्‍थीसिया एंड बीएससी ऑपरेशन थियेटर टेक्नोलॉजिस्ट के दोनों कोर्स को मर्ज करने के प्रस्ताव पर विचार किया जायेगा।

प्रो धीमन ने यह विचार आज एसोसिएशन ऑफ एनेस्‍थीसिया एंड ऑपरेशन थियेटर टेक्‍नोलॉजिस्‍ट उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित वेबि‍नार को सम्‍बोधित करते हुए व्‍यक्‍त किये। उन्‍होंने विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनिल अग्रवाल की कार्यप्रणाली को भी सराहा। इस मौके पर उन्होंने वैक्सीनेशन के संदर्भ में बहुत सी भ्रांतियों को दूर किया और सभी को कोविड-19 उपयुक्त आचरण के बारे में सतर्कता बरतने को कहा, उन्‍होंने कई छोटी-बड़ी सतर्कता बरतने के सुझाव देते हुए कहा कि सावधानियां नहीं बरती गयीं तो तीसरी लहर आ सकती है। उन्होंने इससे बचाव के उपाय भी सुझाये।

जब माता-पिता लगायेंगे तो बच्चा भी लगायेगा मास्‍क

उन्‍होंने बच्‍चों को कोविड प्रोटोकॉल पालन कराने के लिए कहा। उन्‍होंने कहा कि 12 साल तक के जो बच्‍चे हैं उनको लगाया जाने वाला मास्‍क ध्‍यान दें कि वह प्रॉपर साइज का हो। उन्‍होंने ‘एप्रोप्रिएट बिहैबियर थ्रू पेरेन्‍ट्स’ पर जोर देते हुए कहा कि माता-पिता स्‍वयं भी मास्‍क लगायें, हम अगर बाहर से आकर पैर नहीं धोएंगे तो बच्‍चा भी धोएगा, हम अगर सफाई नहीं रखेंगे तो बच्‍चा भी नहीं रखेगा, कहने का अर्थ है कि बच्‍चे वही सीखते हैं, जो वे देखते हैं, इसलिए आवश्‍यक है कि हम वही आचरण करें जो बच्‍चों को सिखाना चाहते हैं।

नवजात में कोविड की संभावना न के बराबर

संजय गांधी पीजीआई के प्रोफेसर अंबेश ने बच्चों के साथ मां-बाप को अत्यधिक सावधानी बरतने और नवजात शिशुओं में इस रोग से ग्रसित होने की संभावना नहीं के बराबर बतायी। उन्होंने बताया है कि बच्चों में दो रिसेप्टर्स नहीं पाए जाते,  इसलिए उनमें यह संभावना नहीं के बराबर होती है जिससे वे कोविड-19 संक्रमित होने से बच जाते हैं। एक अन्‍य महत्‍वपूर्ण जानकारी देते हुए उन्‍होंने कहा कि बच्‍चों में यदि ऑक्‍सीजन कम हो तो उन्‍हें बड़ों की तरह पेट के बल नहीं लेटाना चाहिये।

बच्‍चों को घर पर न दें ऑक्‍सीजन

एसजीपीजीआई की डॉ कीर्ति नाराजे ने बच्चों में शीघ्र डायग्नोसिस और लक्षणों के आधार पर शीघ्र पहचान कर उनको भर्ती कराने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्‍होंने कहा कि बच्‍चों को घर पर ऑक्‍सीजन नहीं देनी चाहिये, बेहतर होगा उन्‍हें अस्‍पताल में भर्ती करा दिया जाये।

बच्‍चों में कैसे पहचानें कोविड के लक्षण

बच्‍चों में कोविड पहचानने के लक्षणों के बारे में महत्‍वपूर्ण जानकारी देते हुए एचएएल लखनऊ हॉस्पिटल के सीनियर मेडिकल सुपरिन्‍टेंडेंट डॉ ए के मिश्रा ने कहा कि यदि 5 दिन से ज्यादा बुखार आ रहा हो, रैशेज पड़ना, आंखों में लाली होना और बच्चे के व्यवहार में परिवर्तन ये सभी लक्षण ऐसे हैं जिन्‍हें देखते ही तुरंत चिकित्‍सक से सम्‍पर्क करना चाहिये। वहीं संजय गांधी पीजीआई की डायटीशियन निरुपमा ने बच्चों को पौष्टिक आहार के साथ-साथ हरी सब्जियां, दाल, पनीर और सभी फलों को अपने आहार में शामिल करने की बात कही।

कम संसाधनों में भी कैसे तैयार करें कोविड मरीज के लिए ओटी

 इस अवसर पर एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी, पीजीआई में ऑपरेशन थियेटर्स के टेक्‍नीकल ऑफि‍सर राजीव सक्सेना ने अपनी प्रस्तुति में कोविड-19 के बचाव के लिए ऑपरेशन थिएटर की तैयारी के विषय में बताया। इसके अतिरिक्‍त राजीव ने बताया कि जहां ऑपरेशन थियेटर में कम संसाधन हैं वहां भी आप कोविड पॉजिटिव मरीज का ऑपरेशन करा सकते हैं, इसके बारे में उन्‍होंने टेक्‍नीशियंस को क्‍या-क्‍या सावधानियां बरतनी है, इसकी जानकारी दी। इसके अतिरिक्‍त मुंबई से जुड़े शेषनाथ ने ऑपरेशन थियेटर को विसंक्रमित करने के उपायों पर अपनी प्रस्तुति दी।