-क्वीन मैरी अस्पताल में डॉ जैसवार की टीम ने महिला के पेट से निकाला ओवेरियन ट्यूमर

सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय स्थित क्वीनमैरी हॉस्पिटल में चिकित्सा अधीक्षक प्रो.एसपी जैसवार व उनकी टीम ने 50 वर्षीय महिला के पेट से 31 किलो 100 ग्राम का ओवरी ट्यूमर सफलता पूर्वक निकाला है। मरीज को ऑब्जर्वेशन के लिए आईसीयू में रखा गया है, ऑपरेशन के बाद मरीज की हालत स्थिर है।
खास बात यह है कि 31 किलो का ट्यूमर एक दिन में तो बनता नहीं है, ऐसे में महिला और घरवालों की अज्ञानता पर प्रश्नचिन्ह लगता है कि आजकल के जमाने में सरकारी से लेकर प्राइवेट तक में जगह-जगह अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई जैसी जांचों की सुविधा मौजूद है, इसके बावजूद जांच न कराना आश्चर्यजनक है। फिलहाल अंत भला तो सब भला की बात करें तो गत दिवस 26 अगस्त को तीन घंटे लम्बी सर्जरी कर महिला के गर्भाशय, अंडाशय, दोनों ट्यूब सहित डिम्बग्रंथि ट्यूमर को निकाल दिया गया है, ट्यूमर को इंफ्राकोलिकोमेंटेक्टोमी के साथ हिस्टोपैथोलॉजिकल जांच के लिए भेजा गया है जिससे कैंसर होने या न होने की पुष्टि हो सके।

इस बारे में प्रो जैसवार ने बताया कि शाहजहांपुर की रहने वाली महिला पेट में अत्यधिक सूजन, सांस फूलने की समस्या लेकर क्वीनमैरी हॉस्पिटल में आयी थी। रोगी को 1 वर्ष से पेट में अत्यधिक सूजन की शिकायत थी। प्रो जैसवार का कहना है कि आज की दुनिया में यह बहुत कम संभावना है कि एक मरीज इतने बड़े ट्यूमर के साथ आए क्योंकि आमतौर पर यूएसजी, सीटी और एमआरआई जैसी उन्नत तकनीकों की मदद से ट्यूमर का बहुत प्रारंभिक चरण में पता लगाया जाता है, लेकिन इस महिला रोगी ने अपनी अज्ञानता के कारण, प्रारंभिक अवस्था में किसी भी अस्पताल में नहीं दिखाया, और जब उसका पेट अत्यधिक बढ़ गया और उसे सांस लेने में कठिनाई हुई, तो उसने कई अस्पतालों का दौरा किया, लेकिन सफल उपचार नहीं पा सकी, इसके बाद वह क्वीनमैरी हॉस्पिटल पहुंची। उन्होंने बताया कि यहां विभिन्न प्रकार की आवश्यक जांच करके 26 अगस्त को ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के दौरान 2 यूनिट ब्लड पैक्ड सेल्स को ट्रांसफ्यूज किया गया।

प्रो जैसवार ने बताया कि सर्जरी की टीम में उनके साथ प्रो सीमा मेहरोत्रा, डॉ मोनिका अग्रवाल के साथ अन्य जूनियर डॉक्टर्स शामिल रहीं जबकि सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया की प्रो रजनी गुप्ता व उनकी टीम के साथ ही सिस्टर इंचार्ज ऐन्सी वी वर्गीस शामिल रहीं।
उन्होंने बताया कि डिम्बग्रंथि के कैंसर में अनुमानित 2,39,000 नए मामले हैं और दुनिया भर में सालाना लगभग 1,52,000 मौतें होती हैं। लगभग 85% डिम्बग्रंथि ट्यूमर में कैंसर नहीं पाया जाता है जबकि केवल 15% घातक होते हैं, लेकिन चूंकि इस रोगी को 1 वर्ष के भीतर ट्यूमर के आकार में वृद्धि हुई है इसलिए संदेह है कि यह घातक प्रकृति का है।
प्रो जैसवार ने बताया कि डिम्बग्रंथि के कैंसर महिलाओं में तीसरा सबसे आम कैंसर और भारत में दूसरा सबसे आम जननांग अंग कैंसर है। उन्होंने बताया कि 75 में से एक महिला को कैंसर होने का खतरा होता है और 100 में से 1 महिला को कैंसर के कारण मृत्यु का खतरा होता है। आईसीएमआर के दिशानिर्देशों के अनुसार सभी कैंसर की बात करें तो डिम्बग्रंथि कैंसर लगभग 3.34% होता है। उन्होंने बताया कि 50-65 वर्ष की आयु वाली महिलाओं में होने वाले इस रोग के कारणों में देर से मीनोपॉज होना, स्तनपान न कराना और मोटापा होना है।

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