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शोधों की कसौटी पर कसी सम्राट विक्रमादित्‍य की ऐतिहासिकता का बखान करने वाली पुस्‍तक का लोकार्पण 13 अप्रैल को

-नववर्ष चेतना समिति के नवसंवत्सर समारोह के मुख्‍य अतिथि होंगे डॉ महेन्‍द्र सिंह

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। पूर्व की भांति नववर्ष चेतना समिति आनंद संवत्सर मंगलवार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रम संवत 2078 13 अप्रैल 2021 को भारतीय नव वर्ष के स्वागत के उपलक्ष्य में विक्रमोत्सव 2078 का आयोजन कर रही है। यह आयोजन स्थानीय विपुल खंड, गोमती नगर स्थित आईएमआरटी में किया जा रहा है। इस समारोह में ‘भारतीय इतिहास में सम्राट विक्रमादित्य’ पुस्तक का विमोचन किया जाएगा पुस्तक की सम्पादकद्वय डॉ निवेदिता रस्तोगी व गुंजन अग्रवाल हैं।

इस बारे में समिति के अध्यक्ष डॉक्टर गिरीश गुप्ता तथा सचिव डॉ सुनील कुमार अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया है कि सायं 7 बजे से होने वाले विक्रमोत्सव 2078 समारोह के दौरान पुस्तक ‘भारतीय इतिहास में सम्राट विक्रमादित्य’ एवं तिथि पत्रक (पंचांग) का लोकार्पण मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के जल शक्ति मंत्री डॉ महेंद्र सिंह द्वारा किया जाएगा। समारोह की अध्यक्षता लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया करेंगी तथा अन्य अतिथियों में उत्तर प्रदेश के संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉक्टर नीलकंठ तिवारी तथा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा एवं पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय पटना के कुलपति प्रो सुरेन्‍द्र प्रताप सिंह (एसपी सिंह) उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री संजय कुमार होंगे।

पुस्‍तक ‘भारतीय इतिहास में सम्राट विक्रमादित्य’ की विशेषता के बारे में डॉ गुप्ता का कहना है कि इस पुस्तक में 2 साल पूर्व लखनऊ विश्वविद्यालय में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश भर से आए मूर्धन्य विद्वानों द्वारा सम्राट विक्रमादित्य की ऐतिहासिकता, तिथि निर्धारण, कालानुक्रम विक्रमादित्य के कार्य, उनके नवरत्न, विक्रम संवत पंचांग निर्माण आदि अनेक विषयों पर अपने-अपने शोध पत्रों का वाचन करके विक्रमादित्य की ऐतिहासिकता को प्रतिपादित किया था। इस विचार मंथन में बहुत से नवीन तथ्य भी प्रकाश में आए थे इसी मंथन की सार्थक परिणित है ‘भारतीय इतिहास में सम्राट विक्रमादित्य’ शीर्षक का यह शोध ग्रंथ। इस पुस्‍तक में संगोष्ठी में पठित 18 शोध पत्रों को सम्मिलित किया गया है। डॉ सुनील कुमार अग्रवाल ने बताया कि‍ भारतीय सभ्यता, साहित्य कला संस्कृति ज्ञान विज्ञान के संरक्षण और प्रचार प्रसार में उज्‍जयिनी नरेश मालवगणाधिपति सम्राटविक्रमादित्य का अद्वितीय योगदान है। ईसा से 57 वर्ष पूर्व उन्होंने विदेशी शकों के उन्मूलन के उपलक्ष्‍य में विक्रम संवत का प्रवर्तन किया। विक्रमादित्य के काल में भारत का सांस्कृतिक साम्राज्य अरब तक पहुंच चुका था और प्रागैस्लामी अरबी कवियों ने विक्रमादित्य का यशोगान किया है। उनकी लोकप्रियता से प्रभावित होकर अनेक परवर्ती राजाओं ने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी।

डॉ गुप्ता का कहना है कि नववर्ष चेतना समिति बीते 5 वर्षों से प्रत्येक हिंदू नव वर्ष पर विक्रम संवत आधारित एक पंचांग का नियमित प्रकाशन कर रही है इसमें ज्योतिषीय सूचनाओं, पर्व त्योहारों, जयंतियों, महत्वपूर्ण सूचनाओं से संबंधित उपयोगी सामग्री प्रकाशित की जाती है। उन्होंने बताया कि समिति द्वारा भारत सरकार से शासकीय कामकाज में विक्रम संवत का प्रयोग अनिवार्य करने का अनुरोध करते हुए इसे राष्ट्रीय कैलेंडर का स्थान प्रदान करने का अनुरोध किया गया है।