Tuesday , October 31 2023

कोविड-19 उपचार में कार्यरत कार्मिकों संबंधी संशोधित निर्देश जारी

-अब पोस्‍टमॉर्टम रिपोर्ट की आवश्‍यकता नहीं, सिर्फ चिकित्सीय डेथ रिपोर्ट ही काफी
-शीघ्र संज्ञान लेकर संशोधित पत्र जारी करने पर राज्‍य कर्मचारी संयुक्‍त परिषद ने जताया आभार
‘सेहत टाइम्‍स’ ने शाम 7.59 पर प्रकाशित की थी खबर, कुछ ही देर में संशोधन जारी

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। कोविड-19 महामारी का उपचार व उसके बचाव के लिए कार्यरत कार्मिकों की संक्रमण से मृत्यु की दशा में उनके आश्रितों को 50लाख की एकमुश्त अनुग्रह धनराशि दिये जाने सम्‍बन्‍धी शासन द्वारा जिलाधिकारी को अधिकृत किये जाने सम्‍बन्‍घी आदेश में आंशिक संशोधन किया गया है, अब कोरोना की रोकथाम के लिए कार्य कर रहे कार्मिक की संक्रमण के चलते मृत्‍यु होने की दशा में पोस्‍टमॉर्टम रिपोर्ट होना आवश्‍यक नहीं है, सिर्फ चिकित्सीय डेथ रिपोर्ट को ही आधार माना जायेगा। इस संशोधन को शीघ्रता के साथ कुछ ही घंटों में जारी करने पर राज्‍य कर्मचारी संयुक्‍त परिषद ने शासन का आभार जताया है।

आपको बता दें शनिवार को राजस्व विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार की ओर से प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों, पुलिस आयुक्त लखनऊ एवं गौतम बुद्ध नगर, सभी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक तथा सभी पुलिस अधीक्षक को इस संबंध में पत्र भेजा गया था, पत्र के अनुसार कोविड-19 की रोकथाम में लगे सभी विभागों, निगमों, स्वायत्तशासी संस्थाओं, प्राधिकरणों आदि अन्य सभी सरकारी, अर्द्ध सरकारी, संविदा कर्मी, दैनिक वेतन भोगी, आउटसोर्स, स्थायी, अस्थायी कर्मियों के आश्रितों को यह धनराशि दी जाएगी।

पत्र में लिखा गया था कि इसकी स्वीकृति के लिए संबंधित जनपद के जिलाधिकारी अधिकृत होंगे, जबकि इसके लिए कार्यालयाध्यक्ष का इस आशय का प्रमाण पत्र की संबंधित कार्मिक कोविड-19 की रोकथाम, उपचार व उससे बचाव के कार्यों के लिए नियुक्त था, तथा साथ ही पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी का इस आशय का प्रमाण पत्र कि‍ संबंधित कार्मिक की मृत्यु कोविड-19 के संक्रमण से हुई है, देना जरूरी होगा।

इसके बाद राज्‍य कर्मचारी संयुक्‍त परिषद के वरिष्‍ठ उपाध्‍यक्ष सुनील कुमार यादव व महामंत्री अतुल मिश्रा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर शासन से अनुरोध किया कि पत्र में कार्मिक की मृत्‍यु के लिए पोस्‍टमॉर्टम रिपोर्ट की अनिवार्यता को हटा कर सिर्फ चिकित्सीय डेथ रिपोर्ट को ही आधार माना जाना चाहिये क्‍योंकि कोविड-19 के पूर्व में जारी प्रोटोकॉल में यह साफ लिखा गया है कि कोरोना के संक्रमण से मृत्यु होने पर यथासंभव पोस्टमॉर्टम न किया जाये। अपरिहार्य परिस्थितियों में अगर पोस्‍टमॉर्टम करना भी पड़े तो उसके लिए पोस्‍टमॉर्टम कार्य करने वालों की सुरक्षा के लिए दस बिन्‍दुओं की औपचारिकता पूरी करनी आवश्‍यक है। ऐसे में यथासंभव पोस्‍टमॉर्टम न करने के प्रोटोकॉल को पूरा किये जाने के लिए आवश्‍यक है कि राजस्‍व विभाग द्वारा जारी निर्देशों की बिंदु संख्‍या में दिये निर्देशों में संशोधन किया जाना चाहिये, यानी कार्मिक की मृत्यु का कारण, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से तय करने की अनिवार्यता समाप्‍त करते हुए सामान्य चिकित्सीय डेथ रिपोर्ट को ही आधार माना जाना चाहिए, अन्यथा तकनीकी कारणों से मृतक कर्मी का परिवार भटकता रहेगा, और सरकार की सहायता देने की मंशा पूरी नहीं हो सकेगी।

इस खबर को ‘सेहत टाइम्‍स’ ने शनिवार 11 अप्रैल, 2020 को शाम 7.59 पर पोर्टल पर प्रकाशित किया था। कुछ ही घंटों में शासन ने इसका संशोधित आदेश जारी किया है। इसकी सूचना राज्‍य कर्मचारी संयुक्‍त परिषद के वरिष्‍ठ उपाध्‍यक्ष सुनील कुमार यादव ने दी और बताया कि शासन ने उनके अनुरोध को स्‍वीकार कर लिया है और नया पत्र जारी हो गया है। उन्‍होंने सरकार, शासन, प्रशासन सभी का आभार जताया है।