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प्रोस्‍टेट के इलाज में जरूरी नहीं ऑपरेशन, दवाओं से भी उपचार संभव

बढ़ी हुई प्रोस्‍टेट को छोटा करना भी दवाओं से सम्‍भव    

लखनऊ। प्रोस्‍टेट की प्रॉब्‍लम पुरुषों को आमतौर पर 50 वर्ष की आयु के बाद हो सकती है। इसे कैसे पहचानें, इसमें क्‍या साव‍धानियां बरतें और कैसे बचाव करें इस बारे में किंग जॉर्ज चिकित्‍सा विश्‍व विद्यालय के डॉ विनोद जैन ने बिक्री कर अधिकारी प्रशिक्षण केंद्र में केजीएमयू और आरोग्य भारती अवध के संयुक्‍त तत्‍वावधान में आयोजित स्‍वास्‍थ्‍य प्रबोधन कार्यक्रम में बताया। उन्‍होंने खास जानकारी देते हुए बताया कि अब इसके इलाज में ऑपरेशन जरूरी नहीं है, ऐसी-ऐसी दवायें आ गयी हैं जिससे इलाज सम्‍भव है। उन्‍होंने बताया कि यहां तक कि बढ़ी हुई प्रोस्‍टेट को दवाओं से छोटा करना भी सम्‍भव है।

 

डॉ जैन ने प्रोस्टेट की बीमारियों पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि इस बीमारी के प्रति जागरूक रहना जरूरी है। अगर किसी को पेशाब में रुकावट हो, बार-बार पेशाब जाना पड़े, पेशाब जाने के बाद संतुष्टि न मिले, रात में बार-बार पेशाब के लिए उठना पड़े तो डॉक्‍टर से सम्‍पर्क करना चाहिये। प्रोस्टेट के लक्षणों और स्थिति के आधार पर, डॉक्टर उचित उपचार की सलाह देंगे। उन्‍होंने बताया कि अगर इलाज समय पर नहीं लिया जाता है तो रोगी को गुर्दे की खराबी, प्रोस्‍टेट कैंसर जैसी बीमारियों की आशंका बनी रहेगी।

 

उन्‍होंने कहा कि प्रोस्टेट के लक्षणों से छुटकारा पाने और प्रोस्टेट के आकार को कम करने के लिए आजकल चिकित्सा उपचार उपलब्ध है। अगर रोगियों को दवाइयों से राहत नहीं मिली है या जटिलताएं हैं तो सर्जरी की जानी चाहिए। कैंसर से होने वाली रोकथाम के लिए, व्यक्ति को बहुत सारे ऐसे फल और सब्जियां लेना चाहिए जिसमें एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं जैसे गाजर, टमाटर, पपीता,  इत्यादि।

 

डॉ जैन ने वहां उपस्थि‍त लोगों की शंकाओं का समाधान किया तथा पूछे गये प्रश्‍नों का उत्‍तर दिया। उन्‍होंने इस मौके पर अपनी पूर्व में प्रोस्‍टेट पर हिन्‍दी में लिखी किताब भी वितरित की।

 

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