-लोगों को ही रक्त दान करने के लिए आगे आना होगा, इसका कोई विकल्प नहीं
-विश्व रक्तदाता दिवस पर विशेष लेख
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विश्व रक्तदाता दिवस 14 जून को रक्तदाताओं के सम्मान में कार्ल लैंड स्टीनर प्रख्यात ऑस्ट्रेलियन जीव विज्ञानी के जन्मदिन पर मनाया जाता है । उन्होंने रक्त में ऐब्लू टिन्न की मौजूदगी के आधार पर ब्लड ग्रुप का वर्गीकरण किया। जिसके लिए 1930 में नोबेल पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया।
रक्त सुरक्षा कार्यक्रम का मूल उद्देश्य आवश्यकतानुसार प्रत्येक व्यक्ति को उसकी सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति को नजरंदाज करते हुए उच्च गुणवत्ता वाला रक्त या रक्त अवयव उपलब्ध कराना है । बिना भुगतान वाले स्वैच्छिक रक्तदाताओ द्वारा सुरक्षित रक्तदान से ही इसे पूरा किया जा सकता है। साथ ही व्यावसायिक रक्तदान को समाप्त करते हुए स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देना तथा प्रति स्थानी रक्त में कमी लाना है।
लोगो में जागरूकता बढ़ाने के लिए जगह-जगह प्रतियोगितायें की जाती हैं, रैलियां निकाली जाती हैं। पोस्टर प्रतियोगिता में लोग बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं, जिससे पता चलता है कि लोग रक्तदान के प्रति जागरूक हो रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में प्रतिवर्ष लगभग 22 लाख यूनिट की आवश्कता होती हैं। जबकि मात्र 13 लाख 59 हज़ार यूनिट ही पूर्व वर्ष में संग्रहीत किया गया है। यह देखा गया है कि कुल रक्तदान का मात्र 27 प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान होता है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2020 तक 100 प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
रक्त की आवश्यकता केवल नियमित एवम् स्वैच्छिक रक्तदान से ही पूरी की जा सकती हैं। स्वैच्छिक रक्तदान से प्राप्त रक्त ही सबसे सुरक्षित होता है । रक्तदान से गंभीर रोगों से पीड़ित लोगों को नया जीवन दिया जा सकता है । इसलिए स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ईस दिन को पूरे माह मनाया जाएगा । इस वर्ष विश्व रक्तदाता दिवस की थीम Safe Blood Saves lives तथा स्लोगन Give Blood and make world a healthier place है।
रक्त का कोई विकल्प नहीं है, रक्त किसी लैब में बनाया नहीं जा सकता। जिसे रक्त की आवश्कता होती हैं उसे केवल रक्त से ही जीवनदान मिल सकता है। एक यूनिट रक्तदान से 4 लोगों की जान बचाई जा सकती हैं। हर दो सेकंड में किसी ना किसी को रक्त की आवश्कता पड़ती हैं। रक्तदान करने योग्य व्यक्ति सिर्फ 4 प्रतिशत ही रक्तदान करते हैं। आज रक्तदान कर जीवनदान दें। कल आवश्कता पड़ने पर आपको भी रक्त प्राप्त होगा।
रक्तदान कई ज़िन्दगी बचाता हैं। इसका एहसास तब होता है जब हमारा अपना कोई ज़िन्दगी और मौत से जूझ रहा होता है। बच्चों के जन्मदिन या अन्य खुशी के अवसरों पर रक्तदान कर खुशियों को बढ़ाया जा सकता है और परोपकार वा मानवता जैसी मूल्यों को ज़िन्दा रखा जा सकता है।
कुछ भ्रांतियां हैं, जिसके कारण लोग स्वेच्छा से रक्तदान करने से हिचकते हैं, यह भी बताना हैं की शरीर में रक्त बनने की प्रक्रिया सदैव चलती रहती हैं । रक्तदान के लिए स्पष्ट प्रक्रिया का पालन किया जाता है । स्वछता पर विशेष ध्यान दिया जाता है । रक्तदान में मात्र 10 से 15 मिनट समय लगता है । व्यक्ति पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। रक्तदान करने से बहुत ज्यादा संतुष्टि मिलती हैं । रक्तदान की मेहत्वा को अपने से जुड़ी सभी लोगो को समझना चाहिए ताकि वो रक्तदान के लिए आगे आए। स्वैच्छिक रक्तदान से ही रक्त की कमी को पूरा किया जा सकता है।
वर्तमान में देश ही नहीं पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है। ऐसे में जहां सर्जरी तथा दुर्घटनाएं कम होने के कारण रक्त की आवश्कता में कमी आयी है, वहीं आवागमन में असुविधा व कोरोना को लेकर भ्रांतियों के चलते स्वैच्छिक रक्तदान में कमी आई है। स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए शिविर के लिए एन बी टी सी तथा एस बी टी सी द्वारा गाइडलाइंस जारी किए गए हैं जिसमें सामाजिक दूरी को ध्यान से रखते हुए शिविर लगाए जा रहे हैं।
हमारे प्रदेश में कुल 352 रक्तकोष संचालित हैं। जिसमें सरकारी 107 एवं गैरसरकारी 245 रक्तकोष हैं। आउटडोर शिविर अथवा रकतकोष में जाकर कोई भी व्यक्ति जिसकी उम्र 18-65 वर्ष के बीच हो तथा वजन 45 किलोग्रम से अधिक हो तथा हीमोग्लोबिन कम से कम 12.5, हो प्रत्येक तीन माह पर पुरुष तथा 4 माह पर महिलाएं रक्तदान कर सकती हैं। किसी को रक्तदान देकर आप उसे जीवनदान देते हैं और तमाम ज़िंदगियों के चेहरे पर मुस्कुराहट पैदा करते हैं।
महिलाओं में रक्तदान का प्रतिशत बहुत ही कम मात्र 4.33 प्रतिशत है। शायद महिलाएं रक्तदान के क्षेत्र में इसलिए पीछे हैं कि इसकी आवश्कता पर ध्यान कम दे रही हैं। समय नहीं निकाल पाती हैं। परिवार में व्यस्त रहती हैं। अक्सर एनीमिक होती है, कुछ तो भ्रांतियों का शिकार हैं, महिलाओं को आगे आना चाहिए। सभी भ्रांतियों को दूर करें। मात्र 10-15 मिनट का समय निकालें। रक्तदान कर जीवनदान देकर अपना नाम जगत जीवनदायिनी के रूप में सार्थक करें। जहां महिलाएं सभी क्षेत्रो में आगे हैं, रक्तदान के क्षेत्र में भी महिलाओं को अपना पूर्ण योगदान देना चाहिए।
रक्तदान करना जरूरी है, विशेषकर गर्भवती माताओं, गंभीर रूप से बीमार रोगियों, सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों, हीमोफीलिया / थैलीसीमिया इत्यादि के रोगियों को रक्त की कमी ना होने पाए। जिससे आवश्यकता पड़ने पर जरूरतमंद को दुर्लभ रक्त ग्रुप, मुख्यत: निगेटिव ब्लड ग्रुप की कमी से होने वाली जीवन हानि से बचाए जा सके। प्रदेश में स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ाने में युवा वर्ग तथा महिलाओं के योगदान की विशेष आवश्कता है।
इस अवसर पर उन सभी रक्तदाताओं को धन्यवाद , जिन्होंने रक्तदान करके अनेकों चेहरे को मुस्कान दी है। आप इस प्रकार लोगों को जीवनदान देते रहें और जो लोग ईस अभियान में भी नहीं जुड़े हैं उनसे निवेदन है कि वे भी स्वेच्छा से रक्तदान करें। यकीन जानिए यदि रक्तदान करेंगे तो अपने को इतना संतुष्ट और गौरवान्वित महसूस करेंगे कि बार-बार करने की इच्छा होगी।
-हीरा लाल, निदेशक-डॉ गीता अग्रवाल, सचिव, राज्य रक्त संचरण परिषद, उत्तर प्रदेश
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