एरा मेडिकल यूनिवर्सिटी ने डेवलप किया सही एंटीबायोटिक चुनने का सॉफ्टवेयर

लखनऊ। एंटीबायोटिक्स के बढ़ते रजिस्टेंस की खबरों के बीच एक राहत भरी खबर है यहां की एरा मेडिकल यूनिवर्सिटी ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर डेवलप किया है जिससे यह पता चल सकेगा कि व्यक्ति को किस स्तर की एंटीबायोटिक दी जानी है।
यह जानकारी एरा मेडिकल यूनिवर्सिटी में आयोजित दो दिवसीय यूपी यूके माइक्रोन में देते हुए एरा मेडिकल यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर विनीता खरे ने बताया कि यह देश का पहला ऐसा सॉफ्टवेयर है जिससे सही एंटीबायोटिक्स का चुनाव किया जा सकेगा। इस कांफ्रेंस में प्रदेशभर से आए हुए माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने एंटीबायोटिक के रेजिस्टेंस के खतरों पर अपने-अपने विचार व्यक्त किए।
केजीएमयू के प्रोफेसर प्रशांत गुप्ता ने बताया कि एंटीबायोटिक के बढ़ते रजिस्टेंस के खतरे को देखते हुए यह जरूरी है कि बिना जांच किए कोई इलाज शुरू न किया जाए। यह जांच केजीएमयू के अलावा प्रदेश में कुछ ही जगह उपलब्ध है।
पीजीआई चंडीगढ़ से आए प्रोफेसर पल्लव रे ने बताया कि कॉलिस्टिन (colistin) एंटीबायोटिक पर प्रतिबंध लग चुका है जो कि जानवरों को दिया जाता है क्योंकि यह आखिरी एंटीबायोटिक है जो रेजिस्टेंस बैक्टीरिया पर असर करता है।

Sehat Times | सेहत टाइम्स Health news and updates | Sehat Times