-कार्डियक, पल्मोनरी, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज की समस्या बाधक नहीं बनेंगी सर्जरी में
-भारत में पहली बार पेरिऑपरेटिव मेडिसिन पर एसजीपीजीआई आयोजित कर रहा तीन दिवसीय सम्मेलन
सेहत टाइम्स
लखनऊ। कल्पना कीजिए किसी मरीज की कोई सर्जरी करना बहुत आवश्यक है लेकिन वह मरीज दूसरी बीमारियों से भी ग्रस्त है, और उन बीमारियों को नियंत्रित किए बिना सर्जरी नहीं की जा सकती है, ऐसे में सर्जरी से पहले उसे उन विभागों के चक्कर काटने पड़ते हैं जहां उसकी वह बीमारी ठीक होनी होती है, अब इस दौड़भाग से मरीज को बचाने के साथ ही एक ही जगह उसकी इन समस्याओं से मरीज को राहत देने के एनेस्थीसिया विभाग आगे आया है। भारत में एक नये कॉन्सेप्ट पेरिऑपरेटिव मेडिसिन से एनेस्थीसियोजॉजिस्ट को परिचय कराने के लिए के साथ ही इसकी विभिन्न विभागों में विभिन्न चिकित्सकों के पास दौड़ बढ़ाने के दृष्टिकोण से भारत में एक नया कॉन्सेप्ट पेरिऑपरेटिव मेडिसिन का आया है इसकी पहली राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस संजय गांधी पीजीआई के एनेस्थिसियोलॉजी एंड इंटेन्सिव केयर विभाग द्वारा 6 से 8 अक्टूबर तक इंडियन सोसाइटी ऑफ इंटेंसिव केयर एंड पेरीऑपरेटिव मेडिसिन (आईसीआईपीएम) का तीन दिवसीय पहला वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। सम्मेलन के तहत आज पहले दिन वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इसका औपचारिक उद्घाटन कल 7 अक्टूबर को प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक करेंगे।
कॉन्फ्रेंस के आयोजन अध्यक्ष प्रो एसपी अंबेश और आयोजन सचिव प्रो पुनीत गोयल ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पूरे भारत से लगभग 500 डॉक्टर, प्रतिष्ठित विशेषज्ञ और प्रतिनिधि इसमें भाग ले रहे हैं। उन्होंनें बताया कि उपस्थित लोगों को विभिन्न संगोष्ठियों, व्यावहारिक कार्यशालाओं, पैनल चर्चाओं, संरचित व्याख्यानों आदि के माध्यम से प्री-ऑपरेटिव, इंट्रा-ऑपरेटिव और पोस्ट ऑपरेटिव यानी ऑपरेशन से पूर्व, ऑपरेशन के दौरान और ऑपरेशन के बाद की स्थितियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए रोगी देखभाल में सुधार करने के बारे में नवीनतम विकास के बारे में जानकारी मिलेगी।
कार्डियो पल्मोनरी एक्सरसाइज टेस्ट
डॉ गोयल ने बताया कि आज 6 अक्टूबर को एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया जिसमें कार्डियो पल्मोनरी एक्सरसाइज टेस्ट के बारे में जानकारी दी गई उन्होंने बताया कि इस टेस्ट के तहत हम लोग एक विशेष प्रकार की साइकिल पर मरीज का टेस्ट करते हैं टेस्ट के दौरान उस मरीज की हार्टबीट आदि पैरामीटर पर नजर रखी जाती है, यह टेस्ट अगर जिससे अगर मुझे इस टेस्ट को पास कर लेता है तो यह आसानी से समझा जा सकता है कि मरीज सर्जरी करने लायक है।
उन्होंने बताया कि एसजीपीजीआई लखनऊ में उन रोगियों को रेफर किया जाता है जो जटिल चिकित्सा या शल्य चिकित्सा रोगों से पीड़ित होते हैं, जैसे खराब नियंत्रित रक्तचाप, मधुमेह, अस्थमा, सीओपीडी, कोरोनरी धमनी रोग और अन्य प्रणालीगत विकार लेकिन विभिन्न कारणों से सर्जरी की आवश्यकता होती है। इन सर्जिकल रोगियों को अपनी चिकित्सा समस्याओं के इलाज के लिए एक विशेषज्ञता से दूसरी विशेषज्ञता में भटकना पड़ता है और सर्जरी के लिए काफी लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है। ऐसे रोगियों को एक पेरीऑपरेटिव चिकित्सक की देखरेख में भर्ती किया जा सकता है जो सभी संबंधित देखभाल करता है चिकित्सीय समस्याओं का निदान करता है और रोगी को सर्जरी के लिए तैयार करता है। पेरिऑपरेटिव मेडिसिन सर्जिकल रोगियों को सर्जरी के चिंतन से लेकर रिकवरी तक के पूरे सर्जिकल मार्ग में रोगी-केंद्रित, बहु-विषयक, एकीकृत देखभाल प्रदान करती है तथा उच्च गुणवत्ता वाली पेरिऑपरेटिव देखभाल जटिलताओं को कम करती है, परिणामों में सुधार करती है, और रोगी की संतुष्टि के साथ ही स्वास्थ्य देखभाल की लागत को कम करती है।
संक्षेप में कहा जा सकता है कि पेरिऑपरेटिव मेडिसिन आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल में सर्वोपरि महत्व की तेजी से विकसित होने वाली विशेषता है, क्योंकि यह संपूर्ण पेरिऑपरेटिव अवधि के दौरान उच्च जोखिम वाले सर्जिकल रोगियों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। यह रोगी को सर्जरी के लिए तैयार करने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञता, सहयोगी टीम वर्क और अनुसंधान को जोड़ती है, और इस तरह अनावश्यक देरी से बचाती है। व्यापक पेरीऑपरेटिव देखभाल कम स्वास्थ्य देखभाल लागत के साथ सर्जिकल परिणामों में सुधार, जटिलताओं को कम करने, एक ही छत के नीचे रोगी देखभाल की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाने और रोगी की संतुष्टि में सुधार लाने के लिए जानी जाती है।