-केजीएमयू के इमरजेंसी मेडिसिन विभाग ने मनाया अंतर्राष्ट्रीय इमरजेंसी दिवस
सेहत टाइम्स
लखनऊ। विश्व में लगभग पांच करोड़ लोग सर्पदंश के शिकार होते हैं, लेकिन उसमें से आधे ही जहरीले होते हैं और इनमें से लगभग एक लाख लोग मृत्यु का शिकार होते हैं जबकि चार लाख लोग अज्ञानता की वजह से उपचार को लेकर अपने मन से गलत निर्णय लेकर दिव्यांगता का शिकार हो जाते हैं।
यह बात किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के इमरजेन्सी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो हैदर अब्बास ने आज 27 मई को “आपको आपातकालीन सेवा प्रदान करने पर हमें गर्व है” अभियान/theme के तहत इन्टरनेशनल इमरजेन्सी मेडिसिन डे में सतत् चिकित्सा शिक्षा CME एवं कार्यशाला Workshop के आयोजन के मौके पर बतायी। ज्ञात हो 27 मई को विश्व में पहली बार इमरजेन्सी मेडिसिन सोसायटी बनाई गयी थी। सर्पदंश की समस्या की महता को देखते हुए स्नेकबाइट लाइफ सपोर्ट (Snake Bite Life Support) की कार्यशाला का आयोजन किया गया।
प्रो० हैदर अब्बास ने बताया कि इमरजेन्सी मेडिसिन केवल एक विभाग नहीं, बल्कि हेल्थ केयर सिस्टम की रीढ़ की हड्डी है। इमरजेन्सी मेडिसिन डे पर आज विभाग में CME में टॉक्सिकोलॉजी एवं सर्पदंश पर व्याख्यान दिया गया। प्रो० अब्बास ने बताया कि इस मौके पर स्नेकबाइट लाइफ सपोर्ट (Snake Bite Life Support) और बेसिक लाइफ सपोर्ट की कार्यशाला का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि इमरजेन्सी मेडिसिन को सशक्त करना समाज की सुरक्षा को सुनिश्चित करने जैसा है।


प्रो० हैदर अब्बास ने बताया कि इमरजेन्सी मेडिसिन frontline, time critical विशेषता है जो मृत्यु और जीवन की स्थितियों/life and death situation से सम्बन्धित है। मीडिया से चर्चा में प्रो० अब्बास ने बताया कि यदि स्नेक बाइट, स्ट्रोक, हार्ट अटैक, इन्जरी और जहर खुरानी के रोगी ससमय विन्डो पीरियड में इमरजेन्सी में आते हैं तो काफी हद तक मृत्यु दर घटाई जा सकती है और दिव्यांगता को बचाया जा सकता है। इस कार्यक्रम में फैकल्टी, रेजीडेन्टस्, नर्सिंग ऑफिसर्स ने हिस्सा लिया। आइये आज के दिन हम संकल्प लें कि हर आपात स्थिति में हर जीवन की रक्षा- हमारी प्राथमिकता होगी। कार्यक्रम का संचालन डा० आशीष कुमार मिश्रा के द्वारा किया गया।
उन्होंने अज्ञानता के चलते दिव्यांग होने से बचाव के लिए अपनायी जाने वाली बातों का उल्लेख करते हुए बताया कि इसके तहत लोग काटे जाने वाली जगह पर दुपट्टा या कोई अन्य कपड़ा बहुत टाइट करके बांध लेते हैं, जिससे खून का दौड़ान तक रुक जाता है और कई बार अंग काटने की नौबत आ जाती है, इसी तरह कुछ लोग उंगली आदि को ही काट देते है, इसी प्रकार कुछ लोग चीरा आदि लगा लेते हैं, कुछ लोग झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ जाते हैं, इन बातों से लाभ के बजाय नुकसान हो जाता है। उन्होंने कहा कि खुद अपने मन से उपचार करने के बजाय बिना समय गंवाये सीधे पास के स्वास्थ्य केंद्र पर सम्पर्क करना चाहिये, जहां उनका प्रॉपर इलाज हो सके।
इस अवसर पर प्रतिभागियों ने इमरजेन्सी मेडिसिन क्विज प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, जिसमें हिमांशु मित्तल ने प्रथम पुरुस्कार प्राप्त किया। कार्यक्रम में सर्पदंश जनजागरूकता पर नुक्कड़ नाटक का प्रस्तुतिकरण कार्यक्रम के आयोजन सचिव डा0 मुकेश कुमार के नेतृत्व में किया गया। नुक्कड़ नाटक में विवेक कुमार, संध्या देवी, पुष्पा कुमारी, बगदा राम, नेहा मिश्रा, राजकुमार यादव, हिमांशु मित्तल, प्रीती, निधी बेन पटेल, विकास मिश्रा एवं प्रियंका सिंह ने अभिनय किया।
कार्यक्रम के अन्त में पुरुस्कार वितरण समारोह में प्रो० हैदर अब्बास, डा० प्रेमराज सिंह, डॉ० एहसान सिद्दीकी एवं डॉ० मुकेश कुमार ने प्रतिभागियों को पुरुस्कार वितरण किया। धन्यवाद प्रस्ताव डॉ० सारिक आलम ने रखा।
