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आगरा के मेडिकल कॉलेज में कोविडग्रस्त 78 वर्षीय मरीज की मौत

-कॉलेज के प्रिंसिपल ने कहा, मौत की वजह कई प्रकार की गंभीर बीमारियां प्रतीत हो रहीं

सेहत टाइम्स

लखनऊ/आगरा। शहर के सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में आज सुबह 78 वर्षीय एक बुजुर्ग मरीज मुसाफिर राम की मौत हो गई। मरीज कोरोनाग्रस्त था, साथ ही उसे कई प्रकार की पुरानी बीमारियां होने की भी बात बतायी जा रही हैं, यही वजह है कि कॉलेज के प्रिंसिपल कोरोना से मौत की पुष्टि नहीं कर रहे हैं उनका कहना है कि मौत का कारण पुरानी बीमारियों होना प्रतीत होता है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार फिरोजाबाद निवासी यह मरीज पिछले कई दिनों से सिकंदरा क्षेत्र के एक निजी अस्पताल में भर्ती था, जहां उसका कूल्हे का ऑपरेशन हुआ था। मरीज को लगातार बुखार और खांसी की शिकायत बनी हुई थी, जिस पर प्राइवेट लैब से कराई गई कोरोना जांच में रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इसी आधार पर रविवार रात उसे एसएन मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया था।

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. प्रशांत गुप्ता के अनुसार, मरीज की हालत अत्यंत गंभीर थी, डॉ. गुप्ता ने कहा कि हमने मरीज को कोविड संदिग्ध मानते हुए एडमिट किया था, लेकिन जब तक कॉलेज की पुष्टि होती, मरीज की मृत्यु हो गई। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मरीज को पहले से कई गंभीर बीमारियां थीं, सिर में खून के थक्के, क्षतिग्रस्त फेफड़े, लिवर फेलियर और रीढ़ की हड्डी की जटिल समस्याएं थीं। इसकी हालत बेहद नाज़ुक थी और मृत्यु का मुख्य कारण यही पुरानी बीमारियां प्रतीत होती हैं।

कॉलेज प्रशासन का कहना है कि वे केवल अपनी मान्यता प्राप्त लैब की रिपोर्ट को ही कोविड पुष्टि के लिए आधार मानते हैं। इसलिए मृतक को कोविड संदिग्ध की श्रेणी में रखा गया था, न कि पुष्टि मरीज के रूप में।

ज्ञात हो विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना का यह वेरियंट बहुत खतरनाक नहीं है, लोगों को सतर्क रहने की जरूरत तो है लेकिन बहुत चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। मुख्यमंत्री ने भी प्रदेश में कोविड-19 की अद्यतन स्थिति की समीक्षा बैठक में स्पष्ट किया था कि भारत सरकार द्वारा कोविड-19 को लेकर कोई नई एडवाइजरी जारी नहीं की गई है। फिर भी थाईलैंड, सिंगापुर और हांगकांग जैसे देशों में JN.1 उपवेरिएंट के चलते संक्रमितों की संख्या में हुई वृद्धि को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश में भी सतत निगरानी आवश्यक है। उन्होंने निर्देश दिया था कि राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल और स्वास्थ्य इकाइयां अलर्ट मोड में रहें और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहें।

 

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