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न पानी, न शहद, न ही कुछ और, छह माह तक शिशु को दें सिर्फ मां का दूध

-स्तनपान के प्रति जागरूकता बढ़ाने को फार्मासिस्टों से आगे आगे आने का आह्वान

-विश्व स्तनपान सप्ताह प्रारम्भ होने के मौके पर फार्मेसिस्ट फेडरेशन ने उठाया कदम

सुनील यादव

सेहत टाइम्स

लखनऊ। विश्व स्तनपान सप्ताह के अवसर पर फार्मेसिस्ट फेडरेशन ने एक लिखित अपील और वीडियो ट्यूटोरियल्स जारी करते हुए सभी फार्मेसिस्टों से अनुरोध किया है कि स्तनपान से होने वाले लाभ के बारे में जनता में जन जागरूकता फैलाने के लिए आगे आएं। अपील के माध्यम से फार्मेसिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि फार्मेसिस्ट जनता के अत्यंत करीब होता है चाहे वह कम्युनिटी फार्मेसिस्ट हो जो मेडिकल स्टोर पर जनता के सीधे संपर्क में होता है, वहीं हॉस्पिटल या क्लिनिकल फार्मेसिस्ट भी मरीज के सीधे संपर्क में आकर औषधि वितरण, स्वास्थ्य सुविधाएं देने के साथ साथ उनकी काउंसलिंग भी करते हैं। एकेडमिक फार्मेसिस्ट, वैज्ञानिक फार्मेसिस्ट की भूमिका बौद्धिक होने के कारण और भी बढ़ जाती है।

उन्होंने कहा कि यह अत्यंत खेद का विषय है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिशों के विपरीत 6 महीने से कम उम्र के आधे से भी कम शिशुओं को गाइडलाइन के अनुरूप विशेष रूप से स्तनपान कराया जाता है, निश्चित ही इसका कारण जागरूकता की कमी और पूर्व से चली आ रही परंपराएं हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ के अनुसार ‘स्तनपान’ बच्चे के स्वास्थ्य और जीवन को सुनिश्चित करने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है।

मां का दूध शिशुओं के लिए आदर्श भोजन है। यह सबसे सुरक्षित और स्वच्छ है। मां का पहला दूध जिसे कोलेस्ट्रम कहते हैं, में एंटीबॉडीज होते हैं जो बच्चे को अनेक प्रकार की सामान्य बचपन की बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं इसलिए यह सलाह दी गई है कि जन्म के 1 घंटे के अंदर ही शिशु को स्तनपान आवश्यक रूप से करा दिया जाए, चिकित्सालयों में प्रसव होने पर ओटी टेबल पर ही स्तनपान करा दिया जाता है। स्तन का दूध शिशु के जीवन के पहले महीनों के लिए आवश्यक सभी ऊर्जा और पोषक तत्व से परिपूर्ण होता है। इसीलिए यह सलाह दी जाती है कि शिशु को जन्म के बाद प्रथम 6 माह में मां के दूध के अलावा पानी, शहद, भोजन या कुछ भी अतिरिक्त नहीं दिया जाना चाहिए।

मां का दूध पहले वर्ष के दूसरे छमाही के दौरान बच्चे की पोषण संबंधी ज़रूरतों का आधा या उससे ज़्यादा हिस्सा और जीवन के दूसरे वर्ष के दौरान एक तिहाई तक पूरा करता है। इसके अनुसार बच्चे को 6 माह के बाद 2 वर्ष तक मां के दूध के साथ साथ पौष्टिक भोज्य पदार्थ भी शिशु चिकित्सकों की सलाह से दिया जाना चाहिए अर्थात छह महीने के बाद पोषण की दृष्टि से पर्याप्त और सुरक्षित पूरक आहार की शुरूआत कर देनी चाहिए।

रिपोर्ट के अनुसार स्तनपान करने वाले बच्चे बुद्धि परीक्षणों में बेहतर प्रदर्शन करते हैं, उनका वजन अधिक होने या मोटापे की संभावना कम होती है और बाद में जीवन में मधुमेह होने की संभावना कम होती है। यह भी जानना और लोगों को बताना आवश्यक है कि स्तनपान कराने वाली माताओं में स्तन और डिम्बग्रंथि ओवरी के कैंसर का जोखिम भी कम होता है, गर्भावस्था के दौरान बढ़ा हुआ वजन कम होता है, इसके अलावा भी अनेक मानसिक और शारीरिक लाभ होते हैं।

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