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शासनादेश के बावजूद जानवरों के अस्‍पतालों में फार्मासिस्‍ट की तैनाती नहीं

-केंद्र ने राज्‍य सरकारों को दिये थे जानवरों के अस्‍पतालों में भी ऐलोपैथी फार्मासिस्‍ट की तैनाती के आदेश
सुनील यादव

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। “वेटरनरी अस्पतालों में प्रयोग होने वाली औषधियां एलोपैथी होती हैं, ऐसी सभी औषधियों का भंडारण एवं वितरण केवल पंजीकृत फार्मासिस्ट एलोपैथी द्वारा ही किया जाना विधि के अनुकूल है, अतः देश के सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को अपने सभी वेटरनरी अस्पतालों में एलोपैथी फार्मेसिस्ट जो स्टेट फार्मेसी काउंसिल में पंजीकृत हो को तैनाती देकर नियमों का पालन करना चाहिए”। इस आशय का एक पत्र फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा सभी राज्यों को भेजा गया है। स्‍टेट फार्मेसी काउंसिल ने यह आशा जतायी है कि मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ इसका संज्ञान लेकर नियुक्तियों के आदेश जारी करेंगे।

स्टेट फार्मेसी काउंसिल उत्तर प्रदेश के पूर्व चेयरमैन एवं राजकीय फार्मासिस्ट महासंघ के अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया की 107 वी सेंट्रल काउंसिल की बैठक जो अगस्त माह में नई दिल्ली में संपन्न हुई थी उसमें निर्णय लिया गया था कि ‘कुछ प्रदेशों में अभी भी वेटरनरी अस्पतालों में पंजीकृत फार्मासिस्ट तैनात नहीं हैं, जिससे फार्मेसी एक्ट 1948 की धारा 42 का उल्लंघन हो रहा है। देश में उक्त एक्ट का पालन कराने हेतु सभी राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखा जाए’। 11 अक्टूबर 2019 को काउंसिल ने पत्र भेजते हुए सभी राज्य सरकारों को एक्ट का पालन करने के कहा।

उत्तर प्रदेश में राजकीय फार्मासिस्ट महासंघ ने पूर्व से ही प्रमुख सचिव पशुधन एवं अपर मुख्य सचिव कार्मिक से वार्ता की थी और तत्काल वेटनरी फार्मेसिस्ट के हजारों रिक्त पदों को पंजीकृत एलोपैथ फार्मेसिस्ट से भरने की मांग की । महासंघ की मांग पर फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया ने फरवरी 2019 में उत्तर प्रदेश शासन के चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को इस संबंध में पत्र भेजा था ।

हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी शासनादेश 22 मार्च 2018 द्वारा पशु चिकित्सा फार्मेसिस्ट की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता डिप्लोमा फार्मेसी एवं स्टेट फार्मेसी काउंसिल में पंजीकरण निर्धारित कर दिया  गया लेकिन नियमावली में प्रख्यापन ना होने के कारण अभी तक पशु चिकित्सालयों में नियुक्तियां नहीं हो सकीं। पशु चिकित्सा फार्मेसिस्ट संघ एवं महासंघ के महामंत्री अशोक कुमार ने बताया कि चिकित्सालयों में हजारों पद रिक्त पड़े हैं और जनता का कार्य प्रभावित हो रहा है। इस बीच महासंघ के संज्ञान में यह भी आया है कि शासन द्वारा मथुरा में पशु फार्मेसिस्ट का अलग से डिप्लोमा चलाया जा रहा है परंतु उस कोर्स का फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया से कोई अनुमोदन नहीं प्राप्त किया गया, भारत सरकार द्वारा फार्मेसी शिक्षा को देशभर में नियमित करने के उद्देश्य से संवैधानिक संस्था फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया का गठन किया गया है। फार्मेसी एक्ट 1948 के अनुसार काउंसिल द्वारा अनुमोदित पाठ्यक्रम एवं शिक्षण संस्थान से शिक्षा प्राप्त फार्मेसिस्ट ही स्टेट फार्मेसी काउंसिल में पंजीकृत होगा।

सुनील यादव ने कहा कि सैकड़ो युवाओं का भविष्य अधर में किया जाना गलत है। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन 2015 तथा फार्मेसी एक्ट के अनुसार देश में फार्मेसी की प्रैक्टिस  दवा की कंपाउंडिंग,  निर्माण,  मिक्सिंग, भंडारण या डिस्पेंसिंग  जो  मानव अथवा  पशु के  इलाज में प्रयुक्त होती है, के लिए केवल पंजीकृत फार्मासिस्ट ही विधिक रुप से अधिकारी है। किसी अन्य द्वारा फार्मेसी की प्रैक्टिस करना दंडनीय अपराध माना गया है, जिसमें छह माह की कैद या 1000 रु जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है।

फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन 2015 जो फार्मेसी एक्ट की धारा 10 और 18 के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा अधिसूचित की गई है, में ‘प्रिसक्रिप्शन’ को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि ‘किसी भी पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर अथवा अन्य लाइसेंस्ड प्रैक्टिशनर जैसे डेंटिस्ट, पशु चिकित्सक आदि के नुस्खे को केवल पंजीकृत फार्मासिस्ट द्वारा ही वितरित किया जा सकता है। ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 की धारा 3b में औषधि की परिभाषा के अंतर्गत स्पष्ट है कि वह सभी औषधियां जो मानव अथवा पशुओं के डायग्नोसिस, इलाज, बचाव आदि में बाहरी या आंतरिक रूप से प्रयुक्त होती है, उनके वितरण के लिए केवल पंजीकृत फार्मेसिस्ट विधिक रुप से अधिकारी है।

 

उन्‍होंने बताया कि राजकीय फार्मासिस्ट महासंघ ने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल, प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रमुख सचिव पशुधन प्रमुख सचिव कार्मिक प्रमुख सचिव वित्त को पत्र लिखकर प्रदेश के सभी राजकीय पशु चिकित्सालयो में फार्मेसिस्ट के रिक्त पदों को तत्काल भरे जाने की मांग की है, जल्द ही प्रतिनिधि मंडल उनसे व्यक्तिगत भी मिलेगा । महासंघ ने सरकार को यह भी अवगत कराया है कि उत्तराखंड में सभी राजकीय पशु चिकित्सालयो में डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एलोपैथी की तैनाती की गई है। अन्य राज्यों में भी तैनाती की जा रही है, परन्तु उत्तर प्रदेश में शासनादेश निर्गत होने के बाद भी अभी तक तैनाती न होने से प्रदेश के चिकित्सालयों में पद रिक्त चल रहे हैं। पशु चिकित्सालय में मोबाइल यूनिटे भी संचालित की जा रही हैं, वहीं अनेक चिकित्सालय 24 घंटे भी संचालित किए जाने की योजना है।

श्री यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की सरकार पशुओं के संरक्षण पर विशेष रुप से ध्यान दे रही है, अतः आशा है कि मुख्यमंत्री तत्काल पशु चिकित्सालयों में डिप्लोमा फार्मेसिस्टों की तैनाती करके रिक्त पदों को भरने के निर्देश जारी करेंगे।