-मिट्राक्लिप नामक एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया से हृदय वाल्व के रोगी का सफल इलाज
सेहत टाइम्स
लखनऊ। एसजीपीजीआई में उच्च जोखिम वाले ह्रदय रोगियों के लिए अभूतपूर्व हृदय प्रक्रिया नई उम्मीद की किरण लेकर आई है। हृदय देखभाल में एक बड़ा कदम उठाते हुए, संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान के कार्डियोलॉजी विभाग द्वारा मिट्राक्लिप नामक एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया का उपयोग करके एक 70 वर्षीय रोगी का सफलतापूर्वक इलाज किया गया है, जो हृदय वाल्व की गंभीर स्थिति से पीड़ित था। रोगी को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं थीं, जिसमें किडनी की बीमारी और पहले हुआ स्ट्रोक भी शामिल था, जिसके कारण ओपन-हार्ट सर्जरी में बहुत जोखिम था।


यहां जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी देते हुए बताया गया है कि एसजीपीजीआई में कार्डियोलॉजी टीम ने, जिसमें प्रोफेसर रूपाली खन्ना, प्रोफेसर सत्येंद्र तिवारी, प्रोफेसर आदित्य कपूर और डॉ. हर्षित खरे शामिल थे, मिट्राक्लिप सिस्टम का उपयोग किया, जो ओपन-हार्ट सर्जरी की आवश्यकता के बिना माइट्रल वाल्व की मरम्मत के लिए एक न्यूनतम इनवेसिव, कैथेटर आधारित थेरेपी है। यह मूल रूप से percutaneously delivered stitch है, जो ह्दय के एक कक्ष से दूसरे कक्ष में रक्त के बैकफ़्लो को कम करती है।
प्रोफ़ेसर रूपाली खन्ना ने बताया कि मरीज़ को कई सह रुग्णताएँ थीं, जिसमें पुराने स्ट्रोक के साथ गुर्दे की बीमारी भी शामिल थी और वह माइट्रल रेगुर्गिटेशन से पीड़ित था। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें माइट्रल वाल्व ठीक से बंद नहीं होता है, जिससे हृदय में रक्त का प्रवाह पीछे की ओर हो जाता है। अगर इसका इलाज न किया जाए, तो इससे हृदय गति रुक सकती है और जीवन की गुणवत्ता में काफ़ी कमी आ सकती है। हृदय गति रुकने के कारण उन्हें बार-बार अस्पताल में भर्ती होने पडता था। उनकी उम्र और कई सह-रुग्णताओं के कारण, उन्हें सर्जिकल माइट्रल वाल्व रिप्लेसमेंट के लिए बहुत ज़्यादा जोखिम था।
