केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर का मामला, फेंकने के बाद लगाया बच्चे के गायब होने का आरोप, सीसीटीवी से खुली असलियत
26 मई से बच्चे को लेकर भर्ती थी मां, 23 अप्रैल को गोरखपुर में प्री मेच्योर डिलीवरी में हुआ था शिशु का जन्म

लखनऊ। क्या औलाद की बीमारी मां को इतनी भारी पड़ सकती है कि वह खुद ही बच्चे की जान ले ले। जी हां यह सुनने में अजीब तो लगता है और आमतौर पर ऐसा होता भी नहीं है, लेकिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में आज मंगलवार को ऐसा अमंगल हुआ, तीन माह की उम्र वाले अपने जन्म के समय से बीमार चल रहे बेटे की जीवनलीला उसकी ही मां ने चार मंजिल ऊपर से नीचे फेंक कर दी। यही नहीं फेंकने के बाद झूठा आरोप भी लगाया कि मेरा बच्चा गायब हो गया है, बाद में सीसीटीवी को जब खंगाला गया तो असलियत सामने आयी। मां को गिरफ्तार कर लिया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार ठीक तीन माह पूर्व 23 अप्रैल को गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में शांति नाम की महिला ने एक प्रीमेच्योर बच्चे को जन्म दिया था, सिर्फ 750 ग्राम के बच्चे को शुरुआत से ही लिवर सहित अनेक दिक्कतें थीं, जन्म के बाद जब बच्चे की तकलीफ कम नहीं हुई तो 26 मई को पति राजन और शांति बच्चे को लेकर यहां केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में लेकर आये जहां पर एनआईसीयू में भर्ती कर उसका इलाज चल रहा था।
मीडिया सेल के प्रभारी डॉ संदीप तिवारी ने बताया कि आज सुबह करीब पांच बजे शांति ने चौथी मंजिल पर भर्ती अपने बेटे को खिड़की से नीचे फेंक दिया, तथा हंगामा कर आरोप लगाने लगी कि उसका बच्चा गायब हो गया है, यह देखकर वहां हड़कम्प मच गया, गार्डों से पूछताछ की गयी, इसके बाद सीसीटीवी को खंगाला गया तो असलियत सामने आयी कि शांति ने खुद ही अपने बेटे को बाथरूम की खिड़की से नीचे फेंका था। इसके बाद शांति ने भी मान लिया कि हां उसी ने बच्चे को फेंका था, उसका कहना था कि उससे उसकी बीमारी देखी नहीं जा रही थी, इसलिए उसे इस तरह से मार दिया।
घटना के समय शांति का पति और देवर नीचे सो रहे थे। पहले तो उन लोगों ने भी बच्चे के गायब होने का आरोप लगा रही पत्नी की हां में हां मिलायी लेकिन जब असलियत सामने आयी तो वह पुलिस वालों से गिड़गिड़ाने लगा कि उसकी पत्नी को छोड़ दीजिये। पता चला है कि इससे पहले भी शांति तीन बार गर्भवती हो चुकी है, लेकिन तीनों बार बच्चे की मौत गर्भ में ही हो गयी थी, चौथे बच्चे का जन्म हुआ तो वह सात माह की प्रीमेच्चोर डिलीवरी थी, उसका वजन सिर्फ 750 ग्राम था। डॉ संदीप तिवारी ने बताया कि बच्चे का वजन बढ़कर डेढ़ किलो हो गया था, और वह वेंटीलेटर से बाहर भी आ गया था।

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