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सर्जरी न हो पाने वाले कैंसर का भी उपचार करने में सक्षम मशीन पहुंची केएसएसएससीआई

-कल्याण सिंह कैंसर संस्थान भारत का दूसरा सरकारी संस्थान जहां साइबरनाइफ रेडियोथेरेपी मशीन की सुविधा

प्रो. मदन लाल ब्रह्म भट्ट

सेहत टाइम्स

लखनऊ। कल्याण सिंह सुपर स्पेशलिटी कैंसर इंस्टिट्यूट, लखनऊ में प्रदेश की पहली और भारत के किसी भी सरकारी संस्थान में लगने वाली दूसरी साइबरनाइफ रेडियोथेरेपी मशीन की स्थापना प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 51 करोड़ कीमत वाली यह मशीन आज संस्थान में पहुंच चुकी है, इससे पूर्व यह मशीन केवल अहमदाबाद के गुजरात कैंसर रिसर्च संस्थान में ही स्थापित थी।

संस्थान के वित्त अधिकारी एवं जेडीएमएम रजनीकांत वर्मा ने बताया कि रोबोट माउंटेड एसआरएस एवं एसबीआरटी सिस्टम अर्थात “साइबरनाइफ” का ई-टेंडर 7 जनवरी 2025 को जारी हुआ था। उच्च स्तरीय क्रय समिति की स्वीकृति के उपरान्त 30 मार्च 2025 को इसका क्रय आदेश जारी हुआ। तत्पश्चात एलसी 26 जून 2025 को स्थापित हुई और आज 24 सितम्बर 2025 को यह उपकरण संस्थान में पहुँच गया है। इसकी स्थापना की प्रक्रिया क्रमिक है एवं शीघ्र ही रोगियों को इसका लाभ प्राप्त होगा।

संस्थान के निदेशक प्रो. मदन लाल ब्रह्म भट्ट ने बताया कि यह अत्याधुनिक, अति परिष्कृत रोबोटिक मशीन उच्च कोटि की तकनीक का प्रयोग करके कैंसर कोशिकाओं पर विकिरण का वार करती है, इसके द्वारा उन सभी प्रकार के कैंसर जिनमें कि एसआरएस (SRS) अथवा एसबीआरटी (SBRT) करने की आवशयकता होती है यथा दिमाग, रीढ़, फेफड़े, लिवर, अग्न्याशय और प्रोस्टेट, इत्यादि अंगों में पाए जाने वाले जटिल, ऑपरेशन न हो सकने वाले या पुनः विकसित ट्यूमर का गैर-इनवेसिव और अत्यंत सटीक इलाज संभव हो पाएगा, साथ ही चलायमान ट्यूमर जैसे कि फेफडों के कैंसर का उपचार भी संभव होगा।

उन्होंने कहा कि ​इस सुविधा का लाभ न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे भारत और पड़ोसी देशों जैसे नेपाल के मरीजों को भी मिल सकेगा। यह मशीन कैंसर के उपचार में मददगार साबित होगी और मरीजों के जीवन को बेहतर बनाएगी। संस्थान में पहले से ही स्थापित दो उच्च तकनीक वाले लीनियर एक्सेलरेटर पर रोजाना लगभग 150 रोगियों को विकिरण चिकित्सा प्रदान की जा रही है।

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