महाराष्ट्र में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की कोर्ट में पांच साल चला मुकदमा
महाराष्ट्र के परभनी में चीफ जुडीशियल मजिस्ट्रेट की अदालत में पांच साल तक चले एक मुकदमे में, अदालत ने अवैध पैथोलॉजी चलाने के जुर्म में एक एमबीबीएस डॉक्टर और एक टेक्नीशियन को छह माह की सजा के साथ पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार एमबीबीएस डॉक्टर सलेह कौसर के साथ ही उसका टेक्नीशियन मोहम्मद इमरान गांधी को अवैध रूप से पैथोलॉजी चलाने का दोषी पाया गया है। दरअसल महाराष्ट्र मेडिकल प्रैक्टिशनर्स एक्ट के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत दोनों को दोषी ठहराया गया है। आपको बता दें कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा बनाये गये नियम के अनुसार एमबीबीएस डॉक्टर या टेक्नीशियन दोनों ही पैथोलॉजी रिपोर्ट किसी मरीज को जारी नहीं कर सकते हैं। पैथोलॉजी रिपोर्ट जारी करने का अधिकार एमसीआई में पंजीकृत पैथोलॉजिस्ट को ही है।

जानकारी में आया है कि दोनों के खिलाफ सबूत इकट्टा करने के लिए पुलिस ने स्टिंग ऑपरेशन चलाया। इस स्टिंग ऑपरेशन में यह सच सामने आया कि डॉ सलेह कौसर सिर्फ एमबीबीएस पास है और पैथोलॉजी संचालित कर रहा था जबकि उसका टेक्नीशियन भी कोई मेडिकल या तकनीकी योग्यता नहीं रखे था, जबकि ये लोग न सिर्फ मरीजों की जांच कर रहे थे बल्कि रिपोर्ट पर दस्तखत भी कर रहे थे जो कि नियम के खिलाफ है। यही नहीं इनकी पैथोलॉजी लैब भी बिना किसी पंजीकरण लाइसेंस के संचालित हो रही थी।

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