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ठंड आ चुकी है, अपना खयाल रखें आप, प्राणायाम करते रहें, लेते रहें भाप

-रेस्पिरेटरी पर अंतर्राष्‍ट्रीय कॉन्‍फ्रेंस वर्चुअल आयोजित, देश-विदेश के दिग्‍गजों ने रखे विचार


सेहत टाइम्‍स
लखनऊ।
किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग एवं यू0पी0 चैप्टर इण्डियन चेस्ट सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में अन्तर्राष्ट्रीय रेस्पिरेटरी कॉन्‍फ्रेंस (वर्चुवल) में कॉन्‍फ्रेंस के आयोजन अध्यक्ष डा0 सूर्यकान्त, विभागाध्यक्ष, रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग ने कॉन्‍फ्रेंस के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी और सबका स्वागत किया। उन्होंने कहा कि दुनिया में होने वाली मृत्यु में टी.बी., वायु प्रदूषण जनित रोग, लंग कैंसर, सी.ओ.पी.डी., निमोनिया, फेफड़ो की प्रमुख बीमारियां शामिल हैं। दुनिया के साथ-साथ ये बीमारियां भारत में भी प्रमुखता से पाई जाती हैं। इनके अलावा पिछले 2 वर्षों से कोविड-19 भी सबके लिए चुनौती बना हुआ है। फेफड़ों की महत्ता बताते हुए डा0 सूर्यकान्त ने कहा कि पहली सांस से हमारा जन्म होता है और आखि‍री सांस के बाद हमारी मृत्यु होती है, अतः “जीवन है अनमोल, समझियें फेफड़ों का मोल”। ठण्डक का समय आ चुका है सांस रोगियों की तकलीफ ठंड में अधिक बढ़ जाती है, इसलिए प्राणायाम एवं भाप लेते रहें साथ ही साथ धूल, धुएं, वायु प्रदूषण व कोविड से बचने के लिए मास्क का भी उपयोग करें।


कार्यक्रम का उद्घाटन इस कॉन्‍फ्रेंस के संरक्षक के0जी0एम0यू0 के कुलपति लेफ्टिनेंट ज0 (डा0) बिपिन पुरी द्वारा किया गया। डा0 बिपिन पुरी ने आयोजकों को बधाई दी एवं फेफड़ों के चिकित्सकों से टी.बी. जैसी गम्भीर बीमारी में अपना सक्रिय योगदान देने के लिए आह्वान किया।


कॉन्‍फ्रेंस में देश के ही नहीं वरन विदेश से भी प्रख्यात चिकित्सक सम्मिलित हुए। पद्मश्री डा0 डी बेहरा (चण्डीगढ़) ने लंग कैंसर के इलाज के लिए नई तकनीकियों, विभिन्न चिकित्सकीय उपकरणों एवं भारत में लंग कैंसर की वर्तमान स्थिति के बारे में विस्तार से चर्चा की। यूनिर्वसिटी ऑफ इन्डोनेशिया जकार्ता, इन्डोनेशिया के डा0 अगस डी सुसान्तो, पल्मोनोलाजिस्ट ने ’वायु प्रदूषण एवं फेफड़ों की तन्दुरूस्ती’ पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि वायुप्रदूषण पर्यावरण की सबसे बड़ी समस्या है। वायु प्रदूषण से गले में उत्तेजना, श्लैष्मिक सूजन, आक्सीडेटिव स्ट्रेस, एलर्जी आदि विभिन्न प्रकार की परेशानियां होती हैं। उन्होंने एक शोध का हवाला देते हुए कहा कि पेकनवारू, इन्डोनेशियां में जंगल की आग से वहां के आस पास के लोगों के फेफड़े की क्षमता कम हो गयी थी, जिससे फेफड़ों की बीमारी में वृद्धि हुयी जिसके कारण मृत्यु दर भी ज्यादा हुयी।

डा0 अनूप बंसल, इन्टेसिव केयर स्पेशियलिस्ट, आस्ट्रेलिया ने रेस्पिरेटरी आई.सी.यू. के गम्भीर मरीजों की देखभाल पर चर्चा की। डा0 अशोक कुमार सिंह (कानपुर) ने एक नई मशीन “हाई फ्लो नेजल कैनुल” के बारे में बताया। इस मशीन के द्वारा श्वास के रोगियों एवं कोविड काल में कोरोना के मरीजों में आक्सीजन की कमी को कम किया जा सकता है जिससे मरीजों को आई.सी.यू. एवं गम्भीर स्थिति में जाने से बचाया जा सकता है। डा0 मनोज गोयल (गुरूग्राम), डा0 किरन विष्णु (केरल), डा0 रिचा गुप्ता (वेल्लोर), डा0 राखी सोंधी (देहरादून), डा0 सुष्मिता राय चौधरी (कोलकाता), डा0 अंकित भाटिया (नई दिल्ली), डा0 जी0बी0 सिंह (आगरा) ने चेस्ट से जुड़ी विभिन्न बीमारियों पर प्रकाश डाला।


ज्ञात हो कि के0जी0एम0यू0 के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग की स्थापना सन् 1946 में हुई थी। वर्ष 2021 में इस विभाग की स्थापना के 75 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। विभागाध्यक्ष डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि विभाग की स्थापना के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में विभाग 75 समारोहों की श्रृंखला मना रहा है। यह कॉन्‍फ्रेंस भी इसी श्रृंखला की सफल कड़ी है।


इस कांफ्रेंस में देश विदेश से लगभग 250 लोगों ने प्रतिभाग किया। इस आयोजन में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के चिकित्सक डा0 एस.के. वर्मा, डा0 आर.ए.एस. कुशवाहा, डा0 सन्तोष कुमार, डा0 राजीव गर्ग, डा0 अजय कुमार वर्मा, डा0 आनन्द श्रीवास्तव, डा0 दर्शन कुमार बजाज, डा0 अंकित कुमार, रेजिडेन्ट डाक्टर्स, डा0 सपना दीक्षित, डा0 नन्दिनी दीक्षित, डा0 अनिकेत रस्तोगी, पीएचडी स्कालर अनुज कुमार पाण्डेय, टेक्निकल स्टाफ एवं अन्य कर्मचारी एवं सदस्यगण उपस्थित रहे। इस सम्मेलन का समापन प्रतिकुलपति के.जी.एम.यू. डा0 विनीत शर्मा द्वारा समापन संदेश एवं डा0 ज्योति बाजपेई (असिस्टेन्ट प्रोफेसर, रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग) के धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया।

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