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6 से 8 घंटे रोज नहीं सोयेंगे तो तैयार रहिये रोगों की लम्‍बी फेहरिस्‍त के लिए

-विश्‍व नींद दिवस (19 मार्च) की पूर्व संध्‍या पर नींद के लिए ‘जगाया’ डॉ अनुरुद्ध वर्मा ने

डॉ अनुरुद्ध वर्मा

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो                      

लखनऊ। जिस प्रकार शरीर के संचालन के लिए पौष्टिक भोजन की जरूरत होती है उसी प्रकार शारीरिक स्वास्थ्य के लिए मनुष्य को पर्याप्त गुणात्मक नींद की जरूरत होती है। यदि व्यक्ति निर्धारित समय से कम नींद लेता है तो उसको तमाम तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। नींद संबंधी समस्याओं की गंभीरता का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि दुनिया के लगभग 50% लोग नींद की कमी से होने वाली परेशानियों से पीड़ित हैं। नींद की कमी से देश की लगभग 50% आबादी के जीवन की गुणवत्ता को खतरा है ।                           

यह जानकारी विश्व नींद दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्रीय होम्योपैथिक परिषद के पूर्व सदस्य वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ अनुरुद्ध वर्मा ने देते हुए बताया कि नींद पूरी न होने पर होगी अनेक समस्याएं हो सकती है जिनमें सिर दर्द, पेट खराब ,गैस, मोटापा, तनाव, डिप्रेशन, डायबिटीज, हृदय रोग, थकावट, कमजोरी, काम में मन न लगना, हार्मोनल परिवर्तन, थकान, एकाग्रता में कमी, स्फूर्ति में कमी, बेचैनी, चिड़चिड़ापन, थकान, गुस्सा, प्रतिरक्षा तंत्र का कमजोर होना, भावनाओं का असामान्य होना, मेटाबोलिज्म प्रभावित होना, मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होना, अधिक मृत्यु दर, दुर्घटनाएं जैसी समस्याएं प्रमुख हैं। 

उन्होंने बताया कि नींद की कमी के कारण होने वाली समस्याओं की गंभीरता का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि जनता को नींद के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से ही 19 मार्च को वर्ल्ड स्लीप डे (विश्व नींद दिवस) मनाया जाता है जिसका उद्देश्य दिवस उद्देश्य लोगों को नींद की समस्याओं के बोझ से छुटकारा दिलाना और नींद की गड़बड़ियों को लेकर लोगों को जागरूक करना है जिससे नींद की समस्याओं से छुटकारा पाया जा सके।

डॉ वर्मा ने बताया कि नींद न आना भी है बहुत खतरनाक है। आजकल की भागदौड़ आपाधापी व भरी जिंदगी में गुणात्मक नींद न आना बहुत बडी समस्या है। नींद की कमी के लिए अनिद्रा, सांस की समस्या, दमा, खर्राटे, स्लीप एपिनिया, तनाव, पौष्टिक भोजन की कमी, डिप्रेशन, कमजोरी, सर्दी जुकाम, अनियमित जीवन शैली, सोते समय पैर हिलाना, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप डिसऑर्डर, एलर्जी, पर्यावरण, शारीरिक मेहनत की कमी, बीमारी, सर्दी जुकाम ,फ्लू, दवाइयां, हार्मोनल असुंतलन आदि जिम्मेदार होते हैं इसके साथ ही अनियमित जीवन शैली, शारीरिक श्रम की कमी, पर्यावरण, सोने का स्थान, आसपास का वातावरण भी काफी प्रभावित करता है। उन्होंने बताया कि अच्छी सेहत के लिए कम से कम 6-8 घंटे की नींद जरूरी है। उन्होंने बताया कि बेहतर नींद के लिए खाने के बाद तुरंत सोने के लिए न जाएं खाना ,खाने के बाद टहलें, संतुलित और स्वस्थ आहार लें, भारी भोजन न करें।

शराब, सिगरेट, कॉफी, चाय, कोल्ड ड्रिंक का सेवन न करें, सोने वाला कमरा साफ, शांत, अंधेरा और एलर्जी व गंध से मुक्त होना चाहिए, बिस्तर का गद्दा पतला होना चाहिए। टी वी, कम्प्यूटर, मोबाइल का उपयोग सीमित करना चाहिए। उन्होंने बताया कि एलोपैथी मेँ जहाँ नींद की गोली खाने की सलाह दी जाती है वहीँ पर नींद से संबंधित विकारों के उपचार मेँ होम्योपैथिक औधाधियाँ पूरी तरह कारगर वह भी बिना किसी दुष्परिणाम के। होम्योपैथिक दवाओं की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि व्यक्ति इसका लती नहीं होता है तथा यह दवाइयां व्यक्ति को प्राकृतिक नींद प्रदान करती हैं। कुछ सावधनियां अपनाकर ,जीवन शैली को नियमित कर संतुलित नींद लेकर स्वस्थ एवं खुशहाल जिंदगी बिता सकते हैं।