-वार्डों में हिम्मत बढ़ाने वाले वीडियो-ऑडियो का प्रसारण मरीजों के लिए हो सकता है लाभकारी
-कोविड के बोझ से बोझिल वातावरण के बीच मरीज के स्वस्थ होने की चुनौती पर ‘सेहत टाइम्स’ का दृष्टिकोण
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स्नेहलता
लखनऊ। कोरोना की दूसरी लहर ने सबका चैन छीन लिया है। चैन पहली लहर में भी छिना था, लेकिन इतनी बेचैनी नहीं थी। इस बार कोरोना का रूप बदला हुआ है, इसके संक्रमण की रफ्तार तेज है, जो तेजी के साथ लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। देखते ही देखते इसने विकराल रूप धारण कर लिया। इन्हीं सब कारणों से इस बार लोगों में दहशत का ग्राफ भी बहुत ऊंचा है।
जैसा कि चिकित्सक कहते हैं कि दहशत और डर के चलते हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति और कम हो जाती है, और ऐसे में रोग का हमला होने पर उसकी चपेट में आने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके लिए बहुत से चिकित्सक अनेक माध्यमों से लोगों में हिम्मत बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं, अखबारों, टीवी चैनल्स, वेब मीडिया आदि अनेक प्लेटफॉर्म से मोटीवेशनल स्पीच देकर लोगों को कोरोना को लेकर पैदा हुई दहशत को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन समस्या अब इससे एक कदम आगे की है, यानी जब कोई व्यक्ति कोरोना का शिकार हो जाता है और उसे हॉस्पिटल में भर्ती करने की नौबत आती है। चूंकि इस रोग को लेकर दहशत और नकारात्मक बातें मस्तिष्क में पहले से ही चल रही होती हैं, ऐसे में अस्पताल पहुंचकर इसमें और वृद्धि हो जाती है।
ऐसे में कोविड के इन भर्ती मरीजों की हिम्मत, हौसला बढ़ाने की आवश्यकता है। साधारण परिस्थितियों में अस्पतालों में मनोवैज्ञानिक मरीजों की काउंसिलिंग कर उनका हौसला बढ़ाने का कार्य कर उपचार करते हैं, लेकिन महामारी के मौजूदा दौर में अस्पताल में एक-एक रोगी के पास जाकर उन्हें समझाना असंभव नहीं तो मौजूदा परिस्थितियों में सम्भव भी नहीं है। ऐसे में ‘सेहत टाइम्स’ का सुझाव है कि टीवी, ऑडियो आदि के जरिये जहां मरीज भर्ती है, उन वार्डों में वीडियो, ऑडियो के जरिये ऐसी सामग्री का प्रसारण किया जाये जो मरीज के अंदर हिम्मत, आशा, उमंग पैदा कर सके, ऐसा करने से माहौल में सकारात्मकता आयेगी और नकारात्मकता के बादल छंट सकेंगे, यह माहौल मरीज को ठीक होने में मदद भी कर सकता है। यही नहीं इस माहौल से मरीजों की सेवा करने वाले चिकित्सक, नर्स व अन्य स्टाफ जो ड्यूटी पर होंगे, उनके लिए भी यह अच्छा होगा, क्योंकि लगातार तनाव में काम कर रहे इन कर्मियों के अंदर भी मधुर संगीत सुनकर हल्केपन का अहसास हो सकता है।
विशेषज्ञ हमेशा कहते हैं कि मन की शक्ति में इतना दम होता है कि असंभव दिखने वाला कार्य पूरा करने में शारीरिक अक्षमता तक आड़े नहीं आती है। ऐवरेस्ट पर चढ़ने वाली अरुणिमा सिन्हा जैसे कितने ही उदाहरण हैं जो साबित करते हैं कि पंखों से नहीं हौसलों से उड़ान होती है। तो ऐसे में वीडियो/ऑडियों के प्रसारण से अगर कोरोना के इन मरीजों को ठीक करने में मदद मिल सकती है तो सरकार/अस्पताल प्रशासन को इस पर विचार करना चाहिये।
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