51 अस्पतालों में यूपीएचएसएसपी के तहत तैनात संविदा कर्मियों की सेवायें समाप्त हो रहीं
ई हॉस्पिटल्स में भी एक कम्पनी के तैनात कर्मचारियों की सेवायें होंगी समाप्त
विरोध स्वरूप लोकबंधु अस्पताल में दो घंटे नहीं बने पर्चे, मरीजों की आफत

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अप्रैल माह से मरीजों को भारी दिक्कत होने की संभावना है, इसकी झलक दिखनी शुरू हो चुकी है, इसका कारण है प्रदेश के 51 अस्पतालों में संविदा पर कार्यरत हजारों कर्मचारियों की सेवायें 31 मार्च को समाप्त हो रही हैं, इन कर्मचारियों में लगभग हर वर्ग के कर्मचारी शामिल हैं। इन संविदा कर्मचारियों में ई हॉस्पिटल वाले अस्पतालों में एक कम्पनी विशेष द्वारा तैनात किये गये परचे बनाने वाले कर्मचारियों के साथ ही यूपीएचएसएसपी के तहत तैनात सभी वर्ग के कर्मचारी शामिल हैं।
यहां आलमबाग स्थित लोकबन्धु राजनारायण अस्पताल के दर्जन भर कर्मचारियों ने सोमवार को सुबह कामकाज ठप कर विरोध करना शुरू कर दिया। काम-काज ठप होने की वजह से अस्पताल में ओपीडी में दिखाने आये मरीजों के साथ ही इमरजेंसी में भी मरीजों के पर्चे नहीं बने, इससे मरीजों एवं तीमारदारों को खासी दिक्कत का सामना करना पड़ा। अस्पताल प्रशासन के मान मनौव्वल के बाद 10 बजे के बाद संविदा कर्मचारियों ने कंप्यूटर से पर्चे बनाना शुरू किया।

जानकारों का कहना है कि स्थितियां ऐसी ही हैं कि आज भले ही यह नजारा लोकबंधु अस्पताल का है लेकिन 1 अप्रैल से यह नजारा लगभग हर अस्पताल में नजर आने की पूरी आशंका है।
हर सोमवार की भांति आज भी अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की खासी भीड़ थी, सुबह से ही मरीजों का आने का तांता लग गया था, मगर पर्चा कांउटर पर ओपीडी पर्चे नहीं बनने की वजह से मुख्य हॉल में भीड़ बढ़ती गई। देखते ही देखते अफरा-तफरी का माहौल बन गया, मरीज इलाज न मिलने की वजह से हंगामा करने लगे। ओपीडी के साथ ही इमरजेंसी व महिला इमरजेंसी में भी पर्चे नहीं बने, जिसकी वजह से गंभीर मरीजों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
गौर करने वाली है कि सुबह पर्चे न बनने की वजह से ओपीडी दो घंटे देर से शुरू हुई और पैथालॉजी में सैंपल कलेक्शन कार्य भी प्रभावित रहा। संविदा कर्मचारियों का कहना था कि नौकरी छीननी थी तो नौकरी दी ही क्यों? वहीं अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ.सुरेश चौहान ने बताया कि पर्चे बनाने का कार्य ई-हॉस्पिटल के संविदा कर्मचारियों से ही लिया जाता है। इनके अभाव में अस्पताल में दिक्कतें आना स्वाभाविक है, जिसकी जानकारी शासन को करा दी गई है। शासन से मांग की गई है कि इनकी संविदा बढ़ाई जाये या अन्य कर्मचारी उपलब्ध कराये जायें।
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