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जनसंख्‍या पर लगाम से बढ़ेगी उपलब्‍धता तो हैप्‍पीनेस इंडेक्‍स छुएगा ऊंचाइयां

-विश्‍व जनसंख्‍या दिवस पर केजीएमयू के पैरामेडिकल इंस्‍टीट्यूट में आयोजित हुआ जागरूकता कार्यक्रम

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। हैप्पीनेस इंडेक्स बढ़ता है खुश रहने से और खुश रहने के लिए जो मूल आवश्यकता है वह है रोटी, कपड़ा और मकान, इसमें शिक्षा को और जोड़ा जा सकता है क्योंकि बगैर शिक्षा कहीं गुजारा नहीं। अगर ये सारी चीजें आपको आसानी से मुहैया हैं तो जाहिर है आप खुश रहेंगे। लेकिन इन सब आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बहुत जरूरी है इसकी मात्रा और उपभोगकर्ता के बीच अनुपात सही रहे, इसलिए आवश्यक है कि जनसंख्या पर नियंत्रण रखा जाए क्योंकि बढ़ती जनसंख्या की वजह से अनाज, रहने की व्यवस्था आदि सुविधाओं पर सीधा प्रभाव पड़ता है।

यह बात आज 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज के अधिष्‍ठाता प्रोफेसर विनोद जैन ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कही। इंस्टीट्यूट द्वारा ‘पापुलेशन कंट्रोल टू इनक्रीज हैप्पीनेस इंडेक्स’ विषय पर सोशल डिस्‍टेंसिंग के साथ आयोजित कार्यक्रम में प्रो विनोद जैन ने कहा कि वर्तमान समय में प्रत्येक व्यक्ति अपने परिवार को सुखी एवं संपन्न रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है लेकिन फिर भी नाकामयाब हो रहा है उन्होंने कहा कि उसकी इस नाकामयाबी के पीछे तीन बाधाएं हैं, पहली बाधा है बढ़ती जनसंख्या, दूसरी उत्पादन और तीसरी बाधा है वितरण प्रणाली।

उन्‍होंने कहा कि अगर जनसंख्या अधिक है तो हमारे देश में जो उत्पादन हो रहा है चाहे वह खाद्यान्न हो या अन्य सामान हो, उनकी कमी है जितना उत्पादन हो रहा है उसकी वितरण प्रणाली गलत है। किसान आज भी गरीब है और व्यापारी जमाखोरी के माध्यम से अपनी तिजोरिया भर रहे हैं। इसलिए इस व्यवस्था पर गंभीरता से विचार करना होगा। डॉ विनोद जैन ने कहा कि अगर किसी राष्ट्र को उन्नति करनी है और अपने नागरिकों को खुश देखना है तो जनसंख्या नियंत्रण प्रभावी रूप से करना होगा। उन्‍होंने कहा कि विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करनी है तो वहां विद्यार्थी ज्यादा है इसी प्रकार अनाज, रहने की व्यवस्था जैसी सुविधाओं पर भी इसका असर है। उन्होंने बताया कि पूरे विश्व की जनसंख्या 7.8 बिलियन है और उसने हमारे देश भारत की जनसंख्या 1.3 बिलि‍यन है यानी विश्व का हर छठवां व्यक्ति भारतीय है।

उन्होंने कहा जनसंख्या में वृद्धि दर का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि जनसंख्या के मामले में जो लक्ष्य हमें 2030 में छूना था वह आंकड़ा हमने 2020 में ही हासिल कर लिया है, लेकिन यह हर्ष का विषय नहीं है, इस समय हमें गंभीरता से सोचना होगा। डॉ जैन ने कहा यह खुशी की बात है कि देश में चिकित्‍सा सुविधाएं पहले के मुकाबले ज्यादा उन्नत हो गई हैं जिसकी वजह से हमारी मृत्यु दर कम हुई है और आयु सीमा बढ़ गई है, इधर जन्म दर में बढ़ोतरी होती गई और उस अनुपात में हम इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलप नहीं कर पाए। उन्होंने कहा अब आवश्यक है कि‍ इसके लिए व्यापक अभियान चलाया चलाया जाए, अपने परिवार और आसपास के लोग इसके प्रति जागरूक हों और संगोष्ठि‍यों के माध्यम से अन्य लोगों को भी इसके प्रति जागरूक करने का कार्य करें। इस मौके पर सह अधिष्ठाता डॉक्टर अतिन सिंघई ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन से जो संदेश समाज में जाता है वह हमारा भविष्य तय करता है, उन्होंने कहा भविष्य की नींव हमेशा वर्तमान में रखी जाती है इसलिए बेहतर होगा हम आज से ही जनसंख्या नियंत्रण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रभावी कदम उठाएं। उन्‍होंने कहा कि आज हम विश्व जनसंख्या दिवस का आयोजन स्वयं के लिए तो कर ही रहे हैं साथ ही अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए भी कर रहे हैं। जनसंख्या पर नियंत्रण आवश्यक है ताकि हम अपने बच्चों को एक सुखद भविष्य दे सकें क्‍योंकि कहीं ऐसा न हो कि वे पानी, खाने, रहने और रोजगार के लिए संघर्ष करें।

इस मौके पर डॉ विनोद जैन के मार्गदर्शन में शिवांगी श्रीवास्तव द्वारा ई पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, इसमें रोली साहू को प्रथम, पूजा चौधरी को द्वितीय तथा आंचल पंत को तृतीय पुरस्कार तथा निष्ठा यादव, आकांक्षा नायक, आचला सिंह, ज्योत्सना सिंह एवं रितु सिंह को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन बीनू दुबे ने किया तथा इस कार्यक्रम में शालिनी गुप्ता, शिवानी श्रीवास्तव, राघवेंद्र एवं विकास मिश्रा का विशेष योगदान रहा।