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माता या पिता को है डायबिटीज, तो 20 वर्ष की उम्र से संतान का नियमित ब्लड शुगर टेस्ट जरूरी

-अमृताशम फाउंडेशन ने इंदिरा नगर में आयोजित किया स्वास्थ्य शिविर, महंगी जांचें भी हुईं नि:शुल्क

-जीवन शैली से जुड़ी कई खामोश बीमारियों के बारे में जानकारी दी डॉ नरसिंह वर्मा ने

सेहत टाइम्स

लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रिटायर्ड प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष डॉ नर सिंह वर्मा का कहना है कि खान-पान जीवन शैली से जुड़े रोग, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हाई यूरिक एसिड, फैटी लिवर लोगों के शरीर पर खामोश हमला कर रहे हैं, इनके बारे में तत्काल पता नहीं लगता है, पता तब चलता है जब तकलीफ होना शुरू हो जाती है या किसी भी कारण से जांच करायी जाती है।

डॉ वर्मा ने यह बात यहां इंदिरा नगर मुंशीपुलिया पर अमृताशम फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर के मौके पर कही। उन्होंने कहा कि जैसा कि हम सब देख रहे हैं, कि मधुमेह एक बड़ी समस्या बन चुका है, पूर्व में आमतौर पर 40-50 साल की आयु के बाद लोगों में यह पाया जाता था। लेकिन अब यह युवाओं में भी पाया जा रहा है, इसकी वजह जीवन शैली तो है ही, इसके अलावा एक बड़ी वजह अनुवांशिक होना है, यानी माता-पिता में अगर किसी एक को भी डायबिटीज है तो संतान को होने की संभावना रहती है। उन्होंंने सलाह दी कि जिन बच्चों के माता-पिता को डायबिटीज की शिकायत है उन बच्चों की 20 वर्ष की आयु के बाद प्रत्येक छह माह में एक बार डायबिटीज की जांच करायी जानी चाहिये। उन्होंने बताया कि शिविर में आये दस फीसदी रोगियों को डायबिटीज होने की जानकारी पहली बार मिली, फीसदी रोगी डायबिटिक मिले ये ऐसे लोग थे जिन्हें पूर्व में डायबिटीज होने का पता नहीं था।

शिविर में रक्तचाप, रक्त शर्करा, बीएमआई, थायरॉइड परीक्षण, लिवर फाइब्रोस्कैन और लिपिड प्रोफाइल सहित निःशुल्क स्वास्थ्य जाँच के साथ-साथ मधुमेह, उच्च रक्तचाप, जोड़ों के दर्द और पोषण पर परामर्श भी दिया गया। डॉ वर्मा ने बताया कि शिविर के निष्कर्षों से स्वास्थ्य संबंधी जो चिंताजनक रुझान सामने आए उसके अनुसार • 70-80% प्रतिभागी अधिक वजन वाले या मोटे थे • लगभग 50% में उच्च यूरिक एसिड और उच्च रक्तचाप पाया गया • 10 फीसदी लोगों को पहली बार पता चला कि वे डायबिटीज के शिकार हैं।
• स्वस्थ दिखने वाले व्यक्तियों में भी फैटी लिवर में बदलाव देखे गए, जबकि जिन रोगियों को डायबिटीज होने की जानकारी थी उनमें अधिकांश में ग्रेड 3 लिवर की समस्या पाई गई, इस समस्या का पता लगाने के लिए लिवर की फाइब्रोस्कैन जांच होती है जो निजी केंद्रों पर आठ हजार रुपये में होती है, यह जांच कैम्प में नि:शुल्क की गयी। डॉ वर्मा ने बताया कि ऐसा देखा गया है कि मधुमेह होने से पूर्व व्यक्ति को फैटी लिवर की शिकायत जरूर होती है।

शिविर में डॉ. नरसिंह वर्मा, डॉ. अभिनव वर्मा और डॉ. वंदना अवस्थी सहित वरिष्ठ सलाहकारों ने निवारक जाँच, शीघ्र हस्तक्षेप और पोषण-आधारित जीवनशैली में बदलाव की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

डॉ वर्मा ने बताया कि फाउंडेशन ने सुलभ स्वास्थ्य सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से निपटने और सामुदायिक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए ऐसी और पहलों की योजना की घोषणा की।

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