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मौजूदा स्थिति को संभालने के लिए मेडिकल छात्रों से लेकर रेजीडेंट्स डॉक्‍टरों का कैसे करें उपयोग

-कोविड प्रबंधन को लेकर संजय गांधी पीजीआई के रेजीडेंट डॉक्‍टरों ने सीएम को दिये सुझाव

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई की रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने कोरोना वायरस से पैदा हुई वर्तमान स्थिति में इस पर कारगर प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा क्‍या कदम उठाये जा सकते हैं, मानव संसाधन की कमी को देखते हुए इसे किस तरह से मैनेज किया जा सकता है, इसको लेकर मुख्‍यमंत्री को पत्र लिखकर सुझाव दिये हैं। इन सुझावों में मेडिकल छात्र का भी किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है, के बारे में जिक्र किया गया है।

एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ आकाश माथुर एवं जनरल सेक्रेटरी डॉ अनिल गंगवार में मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में लिखा है कि तुरंत सरकारी चिकित्सालयों में भर्ती निकालकर डॉक्टर की संख्या और फिर पलंग बढ़ाए जाएं साथ ही जिन बड़े सरकारी चिकित्सालयों में पहले से ही स्वीकृत सीनियर रेजिडेंट के पद खाली हैं, उन्हें भर्ती निकाल कर तुरंत भरा जाए यदि एक विभाग में भर्ती के लिए ज्यादा प्रतिभागी हैं तथा दूसरे विभाग में कम तो ऐसी स्थिति में सभी उपलब्ध पदों का एक साझा पूल बनाकर सभी इच्छुक प्रतिभागियों को समायोजित कर लिया जाए पत्र में लिखा है कि आयुष चिकित्सालयों को level-1 और level-2 अस्पताल के रूप में विकसित किया जाए साथ ही एमबीबीएस छात्रों को जनता में मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग आदि के प्रति जागरूकता पैदा करने कांटेक्ट ट्रेसिंग आदि के लिए उचित मानदेय देकर लगाया जा सकता है। मेडिकल छात्रों को उचित मानदेय तथा प्रशिक्षण देकर उन्हें कोविड सैंपल कलेक्शन के लिए भी लगाया जा सकता है जिससे कलेक्शन सेंटर पर भीड़ कम होगी तथा आसानी से सेम्‍पल दिए जा सकेंगे। एक अन्य सुझाव में लिखा है कि प्राइवेट अस्पतालों में कोविड बेड बढ़ाए जाएं और सरकार उनको वित्त प्रबंधन के लिए सब्सिडी दे तथा पीपीई किट सरकार सस्ती दरों पर उपलब्ध कराए।

इसके अतिरिक्त सुझाव है कि सरकारी संस्थानों में जो मरीज खर्च वहन कर सकते हैं खासतौर पर वे जो प्राइवेट वार्ड में भर्ती हैं, उनका उपचार मुफ्त न किया जाए। पत्र में पूर्व में एसोसिएशन द्वारा कुछ सोशल मीडिया में मुद्दा उठाए जाने के बाद डिफेंस एक्सपो जैसे कार्यक्रमों की तर्ज पर अस्थाई अस्पताल बनाने की सरकार द्वारा की गई पहल का स्वागत किया गया है साथ यह सलाह दी गई है कि इन अस्थाई अस्पतालों में चिकित्सा संस्थानों से विशेषज्ञ चिकित्सकों के मार्गदर्शन में मेडिकल ऑफिसर को लगाकर यह अस्पताल चलाए जाएं।

पत्र में सुझाव दिया गया है कि बड़े संस्थानों द्वारा भी स्वास्थ्य कर्मियों को सुरक्षित रखने के लिए किए जा रहे प्रयास नाकाफी सिद्ध हुए हैं इस बाबत हमारा आग्रह है कि जो डॉक्‍टर्स (जैसे रेजीडेंट्स डॉक्‍टर) प्रथम पंक्ति में रहकर कार्य किया है उनसे सुझाव लेकर स्वास्थ्य कर्मियों में संक्रमण की रोकथाम एवं उचित प्रबंधन के लिए सक्रिय प्रयास किए जाएं। इसके अलावा बड़े होटलों में प्राइवेट अस्पतालों द्वारा अपने संसाधनों का उपयोग करते हुए अस्थाई अस्पताल चलाए जाएं साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों के क्‍वारेंटाइन के लिए पूर्व की भांति सरकार द्वारा उचित व्यवस्था की जाए। संस्थानों द्वारा की जा रही व्यवस्थाएं नाकाफी सिद्ध हो रही हैं।